World Cup 2019: मैच नहीं एक पोस्टर की वजह से भिड़े थे पाक-अफगानी फैंस, जानें- क्या है पूरी कहानी
ICC World Cup 2019 मैच के दौरान प्लेन स्टेडियम के ऊपर से गुजरा और उस पर जस्टिस फॉर बलूचिस्तान लिखा हुआ था। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
नई दिल्ली, जेएनएन। ICC World Cup 2019: शनिवार को अफगनिस्तान और पाकिस्तान के मैच के दौरान दर्शक आपस में भिड़ गए। बवाल इतना मच गया कि कुछ दर्शक स्टेडियम में ही भिड़ गए। जब उन्हें बाहर किया गया, तो वह फिर वापस लड़ने लगे। स्टेडियम में राजनीतिक नारे बाजी हुई और मैदान में बोतलें भी फेंकी गईं। इस पूरे विवाद के पीछे है एक स्लोगन। बात यू हैं कि मैच के दौरान प्लेन स्टेडियम के ऊपर से गुजरा और उस पर 'जस्टिस फॉर बलूचिस्तान' लिखा हुआ था। इसी स्लोगन की वजह से दर्शक आपस में भिड़ गए। जानते हैं इस स्लोगन के पीछे की पूरी कहानी...
क्या बलूचिस्तान और अफगानिस्तान का कनेक्शन
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का एक प्रांत है, जिसकी सीमाएं अफगानिस्तान से जुड़ी हुईं हैं। बलूचिस्तान के लोग 70 के दशक से आजादी की मांग कर रहे हैं और अफगानिस्तान इसके समर्थन में है। अफगानिस्तान में भी काफी बलूची लोग रहते हैं। वे इसको लेकर काफी संवेदनशील हैं। पाकिस्तान पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि वह बलूच के आंदोलनकारियों का दमन कर रही है। उन्हें गैर कानूनी रूप से मारा जा रहा है। इसको लेकर अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सक्रिय है। हालफिलहाल फरवरी में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इसको लेकर ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा 'खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करनेवालों पर हुई हिंसा को लेकर अफगान सरकार बेहद चिंतित है।' इसको लेकर न्याय की मांग की जा रही है।
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आजादी से पहले का आंदोलन
बलूचिस्तान की आजादी को लेकर 1947 से पहले से आंदोलन चल रहा है। सबसे पहले वर्ष 1944 में जनरल मनी ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का स्पष्ट विचार रखा था। इसको लेकर ब्रिटिश सरकार ने एक बार मन भी बनाया था। हालांकि, 1947 के बाद इसे पाकिस्तान में शामिल कर दिया गया। 4 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान के विलय की घोषणा की गई और 11 अगस्त को बलूचिस्तान के लोगों ने आजादी की घोषणा कर दी । इसके बाद 1948 में माउंटबेटन और पाकिस्तानी नेताओं ने बलूचिस्तान के निजाम अली खान पर दबाव डालकर इस रियासत का पाकिस्तान में जबरन विलय कर दिया। इसके बाद 1958-59, 1962-63 और 1973-77 के दौर में संघर्ष तेज हुआ। मामला सबसे ज्यादा 2003 में खराब हुआ, जब पाकिस्तानी सेना और अलगावादियों के बीच जंग चरम पर पहुंच गई।
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भारत भी करता है समर्थन
बलूचिस्तान के इस संघर्ष का समर्थन भारत भी करता है। 2016 में 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से बलूचिस्तान के संघर्ष की बात छेड़कर पाकिस्तान के भीतर जारी स्थानीय टकरावों और आजादी की मांगों की ओर दुनिया का ध्यान दिलाया था, जिनकी चर्चाएं दुनिया में कुछ कम हैं। यह मुद्दा भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मामले में घेरा जा सकता है।