बॉल टैंपरिंग को लीगल बनाने पर विचार कर सकता है आइसीसी- रिपोर्ट
ICC may consider making ball tampering legal कोविड 19 महामारी की वजह से गेंद को चमकाने के लिए खिलाड़ी थूक का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। मैदान पर गेंदबाज पहले गेंद को चमकाने के लिए सलाइवा यानी थूक का उपयोग करत थे, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से अब गेंदबाज ऐसा नहीं कर पाएंगे। इस स्थिति में अब गेंद को चमकाने के लिए आर्टिफिशियल चीज के इस्तेमाल की अनुमति देेने पर विचार किया जा सकता है। यानी आसान भाषा में ये कहा जा सकता है कि बॉल टैंमरिंग को अब लीगल किया जा सकता है। कोविड 19 महामारी के बाद जब क्रिकेट फिर से शुरू होता तब आइसीसी को इस पर कुछ फैसला करना ही होगा।
ईएसपीएन क्रिकइंफो की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासक अंपायरों की देखरेख में गेंद को चमकाने के लिए आर्टिफिशियल चीज के इस्तेमाल की अनुमति देने के विकल्प कप विचार किया जा रहा है। वैसे देखा जाए तो ये क्रिकेट के नियमों के तहत गेंद से छेड़छाड़ करने के दायरे में ही आता है। टेस्ट क्रिकेट की बात की जाए तो इसमें गेंद की चमक काफी मायने रखती है क्योंकि इससे गेंद को रिवर्स स्विंग या फिर स्विंग कराने में मदद मिलती है। अगर ऐसा होता है तो ये एक बड़ा बदलाव हो सकता है क्योंकि साल 2018 में गेंद को सैंड पेपर से चमकाने के आरोप में स्टीव स्मिथ व डेविड वार्नर को एक साल का बैन झेलना पड़ा था।
आपको बता दें कि गुरुवार को ही आइसीसी मुख्य कार्यकारी समिति की बैठक ऑनलाइन की गई थी और इसके बाद मेडिकल कमेटी के प्रमुख पीटर हारकोर्ड ने एक अपडेट जारी किया था। इसमें साफ तौर पर ये कहा गया था कि हमारी अगली कोशिश इंटरनेशनल क्रिकेट की बहाली का खाका तैयार करना होगा। इसके लिए हम ये तय करेंगे कि हमें क्या-क्या कदम उठाने की जरूरत है।
आइसीसी की तरफ से कहा गया था कि हम इसमें हर पहलू को ध्यान में रखेंगे जिसमें खिलाड़ियों की तैयारी से लेकर सरकार के दिशा-निर्देश व उनकी तरफ से लगाई गई पाबंदियां भी शामिल होंगी। वहीं भारत के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने गेंद पर थूक का इस्तेमाल नहीं करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि खेल बहाल होने पर कुछ समय के लिए सिर्फ पसीने का ही इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि खिलाड़ियों की सुरक्षा सबसे उपर है और उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।