लोकपाल ने DDCA कोषाध्यक्ष को किया बर्खास्त, माननीय को नहीं मिलेगी क्रिकेट संघ की कुर्सी
बीसीसीआइ संविधान के मुताबिक कोई माननीय किसी भी क्रिकेट संघ का पदाधिकारी नहीं बन सकता है। इसलिए भाजपा विधायक को डीडीसीए के कोषाध्यक्ष पद से बर्खास्त किया गया है।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के लोकपाल ने डीडीसीए के कोषाध्यक्ष और दिल्ली के भाजपा विधायक ओमप्रकाश शर्मा को बर्खास्त कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने कुछ महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। लोकपाल रिटायर्ड जस्टिस दीपक वर्मा ने इन दोनों पदों के लिए जल्द चुनाव कराने का आदेश दिया है। उन्होंने तीन दिन के अंदर चुनाव अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा है।
कोषाध्यक्ष को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के नए संविधान के उल्लंघन का दोषी पाते हुए कार्रवाई की गई है। साथ ही लोकपाल ने डीडीसीए की दो महीने के बैंक खाते का लेखा-जोखा 10 दिन के अंदर दिखाने का आदेश दिया है। डीडीसीए के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने पिछले साल नवंबर में पूर्व लोकपाल बदर दुरेज अहमद से इस मामले में निर्देश मांगे थे लेकिन इस बीच नए लोकपाल की नियुक्ति हो गई।
नए लोकपाल दीपक वर्मा के सामने 11 दिसंबर 2019 को यह मामला आया। इसके बाद 16 दिसंबर को ओपी शर्मा के प्रतिनिधि सुनवाई में उपस्थित हुए और उन्होंने जवाब देने के लिए 10 दिनों का समय मांगा। सोमवार के आदेश में लिखा है कि पूर्व लोकपाल के बदले जाने की वजह से सुनवाई में देरी हुई। इसके बाद आगे की सुनवाई में मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया।
इसके बाद मैंने पुराने रिकॉर्ड देखे और पाया कि ओपी शर्मा ने अब तक जवाब नहीं दिया है। 19 जनवरी की सुनवाई में जब ओपी शर्मा नहीं पहुंचे तो मैंने उन्हें फोन किया और कहा कि वह 30 जनवरी को या इससे पहले तक अपना जवाब दें। लोकपाल ने यह भी बताया कि यह दूसरा मौका था जब उन्हें जवाब देने का नोटिस दिया गया। इससे पहले उनकी दो ईमेल आइडी पर 19 जनवरी की सुनवाई के नोटिस भेजे गए थे। 19 जनवरी को ना तो वह आए और ना ही उनकी ओर से कोई प्रतिनिधि सुनवाई में आया।
ओपी शर्मा ने नहीं दिया जवाब?
हालांकि, ओपी शर्मा ने एक पत्र भेजा जिसमें लिखा था कि सुनवाई की तिथि का उन्हें कोई ईमेल मिला ही नहीं है। हालांकि इस बीच उनकी तरफ से कहा गया कि ये दोनों ईमेल उनके नहीं है। नए ईमेल पर भी तुरंत ओपी शर्मा को जवाब दिया गया कि आप कार्रवाई में देरी कर रहे हैं। उनकी ओर से नई ईमेल आइडी से मेल आया जिसमें लिखा था कि दो जुलाई 2018 को उन्होंने चुनाव जीतकर पद संभाला था इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन पर लागू नहीं होता है क्योंकि शीर्ष अदालत ने पांच जुलाई 2018 से पहले हुए चुनावों को वैध माना था।
ऐसे में जब उनका चुनाव पूर्व संविधान के अनुसार हुआ है तो वह डीडीसीए कोषाध्यक्ष और विधायक पद पर एक साथ बने रह सकते हैं। हालांकि वह ऐसा कोई आदेश नहीं दिखा सके जिसमें लिखा हो कि पूर्व संविधान के अनुसार चुनाव हो सकते हैं। ईमेल में उन्होंने लिखा कि डीडीसीए की वार्षिक आम सभा का उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला। नए लोकपाल की नियुक्ति भी अवैध तरीके से हुई है। उन्होंने यह भी लिखा कि डीडीसीए के वकील अंकुर चावला की ओर से कोई भी शिकायत का नोटिस उन्हें नहीं मिला है। चावला ने साफ कहा कि ओपी शर्मा जानबूझकर सुनवाई को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके बाद लोकपाल ने ओपी शर्मा को उनके पद से बर्खास्त कर दिया।
कार्यकारी अध्यक्ष पर भी तलवार
रजत शर्मा की जगह कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभाल रहे राकेश बंसल पर भी तलवार लटकती नजर आ रही है। बंसल के खिलाफ भी डीडीसीए के कई अधिकारियों ने शिकायत की थी। जिसमें से लोकपाल ने सुनील कुमार जैन, विश्वजीत सेनापति और अजय शर्मा की शिकायतों पर सुनवाई की। इन लोगों ने शिकायत की है कि बंसल पर कई तरह के आपराधिक केस चल रहे हैं और बीसीसीआइ के संविधान के तहत वह इस पद पर नहीं बने रह सकते हैं। हालांकि लोकपाल ने अभी और भी शिकायतों की सुनवाई करने की बात कही और फिलहाल इस फैसले को लंबित करने का निर्णय लिया।