इंग्लैंड दौरे पर भारतीय तेज गेंदबाजों को भी लेने होंगे विकेट: सौरव गांगुली
लॉर्ड्स में मोर्गन ने पहले बल्लेबाजी की क्योंकि वह जानते थे कि पिच बाद में थोड़ा धीमी हो जाएगी।
सौरव गांगुली का कॉलम
इंग्लैंड ने वनडे सीरीज में करारा जवाब दिया और अंत में सीमित ओवर के दो प्रारूपों में दोनों टीम 1-1 की बराबरी पर रही। तीन मैचों की टी-20 सीरीज का आखिरी मैच और वनडे सीरीज का पहला मुकाबला हारने के बाद इंग्लैंड ने रणनीति के तहत भारतीय बल्लेबाजों को निशाना बनाया। साथ ही गेंदबाजों खासकर स्पिनरों के खिलाफ रणनीति में सुधार किया। इयोन मोर्गन को यहां पर शाबासी देनी होगी, ना सिर्फ अंतिम वनडे में उनकी बल्लेबाजी के लिए बल्कि लॉर्ड्स और हेडिंग्ले में टॉस जीतने के बाद सही फैसला लेने के लिए भी। लॉर्ड्स में उन्होंने पहले बल्लेबाजी की क्योंकि वह जानते थे कि पिच बाद में थोड़ा धीमी हो जाएगी। स्थानीय खिलाड़ी होने के नाते उनका फैसला सही था।
हेडिंग्ले में उन्होंने भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए निमंत्रण दिया क्योंकि वह जानते थे कि पिच में थोड़ी नमी है, जो दूसरी पारी के दौरान खत्म हो जाएगी। कप्तान टीम के लिए एक स्वर होता है और मुझे लगता है कि दोनों ही मौकों पर उन्होंने सही फैसला लिया। जो रूट का फॉर्म में वापसी करना इंग्लैंड के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ। उन्होंने ना सिर्फ इंग्लिश मध्यक्रम में जान फूंकी, बल्कि साथी खिलाडि़यों को भी सिखाया कि कलाई के स्पिनर कुलदीप और चहल को कैसे खेले। लेंथ को सही पकड़ना, स्पिन पर पैरों का आराम से इस्तेमाल करना और लगातार स्ट्राइक बदलने से इंग्लैंड की पारी कभी नहीं रुकी। रूट के आत्मविश्वास ने दूसरे खिलाडि़यों को भी जगाया और उन्हें अपने नजदीक खेलते रहने के लिए जागरूक किया।
इंग्लिश गेंदबाजी भी खुद-ब-खुद लय में आ गई। राशिद ने शानदार गेंदबाजी की। मोइन अली को भारतीय बल्लेबाजों को गेंदबाजी करना हमेशा से पसंद है। दोनों ने ही मध्य ओवरों में भारतीय बल्लेबाजों को बांधे रखा। अगर इंग्लैंड पर रूट का प्रभाव पड़ा तो भारतीय टीम ने आखिरी दो मैचों में लय खो दी। यह समझ से परे है कि आखिरी वनडे में क्यों उमेश और राहुल को नहीं खिलाया गया। भुवनेश्वर ने चोट के बाद वापसी की और कहीं से नहीं लगा कि उन्होंने अपना सौ प्रतिशत दिया, लेकिन उमेश अच्छी लय में नजर आ रहे थे। विराट के लिए मध्य क्रम में राहुल अहम जरूरत हैं।
टीम मैनेजमेंट को उन्हें नंबर चार पर खेलने की छूट देनी चाहिए जिससे वह खुलकर खेल सकें और अपने स्थान के बारे में ना सोचें। विराट ने लॉर्ड्स और हेडिंग्ले दोनों मुकाबलों में क्रीज पर अच्छा समय बिताया। भारत सही स्थिति में था, लेकिन विराट के जाते ही टीम बिखर गई। भारतीय स्पिनरों ने दक्षिण अफ्रीका में भी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन अब तेज गेंदबाजों को भी विदेश में विकेट लेने होंगे। अब सिर्फ स्पिनरों पर ही विकेट लेने की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए। बुमराह का चोटिल होना बड़ा नुकसान था, लेकिन दूसरे गेंदबाजों के लिए सही समय पर प्रदर्शन करना बहुत जरूरी है। क्रिकेट का सबसे लंबा प्रारूप अब शुरू होने जा रहा है और जरूरी है कि सभी खिलाड़ी इसमें अपना योगदान दें।
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