जानिए आखिर क्यों इस बार वेस्टइंडीज को हराना टीम इंडिया के लिए आसान नहीं होगा
2013 में दो टेस्ट मैचों की सीरीज जीतना भारत के लिए पार्क में टहलने जैसा रहा था, लेकिन इस बार चीजें इतनी आसान नहीं होंगी।
सुनील गावस्कर का कॉलम), कैरेबियाई टीम के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की शुरुआत के साथ भारत इंग्लैंड में खेली गई निराशाजनक टेस्ट सीरीज को भुलाकर फिर से जीत की लय हासिल करना चाहेगा। पांच मैचों की सीरीज के बाद दो टेस्ट मैचों की सीरीज का बहुत ज्यादा तुक नहीं बनता है, लेकिन व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रशंसकों की पसंद के अनुसार कार्यक्रम बनाना मुश्किल है। अच्छा होता अगर पांच नहीं तो कम से कम तीन मैचों की सीरीज होती, क्योंकि अगर दोनों टीमें एक-एक मैच जीतती हैं, तो निर्णायक मैच के माध्यम से विजेता की घोषणा हो पाती।
खैर जो भी हो, मौजूदा वेस्टइंडीज की टीम पांच साल पहले सचिन तेंदुलकर की विदाई सीरीज खेलने वाली टीम की तुलना में ज्यादा मजबूत है। कुछ टी-20 सितारों की गैरमौजूदगी के बावजूद वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी मजबूत है और अगर राजकोट की पिच इस बार भी सपाट रहती है तो भारतीय स्पिनरों को कैरेबियाई बल्लेबाजों को आउट करने में मुश्किल होगी। ब्रेथवेट, पावेल, शाई होप, सुनील एंब्रीस अच्छे स्ट्रोक लगाते हैं। निचले क्रम पर जेसन होल्डर को भी आउट करना आसान नहीं है। हालांकि, स्पिन की मददगार पिच पर उन्हें मुश्किल हो सकती है, लेकिन दोनों ही टेस्ट मैच उन पिचों पर खेले जाएंगे जहां पहले दिन से गेंद टर्न नहीं होती है। हैदराबाद की पिच से तो वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों को मदद मिल सकती है। खासतौर से शेनन गैब्रियल और केमर रोच को। इन दोनों गेंदबाजों ने वेस्टइंडीज की धीमी पिच पर भी बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी थीं। वेस्टइंडीज को फिर से इनसे उम्मीद होगी।
जैसी उम्मीद थी, भारत ने अपनी ओपनिंग जोड़ी में बदलाव किए हैं। मयंक अग्रवाल या पृथ्वी शॉ में से कौन राजकोट में पदार्पण करता है, यह पहले दिन ही पता चलेगा। एशिया कप में सिर्फ एक वनडे मैच में मिले मौके में भी राहुल ने दिखा दिया कि वह अच्छे टच में हैं। पुजारा के लिए बड़ी पारी खेलने का एक और मौका है। कप्तान विराट कोहली इंग्लैंड में शानदार फॉर्म में थे और यहां पर भी वह उन शतकों की भरपाई करना चाहेंगे जिन पर वह चूक गए थे।
भुवनेश्वर और बुमराह को आराम देने का फैसला हैरान करता है। यह दिखाता है कि टेस्ट मैच चयनकर्ताओं के लिए कोई मायने नहीं रखते। क्या दोनों गेंदबाजों ने आराम की मांग की थी? अगर ब्रेक देना ही था तो सीमित ओवरों के क्रिकेट में दिया जाना चाहिए था, ना कि टेस्ट मैच में। टेस्ट मैच में हमेशा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी होने चाहिए। उनकी गैरमौजूदगी से शार्दुल ठाकुर और मुहम्मद सिराज को अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिला है और वे दोनों ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए अपनी जगह मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
ओवल में खेले गए आखिरी मैच में भारत छह बल्लेबाजों के साथ उतरा था। अंतिम मैच में पंत की शानदार बल्लेबाजी की और मैच की परिस्थितियों के अनुसार खेलने की समझ दिखाई। हालांकि, अश्विन ने अपने सभी चार शतक वेस्टइंडीज के खिलाफ ही लगाए हैं, ऐसे में भारत पांच गेंदबाजों के साथ उतरने के विकल्प पर विचार कर सकता है। 2013 में दो टेस्ट मैचों की सीरीज जीतना भारत के लिए पार्क में टहलने जैसा रहा था, लेकिन इस बार चीजें इतनी आसान नहीं होंगी। ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले यह एक मुश्किल वार्म अप होगा।