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अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को भावनाओं पर काबू रखना सीखना होगा

अफगानिस्तान को फाइनल में जगह नहीं मिले, लेकिन निश्चित तौर पर वे प्रशंसकों के दिल जरूर जीतेंगे।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 06:50 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 06:50 PM (IST)
अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को भावनाओं पर काबू रखना सीखना होगा
अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को भावनाओं पर काबू रखना सीखना होगा

सुनील गावस्कर का कॉलम

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लगातार दो मैचों में आखिरी ओवर में मैच गंवाने के बाद क्या अफगानिस्तान शानदार फॉर्म में चल रहे भारत के खिलाफ अपने आखिरी मैच में खुद को प्रेरित कर पाएगा? इससे भले ही उन्हें फाइनल में जगह नहीं मिले, लेकिन निश्चित तौर पर इससे वे प्रशंसकों के दिल जरूर जीतेंगे। मुश्किलों को मात देकर आगे कैसे बढ़ा जाता है। सीमित ओवरों के क्रिकेट में यह टीम अब गंभीर चुनौती पेश कर रही है।

इन खिलाडि़यों में भावनाओं की कोई कमी नहीं है और मैदान में उनकी निराशा व खुशी दोनों देखी जा सकती है। यह काफी अहम है, लेकिन मुश्किल स्थितियों में कई बार इससे परेशानी बढ़ जाती है। पिछले दो मैचों में देखने को मिला कि कैच छूटने या फील्डिंग में गलती होने के बाद वे और ज्यादा नर्वस हो गए। सर्वश्रेष्ठ टीमें हमेशा अगली गेंद पर यही मानती हैं कि यह एक टीम गेम है, जिसमें सभी सफल नहीं हो सकते। यही चीज टीम की सफलता की कुंजी होती है। वेस्टइंडीज की महान टीम ऐसा ही करती थी और उनके कप्तान क्लाइव लॉयड मैदान में किसी गलती पर कोई इमोशन नहीं दिखाते थे। नौवें दशक की ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ भी ऐसा ही था, वे सभी एक-दूसरे के साथ काफी जुड़े हुए थे और अगर कोई कैच छोड़ देता था, तो वे अपने खिलाड़ी के बजाय बल्लेबाज पर हमला बोलते थे।

भारतीय कप्तान रोहित शर्मा भी क्लाइव लॉयड की तरह अपनी भावनाओं को छिपा रहे हैं। वह मुस्कुराते हैं और अपनी फील्डिंग पोजीशन पर वापस चले जाते हैं। इससे कैच छोड़ने वाले खिलाड़ी पर अतिरिक्त दबाव नहीं आता। खास बात यह है कि इससे वह अतिरिक्त प्रयास करने के लिए प्रेरित होता है। धवन और शर्मा की ओपनिंग जोड़ी विपक्षी टीमों के हाथ से मैच छीन रही है और जिस ढंग से वे बल्लेबाजी कर रहे हैं, उससे तो लगता है कि पांचवें नंबर के बाद के बल्लेबाज तैयार भी नहीं होते होंगे। गेंदबाज भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। सिर्फ भुवनेश्वर के एक ओवर को छोड़कर उन्होंने अच्छी गेंदबाजी की, जिसमें वे यॉर्कर की बजाय फुल लैंथ गेंदबाजी करते रहे।

भारत आराम से नहीं बैठना चाहेगा क्योंकि वह फाइनल तक अपना अजेय रथ बरकरार रखना चाहेगा और साथ ही जीत की लय को भी कायम रखना चाहेगा।

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