चैंपियंस ट्रॉफी से हटने पर भारत को होगा ये बड़ा नुकसान, बीसीसीआइ को निकालना होगा समाधान
बीसीसीआइ और आइसीसी की लड़ाई में पिस रही टीम इंडिया अगर चैंपियंस ट्रॉफी से हटती है को भारतीय बोर्ड को बड़ा नुकसान उटाना पडेगा।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। विनोद राय की अगुआई वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) ने भले ही यह कहा हो कि उसकी स्वीकृति के बिना बीसीसीआइ के पदाधिकारियों को भारत के चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने के बारे में कोई फैसला करने का अधिकार नहीं है, लेकिन इसके बावजूद बोर्ड और राज्य क्रिकेट संघ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक सीओए के सुपरविजन में बीसीसीआइ को काम करना है न कि उनके कहने पर चलना है।
आइसीसी के राजस्व और संचालन मॉडल में बदलाव के विरोध पर मतदान में भारत की हार के बाद बीसीसीआइ के कुछ पदाधिकारी और राज्य संघ टीम इंडिया के चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने के पक्ष में नहीं हैं। बीसीसीआइ और आइसीसी के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के विश्वासपात्रों ने टेलीकांफ्रेंस के जरिये टूर्नामेंट से हटने और वैश्विक संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के विकल्प पर चर्चा भी की।
इसके बाद सीओए प्रमुख विनोद राय ने कहा कि हमने निर्देश जारी किए हैं कि आइसीसी राजस्व मॉडल से संबंधित कोई भी फैसला सात मई को होने वाली बीसीसीआइ की विशेष आम बैठक (एसजीएम) में लिया जाना चाहिए, लेकिन बीसीसीआइ इकाइयों को कहा गया है कि वे हमारी स्वीकृति के बिना चैंपियंस ट्रॉफी से हटने के संदर्भ में कानूनी नोटिस जारी नहीं कर सकते।
बीसीसीआइ के एक पदाधिकारी ने कहा कि किसी भी संस्था की जनरल बॉडी ही सब कुछ होती है और उसके द्वारा लिया हुआ फैसला ही मान्य होता है। हम एसजीएम करने जा रहे हैं और अगर उसमें आइसीसी को कानूनी नोटिस भेजने के लिए आम सहमति बनती है तो हम भेजेंगे। बीसीसीआइ के पदाधिकारी अपने सदस्यों की राय को नकार नहीं सकते। उसे ऐसा करना ही होगा।
इससे पहले राय ने कहा था कि हमारी जानकारी में लाया गया है कि कुछ अधिकारियों ने टेलीकांफ्रेंस की है और वे उपरोक्त मामले में फैसला करना चाहते हैं। यह समझने की जरूरत है कि इस तरह का फैसला जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता। चैंपियंस ट्रॉफी से हटने के कारण भारत अगले आठ साल तक आइसीसी टूर्नामेंट में नहीं खेल पाएगा। यानि अगर टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी से हटकी है तो बीसीसीआइ को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, क्योंकि इस फैसले के बाद भारतीय टीम 2 वर्ल्ड कप में नहीं खेल पाएगी। तो ऐसे में बीसीसीआइ के कुछ सदस्य इस पर फैसला नहीं कर सकते।
अगर स्थिति आती है कि भारत को चैंपियंस ट्रॉफी से हटने की जरूरत है तो बीसीसीआइ एसजीएम में मतदान के पात्र सभी 30 सदस्यों का सर्वसम्मत फैसला होना चाहिए। खंडित फैसला नहीं हो सकता जहां कुछ हटने के पक्ष में हो और कई सदस्य इस फैसले के खिलाफ हों। अगर आप मुझसे पूछो तो यह बड़ा कदम तभी लिया जाना चाहिए जब सभी 30 सदस्य सर्वसम्मति से फैसला करें कि हटना जरूरी है।
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हालांकि बीसीसीआइ के सदस्य ने कहा कि सर्वसम्मति से कभी कोई फैसला नहीं होता। फैसला बहुमत के आधार पर होता है। हम बीसीसीआइ को आइसीसी का गुलाम नहीं होने देंगे। बीसीसीआइ अधिकारियों का एक वर्ग पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष शशांक मनोहर की अगुआई वाली वैश्विक संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का प्रस्ताव पारित कराना चाहता है। अगर बीसीसीआइ एसजीएम में टूर्नामेंट से हटने का फैसला किया जाता है तो पूरी संभावना है कि सीओए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश ले सकता है।
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पिछले महीने आइसीसी बोर्ड बैठक में भारत का क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआइ अलग-थलग हो गया था जब एक देश को छोड़कर बाकी सभी देशों ने उसके खिलाफ वोट डाला था। इस बैठक में प्रस्तावित राजस्व मॉडल को लेकर हुए मतदान में बीसीसीआइ को 1-13 से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। वहीं, सीओए किसी भी कीमत पर भारत के चैंपियंस ट्रॉफी से हटने के खिलाफ है।