निर्भया के दोषियों को मिली फांसी, गौतम गंभीर बोले- हम लेट हैं; बाकी खिलाड़ियों ने दिया ये रिएक्शन
शुक्रवार की सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया के चारों दोषियों को फांसी पर तब तक लटकाया गया जब तक कि उनकी मौत नहीं हो गई। इसी मामले में कुछ खिलाड़ियों ने प्रतिक्रिया दी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। शुक्रवार 20 मार्च 2020 की तारीख भारत की न्यायपालिका में एक इतिहास की तरह याद की जाएगी, क्योंकि गैंगरेप के मामले में चार दोषियों को एकसाथ फांसी पर लटकाया गया है। शुक्रवार की सुबह साढ़े 5 बजे जब पूरा देश और देश की राजधानी नींद में थी तो उसी समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में चार दरिंदों को फांसी पर लटकाया गया। साल साल से ज्यादा के इंतजार के बाद दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद निर्भया की हत्या के मामले में चारों दोषियों को फांसी होने के बाद दिग्गज खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस फैसले को सराहा है।
बता दें कि निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को फांसी दे दी गई। इस ऐतिहासिक दिन को खेल जगत की हस्तियों ने न्याय दिवस करार दिया है। भारतीय की वर्ल्ड विनिंग टीम के हिस्सा रहे गौतम गंभीर और ओलिंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट योगेश्वर दत्त जैसे खिलाड़ियों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने ट्वीट करते हुए लिखा है, "आखिरकार सभी को फांसी हो गई। निर्भया, जानते हैं हम लेट हैं।
Hanged till death! Finally! I know we are late Nirbhaya. #NirbhayaJustice— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) 20 March 2020
गौतम गंभीर के बाद ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने अपने ट्विटर पर लिखा है, "सत्य परेशान हो सकता लेकिन पराजित नहीं। और अंततः निर्भया के दोषियों को आज फांसी हुई। सात साल बाद ही सही, देश की बेटी को इंसाफ तो मिला। लाजिम है कि हमने देख लिया वो दिन कि जिसका वादा था।"
वहीं, महिला पहलवान गीता और बबीता फोगाट ने भी इस दिन को न्याय दिवस बताया है। बबीता ने लिखा है, " निर्भया न्याय दिवस। चारों दरिंदो को दी गई फांसी।" गीता फोगाट ने लिखा है कि 7 साल के बाद इन्साफ का सूरज उगा।
आपको बता दें, ये मामला 16 दिसंबर 2012 का है, जब 6 दरिंदों ने मिलकर एक छात्रा का गैंगरेप किया और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया था। इस मामले में जो 6 दोषी थे उनमें से एक ने जेल में ही फांसी लगा ली थी, जबकि एक नाबालिग अपराधी बाल सुधार गृह के लिए भेजा गया था, जिसे बाद में छोड़ दिया गया। वहीं, बाकी चार अपराधियों की फांसी का ड्रामा कई महीनों तक चला, जिसमें 3 बार डेथ वारंट भी जारी किया गया, लेकिन 20 मार्च 2020 को उनको एकसाथ फांसी पर लटका दिया गया।