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IND VS WI: वेस्टइंडीज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी

हवाई शॉट खेलकर आउट होने का कोई तुक समझ नहीं आता।

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 02:21 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 02:21 PM (IST)
IND VS WI: वेस्टइंडीज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी
IND VS WI: वेस्टइंडीज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी

 (सुनील गावस्कर का कॉलम)

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एक के बाद एक टेस्ट मैच की समस्या यही होती है कि पिछला मैच हारने के बाद टीम को संतुलित करने के लिए उनके पास समय बहुत ही कम होता है। फॉर्म से बाहर हो चुके उनके बल्लेबाजों को तुरंत अगले मैच की चुनौती के लिए तैयार होना पड़ता है और बेंच पर बैठे वैकल्पिक खिलाडि़यों के पास अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं होता है। 

टेस्ट मैचों के बीच एक प्रथम श्रेणी मैच से खिलाडि़यों को अपनी फॉर्म और आत्मविश्वास फिर से हासिल करने का मौका मिल सकता है मगर आजकल कार्यक्रम इतने व्यस्त होते हैं कि इनमें प्रथम श्रेणी मैच को शामिल करना लगभग असंभव होता है।

सिर्फ इंग्लैंड की टीम ही ऐसा करती दिखाई दे रही है, जिसका सत्र सितंबर में खत्म हो जाता है और उन्हें अन्य टीमों की तुलना में जल्दी अभ्यास का मौका मिल जाता है। साथ ही उन्हें कुछ मैच खेलकर परिस्थितियों से तालमेल बैठाने का अवसर मिल जाता है। राजकोट में पहला टेस्ट मैच खेलने से पहले वेस्टइंडीज ने भी दुबई में एक मैच खेला था और इसके बाद भारत में दो दिवसीय अभ्यास मैच का मजाक हुआ था। उन्हें मैच में खेल के हर विभाग में हार मिली। 

इसके बाद यह सवाल भी उठने लगे कि क्या वे इस स्तर पर खेलने के लायक भी हैं या नहीं। हालांकि, ऐसा कहना सही नहीं है, क्योंकि जब विंडीज सातवें और नौवें दशक में शीर्ष पर थी, तो वह भी विपक्षी टीमों को तीन-चार दिन में ढेर कर देती थी।

राजकोट में तेज गेंदबाज आक्रामक गेंदबाजी करने के लिए तैयार नहीं थे, जिससे भारतीय बल्लेबाजों का काम आसान हो गया। जिस पिच पर गेंद बिलकुल स्विंग नहीं हो रही थी, वहां बल्लेबाज यह जानते हुए बहुत ही आसानी से आगे बढ़ता है कि गेंदबाज कोई बाउंसर नहीं डालेगा।

इससे भी अधिक निराशा विंडीज की बल्लेबाजी को लेकर हुई। कोई भी बल्लेबाज संघर्ष करने के लिए तैयार नहीं था। वे पहले ही हथियार डालने की मानसिकता के साथ बल्लेबाजी करने उतरे और मुश्किल से उबरने के लिए उलटे-सीधे शॉट मारने लगे। अगर पिच से गेंद स्पिन हो रही हो तो ऐसी सोच समझ आती है, लेकिन ऐसा नहीं था। 

ऐसे में हवाई शॉट खेलकर आउट होने का कोई तुक समझ नहीं आता। अगर वे इस मानसिकता में सुधार नहीं लाते हैं, तो हैदराबाद में भी मुकाबला जल्दी खत्म हो जाएगा। भारत के गेंदबाज अपना ख्याल खुद रख सकते हैं। ऐसे में जिस तरह से हैदराबाद टेस्ट के परिणाम में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा, वैसे ही टीम में भी बदलाव की गुंजाइश कम ही है।


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