कोच कपिल देव नहीं होते तो भारत को नहीं मिल पाता चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव
कुलदीप यादव ने कहा कि वो मेरे कोच ही थे जिन्होंने मुझे तराशा और मुझे चाइनामैन गेंदबाज बनाया।
अंकुश, कानपुर। गुरु को तपस्या का फल तभी प्राप्त होता है जब शिष्य सफलता के शीर्ष पर काबिज होता है। गुरु शिष्य की कुछ ऐसी कहानी कानपुर के जाजमऊ स्थित रोवर्स मैदान में देखने को मिलती है। जहां चाइनामैन गेंदबाजी के रूप में बल्लेबाजों के लिए पहेली बन चुके कुलदीप यादव कोच कपिल देव पांडे के साथ आज भी गेंदबाजी की बारीकियों को सीखने में जुटे रहते हैं।
कोच कपिल देव पांडे बताते हैं कि वर्ष 2003 में कुलदीप के पिता रामसिंह बतौर तेज गेंदबाज के रूप में कुलदीप को प्रशिक्षण के लिए रोवर्स मैदान में लाए थे। कम हाइट के कारण शुरूआती 2 सप्ताह में ही कुलदीप को स्पिन गेंदबाजी कराने की रणनीति बनाई। जब कुलदीप के हाथ में गेंद थमाई तो उसने लेफ्ट आर्म स्पिन के स्थान पर कुछ अलग प्रकार की ही गेंद फेंकी। जिसे मैंने चाइनामैन नाम दिया। निरंतर अभ्यास और उसकी लगन के कारण अंडर-12, अंडर-16 और अंडर-19 में कुलदीप ने शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन कर अपनी छाप छोड़ी। गेंदबाजी का यह नया हीरा अपनी चमक बिखेर ही रहा था। उसी दौरान पिता के बिजनेस में नुकसान और बेहतर पिच की कमी ने काफी हद तक परेशान किया।
मुश्किल भरे दौर के बावजूद भी कुलदीप के पिता ने मुझे 21000 और चार ट्रक बेहतर क्वालिटी की मिट्टी दी। जिसके बदौलत रोवर्स मैदान में पिच बना सका। बेहतर पिच मिलने के बाद कुलदीप ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2017 में भारतीय टीम में जगह बना कर कानपुर का नाम विश्व भर में रोशन किया। वे बताते हैं कि कुलदीप के करियर को लेकर उन्होंने जो फैसला लिया उसकी सफलता ने आज मुझे पहचान दिलाई। ऐसे शिष्य का आजीवन ऋणी रहूंगा। जिसकी सफलता ने मुझे पहचान दिलाई।
शेन वॉर्न मॉडल के तहत कुलदीप को किया तैयार
कुलदीप यादव को ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज और जादुई स्पिनर शेन वॉर्न जैसा बनाने के लिए उनके मॉडल के तहत ही अभ्यास कराया। उनके वीडियो दिखाकर अंगुली और कलाई का प्रयोग करना सिखाया। कपिल देव पांडे बताते हैं कि जब भी मुंबई से खेलते थे तब सचिन के गुरु आचरेकर सर जिस तर्ज पर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते थे उसी तर्ज पर कुलदीप को प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाया। वर्ष 2002 में जोनल कैंप में भारतीय टीम को वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान कपिल देव के आने के बाद ही 2003 में कुलदीप जैसा खिलाड़ी मिला जो टेस्ट टीम में जगह बना कर भारतीय गेंदबाजी करने का प्रमुख चेहरा बना।
प्रशिक्षण के बाद भी सीखने की करते थे जिद
कुलदीप शुरुआती दिनों में रोवर्स मैदान में प्रशिक्षण के बाद भी घर नहीं जाते थे। सारे खिलाड़ियों के चले जाने के बाद भी वे नेट पर मुझसे गेंदबाज़ी की बारीकियां सीखने की जिद करते रहते थे। भारतीय टीम के प्रमुख गेंदबाज बनने के बाद भी कुलदीप आज भी उसी जिद और लगन से नेट्स पर गेंदबाजी करते रहते हैं। कुलदीप यादव ने कहा कि कपिल देव पांडे सर ने मुझे गेंदबाजी की बारीकियां सिखा कर चाइनामैन गेंदबाजी का प्रमुख चेहरा बनाया। यह उनका योगदान ही है जिसके कारण मैं आज भारतीय टीम का सदस्य बना।