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मोदी के अध्यक्ष रहने से आरसीए को होगा नुकसान

ललित मोदी के फिर अध्यक्ष पद पर काबिज होने की कीमत राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) को चुकानी पड़ेगी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) से निलंबित आरसीए को वनडे और आइपीएल मैचों की मेजबानी से तो वंचित रहना पड़ेगा, साथ ही राजस्थान को मिलने वाली करीब 40 करोड़ रुपये की

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2015 08:39 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2015 08:49 PM (IST)
मोदी के अध्यक्ष रहने से आरसीए को होगा नुकसान

जयपुर: ललित मोदी के फिर अध्यक्ष पद पर काबिज होने की कीमत राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) को चुकानी पड़ेगी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) से निलंबित आरसीए को वनडे और आइपीएल मैचों की मेजबानी से तो वंचित रहना पड़ेगा, साथ ही राजस्थान को मिलने वाली करीब 40 करोड़ रुपये की अनुदान राशि भी बंद रहेगी।

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इससे जिलों में क्रिकेट का विकास बाधित होगा और सुविधाओं के रखरखाव में भी मुश्किल आएंगी।

करीब एक वर्ष से आरसीए में चल रहे सत्ता संघर्ष का नुकसान खिलाडि़यों को उठाना पड़ा। मोदी और अमीन पठान गुट में हुए विवाद के बाद राजस्थान में क्रिकेट गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गई। न जिला स्तरीय प्रतियोगिताएं हुई और न ही जिलों में क्रिकेट विकास के कार्य हुए।

यहां तक की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए दो बार की रणजी चैंपियन राजस्थान टीम के खिलाडि़यों को कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट ने बीसीसीआइ की सहमति से एक समिति गठित की जो राजस्थान की टीमों का चयन करने के साथ प्रतियोगिताएं आयोजित करवा रही है।

सत्ता के बल पर बने थे अध्यक्ष :

मोदी को आरसीए में काबिज कराने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा 2005 में खेल कानून लाया गया। इसका सबसे ज्यादा फायदा आरसीए को ही मिला। व्यक्तिगत सदस्यों का मताधिकार समाप्त किया गया और जिला संघों के सचिवों के बहुमत से मोदी पहली बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए। मोदी ने चार वर्ष का कार्यकाल पूरा किया।

कांग्रेस का कार्यकाल आते ही मोदी की मुखालाफत शुरू हो गई और संजय दीक्षित की अध्यक्षता वाली आरसीए सिर्फ नौ माह बाद ही विवाद होने के कारण भंग कर दी गई। आरसीए में तदर्थ समिति गठित की गई और जब चुनाव हुए तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी ने अध्यक्ष पद पर दावेदारी पेश कर दी।

जिला सचिवों ने जोशी का दामन थामा, लेकिन 2013 में भाजपा की लहर देखकर जिला सचिवों ने मोदी खेमे का रुख किया। हालात ऐसे बने की जोशी अध्यक्ष पद की दावेदारी से हट गए। मोदी के अध्यक्ष बनने के बाद पठान गुट ने बगावत का झंडा तो उठाया, लेकिन सरकारी दखल के चलते उन्हें बैकफुट पर जाना पड़ा।


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