CIC ने खेल मंत्रालय से पूछा, BCCI को आरटीआइ के दायरे में क्यों नहीं ला सकते?
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि लंबी चली आ रही इस अनिश्चितता पर रोक लगाना सीआइसी का काम है
नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने बीसीसीआइ और खेल मंत्रालय से यह बताने के लिए कहा है कि विभिन्न न्यायिक फैसलों और विधि आयोग की ताजा रिपोर्ट के मद्देनजर बीसीसीआइ को आरटीआइ अधिनियम के तहत क्यों नहीं लाया जा सकता। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि लंबी चली आ रही इस अनिश्चितता पर रोक लगाना सीआइसी का काम है। इसके चलते बीसीसीआइ में पारदर्शिता और जवाबदेही का आभाव है।
यह मसला उनके सामने तब आया जब खेल मंत्रालय आरटीआइ आवेदक गीता रानी को संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। गीता रानी ने उन प्रावधानों और निर्देशों की जानकारी मांगी थी जिनके तहत बीसीसीआइ भारत का प्रतिनिधित्व और देश की टीम का चयन करता है। आवेदक ने पूछा था कि बीसीसीआइ द्वारा चुने गए खिलाड़ी उसके लिए खेलते हैं या भारत के लिए और एक निजी संघ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकता है?
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए टीम चुनने का अधिकार बीसीसीआइ को देने में सरकार का क्या फायदा है? मंत्रालय ने कहा था कि उसके पास कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि बीसीसीआइ आरटीआइ अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है लिहाजा आरटीआइ आवेदन उसे नहीं दिया जा सकता। आचार्युलू ने कहा कि यह जानना जरूरी है कि बीसीसीआइ आरटीआइ अधिनियम के तहत जवाबदेह है या नहीं।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब बीसीसीआइ को आरटीआइ में लाने पर विवाद हो रहा है। इससे पहले भी कई बार मांग उठ चुकी है कि बीसीसीआइ आरटीआइ की दायरे में आए क्योंकि उसकी टीम देश के नाम से खेलती है, वहीं बीसीसीआइ हमेशा से ही इसका विरोध करता रहा कि वह आरटीआइ के दायरे में आए। इसका कहना है कि वह एक प्राइवेट बॉडी है जिसका अलग कानून और नियम है।
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