पूर्व श्रीलंकाई कप्तान ने कहा- भारत को रहना होगा बचके, बांग्लादेश के पास खोने के लिए नहीं है कुछ
पहले मुकाबले में लड़खड़ाने के बाद भारत ने प्रभावशाली खेल दिखाया है और बांग्लादेश ने भी मुश्किल लड़ाई लड़ी है और नाजुक मौकों पर अपना अनुभव दिखाया है।
(महेला जयवर्धने का कॉलम)
मजबूत भारत के खिलाफ पहले मैच में जीत के बाद त्रिकोणीय सीरीज से मेजबान श्रीलंका के बाहर होने से स्थानीय दर्शकों को निराशा हुई है जिसके फाइनल खेलने की पूरी आशा थी। हालांकि सच्चाई यह है कि लगातार तीन हार के बाद श्रीलंका फाइनल खेलने का हकदार नहीं था। पहले मुकाबले में लड़खड़ाने के बाद भारत ने प्रभावशाली खेल दिखाया है और बांग्लादेश ने भी मुश्किल लड़ाई लड़ी है और नाजुक मौकों पर अपना अनुभव दिखाया है।
शुक्रवार को श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच खेला गया मुकाबला अभद्र घटना की वजह से खराब हो गया लेकिन इसके बावजूद मुहम्मदुल्लाह की मैच जिताऊ पारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने 18 गेंदों पर 43 रन की पारी खेली। आखिरी ओवर के कोलाहल को अच्छे से संभाला जाना चाहिए था। निष्पक्ष भाव से वह एक नो बॉल थी और अंपायर द्वारा गलती हुई। इसके बाद उन्होंने हालातों पर काबू ना पाने और संचार में कमी की वजह से स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया।
बांग्लादेश द्वारा मैदान छोड़ने की धमकी के साथ खिलाड़ियों के बर्ताव जैसी चीजें आप एक युवा क्रिकेट फैन के तौर पर देखना नहीं चाहेंगे। भावनाओं का स्तर उफान पर था लेकिन खिलाड़ियों को खेल के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है। अगर वाद-विवाद को छोड़ दिया जाए तो यह एक बेहतरीन टी-20 मुकाबला था जहां श्रीलंका की बल्लेबाजी नाटकीय ढंग से ढह गई लेकिन कुशाल परेरा और तिषारा परेरा की शानदार पारियों की वजह से वे मुकाबले में वापस आए। उतार-चढ़ाव से भरे मुकाबले में बांग्लादेश एक नियंत्रित टीम नजर आई लेकिन तमीम इकबाल, मुश्फिकुर रहीमऔर महमुदुल्लाह ने अपने अनुभव दिखाए।
मुझे लगता है कि इन सारी चीजें ने रविवार को होने वाले फाइनल को रोचक बना दिया है क्योंकि बांग्लादेश के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है और भारत के खिलाफ उसके पास पाने के लिए सब कुछ है। वे लीग मुकाबलों में दो हार के बावजूद भारत के खिलाफ बिना किसी दबाव के मुकाबले का लुत्फ उठा सकते हैं। अंत में मायने यही रखता है कि कौन दबाव को सबसे अच्छे से संभालता है।