BCCI को लगा बड़ा झटका, ICC की बैठक में सभी देशों ने भारत से मुंह फेरा
आइसीसी और बीसीसीआइ के बीच बढ़ती इस तनातनी से जून में होने वाली आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के हिस्सा लेने पर सवाल और गहरा दिया है।
दुबई, प्रेट्र। विश्व क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट बोर्ड के प्रभुत्व को बुधवार को बड़ा झटका लगा, जब दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड दुबई में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) बोर्ड बैठक के दौरान संचालन ढांचे (गवर्नेंस स्ट्रक्चर) और राजस्व मॉडल पर हुए मतदान में बुरी तरह हार गया। भारत की हार की रूपरेखा बीसीसीआइ के पूर्व प्रमुख शशांक मनोहर ने ही तैयार की जो पहले स्वतंत्र चेयरमैन के रूप में आइसीसी के प्रमुख हैं।
संचालन ढांचे में बदलाव के मतदान में बीसीसीआइ को 1-9 से शिकस्त झेलनी पड़ी, जब भारत के अमिताभ चौधरी के अलावा सभी अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने इसके पक्ष में मत दिया। राजस्व मॉडल के विरोध को लेकर बीसीसीआइ की आपत्ति को भी आइसीसी बोर्ड ने 8-2 से खारिज कर दिया और इस बार चौधरी को सिर्फ श्रीलंका क्रिकेट के तिलंगा सुमतिपाला का समर्थन मिला।
बीसीसीआइ आइसीसी संचालन ढांचे में दो बदलावों का विरोध कर रहा था, जिसमें पूर्ण सदस्यता की समीक्षा और दो स्तर के टेस्ट ढांचे के लिए संविधान में बदलाव शामिल है। टकराव का बड़ा मुद्दा राजस्व मॉडल है, जिसमें भारत का हिस्सा 57 करोड़ डॉलर (करीब 37 अरब रुपये) की तुलना में लगभग आधा हो जाएगा। मनोहर ने पूर्व के 'बिग थ्री' मॉडल की तुलना में अधिक बराबरी के वितरण की वकालत की थी। पूर्व मॉडल में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को अधिक राजस्व मिल रहा था।
दुबई में मौजूद बीसीसीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यहां, मतदान खत्म हो गया है। यह राजस्व मॉडल के पक्ष में 8-2 और संवैधानिक बदलावों के पक्ष में 9-1 से रहा। बीसीसीआइ ने दोनों के खिलाफ वोट दिया, क्योंकि सैद्धांतिक तौर पर हम कहते रहे हैं कि ये सभी बदलाव हमें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। फिलहाल हम यही कह सकते हैं कि हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं। हमें विशेष आम बैठक में सदस्यों को स्थिति की जानकारी देनी होगी।'
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पता चला है कि बीसीसीआइ के अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर (लगभग छह अरब, 43 करोड़ रुपये) के राजस्व पेशकश सिरे से खारिज करने के बाद एक बार फिर उसे 29 करोड़ डॉलर (लगभग 18 अरब रुपये) का शुरुआती विकल्प दिया गया, जो उसे पिछले साल तक मिल रहे 57 करोड़ डॉलर से 28 करोड़ डॉलर कम है।
बीसीसीआइ यह मानकर चल रहा था कि उसे बांग्लादेश और जिंबाब्वे का समर्थन मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। बीसीसीआइ को इन दोनों देशों के रवैये से झटका लगा। इस तरह वोटिंग में हार से बीसीसीआइ के प्रशासकों की समिति (सीओए) को झटका लगेगा, जिनकी कई सदस्य देशों से चर्चा हुई थी। इससे यह बात साफ हो गई कि सीओए नजमुल हसन, डेविड पीवर और हारून लोर्गाट के विचारों को भांप नहीं पाए, ये सभी चर्चा के लिए भारत आए थे।