श्रीनिवासन की मदद से पवार बन सकते हैं बीसीसीआइ अध्यक्ष !
जगमोहन डालमिला के निधन की वजह से भारतीय क्रिकेट की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। इसके चलते अब दुश्मनों के भी दोस्त बनने की संभावना नजर आ रही है। मुबंई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के अध्यक्ष शरद पवार एक बार फिर अध्यक्ष बनने के इच्छुक है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)
मुंहई। जगमोहन डालमिला के निधन की वजह से भारतीय क्रिकेट की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। इसके चलते अब दुश्मनों के भी दोस्त बनने की संभावना नजर आ रही है।
मुबंई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के अध्यक्ष शरद पवार एक बार फिर अध्यक्ष बनने के इच्छुक है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख 74 वर्षीय शरद पवार की पार्टी इस समय महाराष्ट्र में सत्ता में नहीं है और इसके चलते पवार के पास काफी समय है। एमसीए सूत्रों के अनुसार पवार अब क्रिकेट में ज्यादा समय देने के इच्छुक नजर आ रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिलचस्प बात यह है कि पवार को अध्यक्ष बनने के सपने को साकार करने के लिए कट्टर प्रतिद्वंद्वी एन. श्रीनिवासन का समर्थन हासिल करना पड़ेगा। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के चलते श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद से हटना पड़ा था। इसके बावजूद तमिलनाडु के इस दिग्गज की बीसीसीआई में अच्छी खासी धाक है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अभी बीसीसीआई में कोई भी पद हासिल करने से इंकार कर रखा है। इस वजह से अनुराग ठाकुर गुट को दूर रखने के लिए श्रीनिवासन भी अब पवार को समर्थन दे सकते है।
ठाकुर गुट के पास अध्यक्ष पद के लिए कोई सशक्त दावेदार नहीं है। वैसे उत्तरप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के प्रमुख तथा आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला का नाम दावेदार के रूप में चल रहा है, लेकिन यदि पवार-श्रीनिवासन गुट एक हो गए तो शुक्ला उनके सामने टिक नहीं पाएंगे।
ऐसा है बोर्ड में मतों का गणित :
बीसीसीआई में इस वक्त 29 वोट डलने हैं (चूंकि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन को निलंबित किया गया है)। श्रीनिवासन गुट के पास करीब 12 वोट है जबकि शरद पवार के पास 8 वोट है। पवार के पास चार वोट पश्चिम क्षेत्र के है। इस प्रकार यदि श्रीनिवासन और पवार गुट एक हो जाए तो इन्हें कोई नहीं रोक सकता है। वैसे तो भाजपा शासित राज्यों में अरूण जेटली के आदेश को कोई टालेगा नहीं, लेकिन श्रीनिवासन-पवार को वो भी नहीं रोक पाएंगे।
वैसे बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और पवार गुट के खास शशांक मनोहर हमेशा ही श्रीनिवासन के कट्टर विरोधी रहे है। इसी गुट के अजय शिर्के (महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के प्रमुख) भी श्रीनिवासन को पसंद नहीं करते हैं। लेकिन एमसीए के सूत्रों के अनुसार यदि पवार ने तय कर लिया तो वे किसी की भी नहीं सुनते हैं।