एशिया कप के सारे मैच जीतना चाहेगी टीम इंडिया
हांगकांग के खिलाफ अनुभव के बाद भारत निश्चित तौर पर ऐसी गलती नहीं करेगा और टूर्नामेंट में अपने सारे मैच जीतना चाहेगा।
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
एशिया कप खिताब को बचाने की कोशिश में जुटी भारतीय टीम को पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत से काफी आत्मविश्वास मिला होगा। हांगकांग द्वारा लगभग पूरे 50 ओवर खिलाने के बाद पाकिस्तान के खिलाफ वे हर क्षेत्र में सही साबित हुए। सिर्फ हार्दिक पांड्या की चोट चिंता का विषय है, जिससे टीम प्रबंधन को उनका विकल्प तलाशना होगा। केदार जाधव ने दिखा दिया है कि वह एक ऑलराउंडर की कमी पूरी कर सकते हैं।
पाकिस्तान के साथ-साथ उन्होंने हांगकांग के खिलाफ भी शानदार प्रदर्शन किया। या तो विपक्षी टीम उन्हें कम करके आंक रही है या फिर वह अपनी डिलिवरी प्वाइंट की वजह से बल्लेबाजों को चकमा दे रहे हैं, लेकिन वह अपनी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके रूप में कप्तान को एक अतिरिक्त विकल्प मिल गया है।शिखर धवन और रोहित शर्मा के फॉर्म में लौटने से भारतीय खेमा जरूर खुश होगा। बड़े स्कोर का पीछा करते हुए अच्छी शुरुआत से काम आसान हो जाता है।
अंबाती रायडू भी अच्छे टच में दिख रहे हैं और उनके डायरेक्ट हिट पर शोएब मलिक के विकेट ने सुनिश्चित कर दिया कि पाकिस्तान बड़े स्कोर तक नहीं पहुंच पाएगा। पिछले एक डेढ़ साल से भारतीय गेंदबाजी हमेशा चर्चा में रही है और किसी भी परिस्थिति में वे विकेट ले रहे हैं। रेगिस्तान की भीषण गर्मी में भी उनके प्रदर्शन ने दिल जीत लिया। भारत-पाक मुकाबले को लेकर जो माहौल बनाया जाता है, उसका एक खतरा यह होता है कि बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसी टीमों को हल्के में ले लिया जाता है।
हांगकांग के खिलाफ अनुभव के बाद भारत निश्चित तौर पर ऐसी गलती नहीं करेगा और टूर्नामेंट में अपने सारे मैच जीतना चाहेगा। बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने श्रीलंका के खिलाफ जीत दर्ज दिखा दिया है कि वनडे क्रिकेट में उनका खेल कितना अच्छा है। अगर अफगानिस्तान पहले बल्लेबाजी करते हुए 250 के करीब स्कोर बना लेता है, तो उनके पास ऐसे स्पिनर हैं, जो इस धीमी पिच पर परेशानी पैदा कर सकते हैं।
बांग्लादेश की प्रतिबद्धता टूटे हाथ से बल्लेबाजी करने वाले तमीम इकबाल के प्रदर्शन में दिख चुकी है। मुशफिकुर हर मैच के साथ बेहतर होते जा रहे हैं और बांग्लादेश के पास ऐसे गेंदबाज हैं, जो छोटे स्कोर को भी बचा सकते हैं। निश्चित तौर पर भारत का मनोबल बढ़ा हुआ है, लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि 'पिक्चर अभी बाकी है।'