DDCA में हुआ बड़ा घोटाला, क्रिकेट निदेशक ने लोकपाल को ईमेल कर दिए सबूत
DDCA में एक बार फिर से बड़ा घोटाला सामने आया है जिसके सबूत क्रिकेट निदेशक ने लोकपाल को ईमेल कर दिए हैं।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के क्रिकेट निदेशक संजय भारद्वाज ने लोकपाल (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश दीपक वर्मा को मंगलवार को ईमेल करके अरुण जेटली स्टेडियम में चल रहे निर्माण कार्यों में घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी स्वतंत्र ऑडिटर से इसकी मांग की है। दैनिक जागरण ने पहले ही डीडीसीए के अरुण जेटली स्टेडियम में चल रहे रेस्तरां, लाउंज और बार के निर्माण कार्य में घोटाले के संदेश को लेकर खबर लिखी थी। इसके लिए लोकपाल दीपक वर्मा ने संजय भारद्वाज (फाइनेंसियल कमेटी), (फाइनेंसियल एवं इंफ्रा कमेटी), आलोक मित्तल (फाइनेंसियल एवं इंफ्रा कमेटी), एसएन शर्मा (फाइनेंसियल कमेटी), नितिन गुप्ता (इंफ्रा कमेटी), रेणु खन्ना (इंफ्रा कमेटी)को नोटिस जारी कर 31 मार्च को पेश होने को कहा था।
अब फाइनेंसियल कमेटी में शामिल संजय भारद्वाज ने मंगलवार को लोकपाल को ईमेल पर लिखा कि कथित कंपनी को 1,65,92,465 रुपये की बड़ी राशि का फायदा पहुंचाया गया है इसलिए मैं आपसे तत्काल एक स्वतंत्र ऑडिटर की नियुक्ति के लिए एक उचित निर्देश पारित करने की प्रार्थना करता हूं। जिससे वह ऑडिटर डीडीसीए और उक्त कंपनी के बीच हुए समझौते व किए गए कार्य का फॉरेंसिक ऑडिट कर सके। डीडीसीए के अरुण जेटली स्टेडियम में लाउंज, बार और रेस्तरां बनाने के लिए 10 दिसंबर 2019 को हुए समझौते में निर्माण कंपनी का पता 540, गली नंबर 10, सरदारपुर कॉलोनी, सेक्टर-45 नोएडा लिखा है। मंगलवार को मैं बताए गए पते पर गया और एक वीडियो बनाया, जो आपके संज्ञान के लिए इसके साथ संलग्न है। वहां गली नंबर 10 में 540 नंबर का कोई भी प्लाट या मकान नहीं है और आखिरी मकान का नंबर 480 है। वह क्षेत्र झुग्गी झोपडि़यों का है जहां खुले में गंदगी है और उसमें सूअर घूमते हैं। उस क्षेत्र में मेसर्स एमएसएल जांगीड़ जेवी कंपनी का कोई भी ऑफिस नहीं है। दैनिक जागरण के पास वह ईमेल और वीडियो दोनों मौजूद है।
भारद्वाज ने आगे लिखा कि शीर्ष परिषद की 19 अक्टूबर 2019 को हुई बैठक के मिनट्स से पता चलता है कि अनुबंध आर्चोहम कंसल्ट ने बनाया और बाद में डीडीसीए के कानूनी सलाहकार सौरभ चढ्ढा ने इसका निरीक्षण किया। हालांकि, आठ दिसंबर 2019 के ईमेल से स्पष्ट है कि एडवोकेट सुमित सिद्धार्थ और इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी के चेयरमैन नितिन गुप्ता के निर्देशों पर 10 दिसंबर 2019 को हस्ताक्षरित समझौते का मसौदा तैयार किया गया था। 19 अक्टूबर 2019 को लिए गए फैसले के बाद शीर्ष परिषद ने कोई फैसला नहीं लिया है। समझौते की प्रति मेसर्स आर्चोहम कंसल्ट के साथ हस्ताक्षरित है, जो उपलब्ध नहीं है और उसे नियुक्त करने वाली शीर्ष परिषद का कोई निर्णय नहीं है। प्रत्येक भुगतान को नितिन गुप्ता की इंस्फ्रास्ट्रक्चर कमेटी के चेयरमैन के रूप में नियुक्ति के बाद किया गया है। उपरोक्त चेक मेसर्स एमएसएल जांगीड़ जेवी को जारी किया गया था, जिसे निजी तौर पर डीडीसीए के ऑफिस से आलोक मित्तल ने प्राप्त किया था।
भारद्वाज ने लिखा कि इन सब को देखते हुए आप फॉरेंसिक ऑडिट करने के लिए एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करने और उक्त समझौते से संबंधित दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेने के लिए एक स्वतंत्र व्यक्ति को नियुक्त करने के तत्काल निर्देश जारी करें, क्योंकि दस्तावेजों को नष्ट करने की संभावना है। डीडीसीए उस निर्माण कार्य के लिए अब तक 1.65 करोड़ रुपये (लगभग) का भुगतान कर चुका है। हाल ही में मैंने एक चेक की स्टॉप पेमेंट कराई। इस समझौते में संदेह के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि एक अस्तित्वहीन कंपनी ने डीडीसीए को गलत पता देकर गुमराह किया है। साथ ही समझौते में कोई मूल्य नहीं है जो बैंक गारंटी प्रदान करे, ताकि डीडीसीए के हितों की रक्षा हो सके। दैनिक जागरण ने संबंधित कंपनी में काम करने वालों से बात करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।