करोड़ों का है खेल, इस साल हर हाल में आइपीएल कराना चाहता है बीसीसीआइ
आइपीएल 2020 का वास्तविक आयोजन 29 मार्च से होना था लेकिन ऐसा अनुमान है कि बोर्ड अकेले मीडिया अधिकारों और स्पॉन्सरशिप से ही 4000 करोड़ रुपये की कमाई कर चुका है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के 13वें सत्र को वास्तविक स्वरूप देने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुटा हुआ है। बीसीसीआइ ने प्रसारणकर्ता स्टार टीवी और विभिन्न प्रायोजकों से 2000 करोड़ रुपये की राशि एडवांस ले रखी है और वह नहीं चाहता कि भारत में बढ़ रहे कोविड-19 के मामलों को देखते हुए उसे यह गंवानी पड़े। दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआइ के लिए आइपीएल पैसा कमाने का सबसे बड़ा जरिया है। आइपीएल 2020 का वास्तविक आयोजन 29 मार्च से होना था, लेकिन ऐसा अनुमान है कि बोर्ड अकेले मीडिया अधिकारों और स्पॉन्सरशिप से ही 4000 करोड़ रुपये की कमाई कर चुका है।
इसमें मीडिया अधिकार धारक स्टार इंडिया से 3300 करोड़ रुपये, टाइटल स्पॉन्सर वीवो से 440 करोड़ रुपये और मैदानी प्रायोजकों, अंपायर और रणनीतिक टाइम-आउट भागीदारों के समूह से 170 करोड़ रुपये शामिल हैं। बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, 'आइपीएल का आयोजन नहीं करने का मतलब है कि बोर्ड की रूपरेखा के लिए 4000 करोड़ रुपये का सीधा झटका। हमें पहले ही करीब 2000 करोड़ रुपये एडवांस में मिल चुके हैं। आइपीएल का आयोजन नहीं करने का मतलब यह होगा कि या तो हमें इसे वापस देना होगा या एक साल के लिए सभी अनुबंधों का विस्तार करना होगा। दोनों ही विकल्प बोर्ड के पक्ष में नहीं हैं।'
लीग के टाइटल प्रायोजक वीवो ने पांच साल के लिए 2199 करोड़ रुपये में अधिकार हासिल किए थे। टाटा मोटर्स, एफबीबी और ड्रीम 11 सहित अन्य मैदानी प्रायोजकों के एक समूह को आइपीएल-13 के लिए 40 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। अंपायर पार्टनर पेटीएम और रणनीतिक टाइम-आउट पार्टनर क्रमश: 28 करोड़ और 23 करोड़ रुपये का भुगतान करना था।
बीसीसीआइ ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, जो आइपीएल को यूएई में कराने की अनुमति मांग रहा है और इसके लिए सितंबर-नवंबर की विंडो देख रहा है। इससे एक ओर जहां प्रशंसकों में खुशी है तो वहीं दूसरी ओर मीडिया अधिकार धारक स्टार इंडिया और टीम के मालिक अपने राजस्व को लेकर चिंतित हैं। एक फ्रेंचाइजी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'बीसीसीआइ की भरपाई हो जाएगी, लेकिन लेकिन फ्रेंचाइजियों का क्या होगा? इस साल टीम प्रायोजकों पर कुल 500 करोड़ रुपये दांव पर हैं। यदि मैच खाली स्टेडियम में आयोजित किए जाते हैं, तो टीम के प्रायोजक अपने करारों पर फिर से बात करेंगे।' हालांकि, उन्होंने कहा कि खिलाड़ी और टीम के मालिक लीग के पक्ष में हैं।