सवाल- धौनी और युवराज, सही सवाल- धौनी 'या' युवराज, जानिए क्यों
फिलहाल सवाल दोनों का नहीं है, इनमें से किसी एक का है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। 'बहुत प्यार दिया लोगों ने, सीने से लगाया, कंधे पर उठाया..जब प्रदर्शन खराब हुआ तो सवाल भी उठने लगे। पूछने लगे कहां जा रहे हो, कितने बजे आ रहे हो, किसके साथ जा रहे हो। अच्छे समय सब साथ हैं लेकिन जब चोट लगती है तब सिर्फ खुद को दर्द का पता होता है। जब तक बल्ला चल रहा है, ठाठ चल रहा है..जब बल्ला नहीं चलेगा तो फिर....।' कुछ साल पहले इन्हीं शब्दों के साथ एक टीवी विज्ञापन काफी चर्चा का विषय बना था। जिसने ये शब्द बोले थे वो आज फिर एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां से कुछ भी मुमकिन है। पिछले एक महीने में जो कुछ हुआ है उसके बाद एक बार फिर परीक्षा की घड़ी आ गई है।
- विचार तारीफों में बदले और तारीफें आलोचनाओं में
हम यहां बात कर रहे हैं टीम इंडिया के सीनियर बल्लेबाज युवराज सिंह की। भारतीय टीम के इस 35 वर्षीय धुरंधर के सामने एक बार परीक्षा देने की चुनौती है। दरअसल, पिछले एक महीने में जो कुछ चल रहा है उसने हालात अजीब बना दिए हैं। कुछ महीने पहले सबका यही विचार था कि आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में युवी की मौजूदगी टीम में जरूरी है। टीम में उनका चयन हुआ तो फैंस बेहद खुश हुए, फिर चैंपियंस ट्रॉफी के पहले ही मैच में युवी मैन ऑफ द मैच बने तो तारीफें बयान के रूप में अखबारों व टीवी तक जा पहुंची..लेकिन उसके बाद से पिछला तकरीबन एक महीना उनका बल्ला जमकर नहीं बोला तो एक बार फिर सवाल उठने लगे। सवाल सिर्फ फैंस ने नहीं उठाए हैं बल्कि राहुल द्रविड़ जैसे कुछ दिग्गजों ने भी उठाए हैं जिनका मानना है कि मध्यक्रम में युवराज और पूर्व कप्तान धौनी पारी को धीमा कर रहे हैं और अब टीम को उनसे आगे सोचने की जरूरत है।
- पिछले दो मैचों ने घाव पर छिड़का नमक
आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में युवराज के बल्ले से पांच मैचों में कुल 105 रन निकले। ये एक घाव था जिसकी भरपाई वेस्टइंडीज दौरे पर की जा सकती थी। शायद यही वजह थी कि उनको वेस्टइंडीज दौरे के लिए आराम नहीं दिया गया। शायद बीसीसीआइ भी चाहता था कि इस दिग्गज को एक अच्छा मौका दिया जाए ताकि वो एक बार फिर सबको गलत साबित कर सकें। वेस्टइंडीज कमजोर टीम है ऐसे में उम्मीदें और बढ़ गईं लेकिन पहले मैच में 4 रन और दूसरे मैच में 14 रन बनाकर जब वो आउट हुए तो लोगों को कुछ और कहने का मौका भी मिल गया। कुछ युवा खिलाड़ी बाहर अपने मौके का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए इन सवालों को और तरजीह दी जाने लगी। टीम से बाहर चल रहे बाएं हाथ के एक और दिग्गज गौतम गंभीर के कोच संजय भारद्वाज कहते हैं, 'बड़े खिलाड़ियों की रोज परीक्षा नहीं ले सकते। ये बड़े खिलाड़ी होने के साथ बड़े मैच के खिलाड़ी भी होते हैं। टीम का चयन करने वाले भी जानते हैं कि अहम समय पर ये खिलाड़ी आपको अकेले दम पर जीत दिला देंगे।'
- धौनी और युवराज नहीं....धौनी 'या' युवराज
ये बहस का मुद्दा बन चुका है कि आखिर युवराज और धौनी को कब तक टीम में मौका दिया जाएगा, दोनों के बल्ले नहीं गरज रहे हैं और दोनों ही नए खिलाड़ियों का रास्ता रोक रहे हैं..लेकिन हकीकत ये है कि अगर विराट और टीम मैनेजमेंट इस समय कोई फैसला लेंगे, तो वो सवाल ये होगा कि धौनी 'या' युवराज न कि धौनी और युवराज। दोनों में एक ही खिलाड़ी को आराम दिए जाने के आसार हैं और इन दोनों में जिसके आसार ज्यादा हैं, वो नाम भी युवराज का ही है। दरअसल, इस बात में दम है कि रिषभ पंत या दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ी मध्यक्रम में खुद को साबित करने के लिए युवी की भरपाई कर देंगे लेकिन विकेटकीपिंग और कप्तान कोहली को समय-समय पर सलाह देने के मामले में धौनी की भरपाई शायद ही कोई कर सकेगा। इशारा साफ है, कि अगर विराट तीसरे वनडे में युवी को मौका देते हैं तो उन्हें बल्ले से पिछले एक महीने की आलोचनाओं का जवाब देना ही होगा। युवराज इसमें सक्षम हैं, पहले कई बार ऐसा कर भी चुके हैं इसलिए उम्मीदों का खेल एक बार फिर शुरू हो चुका है।
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