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सांसद गौतम गंभीर ने DDCA के निदेशक पद से दिया इस्तीफा, इस बात से थे नाराज

पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने सांसद बनने के कारण DDCA के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया है। इसका कारण भी उन्होंने बताया है।

By Vikash GaurEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 09:18 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 09:18 AM (IST)
सांसद गौतम गंभीर ने DDCA के निदेशक पद से दिया इस्तीफा, इस बात से थे नाराज
सांसद गौतम गंभीर ने DDCA के निदेशक पद से दिया इस्तीफा, इस बात से थे नाराज

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज और मौजूदा भाजपा सासंद गौतम गंभीर ने निराश होकर दिल्ली जिला एवं राज्य क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया है। वह सरकार की तरफ से डीडीसीए में नामित निदेशक थे लेकिन उन्होंने अब इस राज्य क्रिकेट संघ से किनारा कर लिया।

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गौतम गंभीर के करीबी ने कहा कि यह भारतीय क्रिकेटर दिल्ली के खिलाडि़यों के लिए सोचता था और बहुत कुछ करना चाहता था लेकिन डीडीसीए में कुछ ऐसे फैसले लिए जिनसे उनका मन खराब हो गया। यही नहीं उन्होंने खिलाडि़यों की बेहतरी के लिए कई सिफारिशें की जिसमें से अधिकतर को दरकिनार कर दिया गया। इसके अलावा सांसद बनने के बाद उनकी जिम्मेदारियां भी बढ़ गई तो उन्होंने सोचा कि जब डीडीसीए में उनके मन का नहीं हो रहा है तो यहां से हटना ही बेहतर होगा।

डीडीसीए का चुनाव जीतने के बाद सचिव विनोद तिहारा ने कहा था कि राज्य संघ में क्रिकेट से जुड़े मुद्दों पर फैसला गौतम गंभीर करेंगे। डीडीसीए के संविधान के अनुसार यहां सरकार की तरफ से तीन निदेशक नियुक्त होते हैं जिसमें से एक दिल्ली के पूर्व कप्तान गंभीर थे।

भारत की विश्व कप टीम के सदस्य गंभीर के करीबी ने कहा कि आप देखिये जैसे ही सौरव गांगुली का बीसीसीआइ अध्यक्ष बनना तय हुआ उन्होंने सबसे पहली बात प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों को लेकर कही क्योंकि एक क्रिकेटर को पता होता है कि कदम किस तरफ उठाने हैं। गंभीर भी दिल्ली के क्रिकेटरों के लिए ऐसा ही करना चाहते थे।

वह चाहते थे कि प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों को अच्छी मेडिकल सुविधा मिले क्योंकि राष्ट्रीय टीम में पहुंचने के बाद तो सबको अच्छी सुविधाएं मिल जाती हैं लेकिन राज्य स्तर पर जब उनको जरूरत होती है तब कुछ अच्छा नहीं मिल पाता। गंभीर और वीरेंद्र सहवाग जब दिल्ली के लिए क्रिकेट खेलते थे तो कई बार उनके खाने में छोटे-छोटे पत्थर और पिन तक निकलीं। आप सोचिये कि क्या स्तर होगा, गंभीर ऐसे स्तर से दिल्ली के क्रिकेटरों को निकालना चाहते थे।

गंभीर ने डीडीसीए से कहा कि आप खिलाडि़यों को फाइव स्टार में रुका रहे हैं तो उनका दैनिक भत्ता भी बढ़ाइये। जब दिल्ली की टीम के खिलाड़ी फाइव स्टार में रुकते हैं तो सुबह का नाश्ता कांप्लीमेंट्री होता है लेकिन दोपहर और रात का खाना खिलाडि़यों को अपने दैनिक भत्ते से ही करना होता है। अगर आप फाइव स्टार होटल में एक दिन में दो बार खाना खाएंगे तो कम से कम 3000 से 4000 हजार रुपये की जरूरत होगी। इसके अलावा भी बहुत सारे खर्च होते हैं।

डीडीसीए ने हाल में दैनिक भत्ता बढ़ाया लेकिन जूनियर क्रिकेटरों का भत्ता 800 से सिर्फ 1500 किया जबकि सीनियर क्रिकेटरों का दैनिक भत्ता 1000 से 2000 रुपये किया गया। महिला क्रिकेटरों का भत्ता पुरुषों के बराबर कर दिया गया लेकिन गंभीर इससे खुश नहीं थे। इसके अलावा गंभीर ने दिल्ली के क्रिकेटरों और उनके परिवार वालों का इंश्योरेंस कराने की सिफारिश की थी जिसे भी समय रहते नहीं माना गया।

गंभीर को लगा कि जब उनकी डीडीसीए को जरूरत ही नहीं है तो वह अपना पूरा ध्यान सांसद के तौर पर अपने संसदीय क्षेत्र पूर्वी दिल्ली पर लगाएं। इसी कारण उन्होंने कुछ दिन पहले केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू को अपना इस्तीफा भेज दिया। जब इस बारे में डीडीसीए अध्यक्ष रजत शर्मा से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनका फोन किसी और ने उठाया और बाद में बात कराने का वादा किया। जब सचिव तिहारा से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गंभीर से किसी बारे में राय ही नहीं ली गई तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया।


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