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दुनियाभर में सिर्फ छह बल्लेबाज़ ही कर सके हैं ये बेहद मुश्किल काम, एक भारतीय भी हैं शामिल

क्रिकेट के इतिहास में यूं तो ढेर सारे ऐसे रोमांचक मैच रहे हैं, जब सांसों थम गई हों और खिलाड़ियों के साथ-साथ दर्शक भी दबाव में हों।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 01:00 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 10:30 AM (IST)
दुनियाभर में सिर्फ छह बल्लेबाज़ ही कर सके हैं ये बेहद मुश्किल काम, एक भारतीय भी हैं शामिल
दुनियाभर में सिर्फ छह बल्लेबाज़ ही कर सके हैं ये बेहद मुश्किल काम, एक भारतीय भी हैं शामिल

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। इस खेल में बहुत बार ऐसे मौके भी आते है जब खिलाड़ियों की धड़कनों के साथ-साथ दर्शकों की सांसे अटक जाती हैं और धड़कने तेज़ हो जाती है। क्रिकेट के इतिहास में यूं तो ढेर सारे ऐसे रोमांचक मैच रहे हैं, जब सांसों थम गई हों और खिलाड़ियों के साथ-साथ दर्शक भी दबाव में हों। क्रिकेट में ऐसी ही एक स्थिति तब आती है जब बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को मैच की आखिरी गेंद पर चार, पांच या छह रन की जरुरत हो, उस स्थिति में हालांकि सबसे ज़्यादा दबाव स्ट्राइक लेने वाले बल्लेबाज़ पर होता है, लेकिन दबाव में तो दर्शकों के साथ-साथ अन्य खिलाड़ी भी होते हैं। चलिए आज आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ दिलचस्प मुकाबलों के बारे में-

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कार्तिक ने किया था कमाल

क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं जब बल्लेबाजों ने आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर टीम की जीत सुनिश्चित की है। हाल ही में ये कमाल भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज़ दिनेश कार्तिक ने किया था। उन्होंने इसी साल कोलंबो में बांग्लादेश के खिलाफ निदाहास टी-20 त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में बांग्लादेश ने भारत के सामने 167 रन का लक्ष्य रखा था। भारत को आखिरी छह गेंदों पर 12 रन चाहिए था और कार्तिक बल्लेबाजी कर रहे थे। भारतीय टीम को आखिरी गेंद पर पांच रन की दरकार थी और फिर कार्तिक ने गेंदबाज के ऊपर से फ्लैट छक्का लगाकर न सिर्फ टीम को मैच जिताया, बल्कि सीरीज भी भारत की झोली में डाल दी। कार्तिक मैच में आठ गेंदों पर 29 रन बनाए और उन्हें मैन आफ द मैच का पुरस्कार मिला।

पहली बार मियांदाद ने किया ये कमाल

क्रिकेट में सबसे पहले यह रिकॉर्ड पाकिस्तान के जावेद मियांदाद के नाम था। वनडे में 233 मैच खेलने वाले मियांदाद ने 18 अप्रैल 1986 में शारजाह में भारत के खिलाफ ही आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई थी। एशिया कप के फाइनल में भारत ने पाकिस्तान के सामने जीत के लिए 246 रन का लक्ष्य रखा था। पाकिस्तान मैच में अपने नौ विकेट गंवा चुका था और मियांदाद के रूप में उसकी आखिरी उम्मीदें विकेट पर टिकी हुई थी। पाकिस्तान को जीत के लिए आखिरी गेंद पर चार रन की जरुरत थी और गेंद चेतन शर्मा के हाथों में थी। चेतन ने यॉर्कर डालने का प्रयास किया, लेकिन गेंद लो फुलटॉस बन गई जिसे मियांदाद ने मिडविकेट के ऊपर से छक्के के लिए भेज दिया।इस शॉट के बाद मियांदाद पाकिस्तान के लिए हीरो बन गए। उन्होंने मैच में नाबाद 116 रन बनाए थे।

(देखें, चेतन शर्मा की गेंद पर मियांदाद का वो सिक्स)

लांस क्लुसनर ने जड़ा है आखिरी गेंद पर छक्का

दक्षिण अफ्रीका के हरफनमौला खिलाड़ी लांस क्लुसनर ने 26 मार्च 1999 में यह कारनामा किया था। नेपियर में खेले गए चौथे वनडे मैच में न्यूजीलैंड ने दक्षिण अफ्रीका के सामने जीत के लिए 285 रन का लक्ष्य रखा था। मैच में दक्षिण अफ्रीका के दो विकेट शेष थे, लेकिन गेंद मात्र एक थी और उसे जीत के लिए चार रन चाहिए था। क्लुसनर ने कीवी कप्तान डियोन नाश की आखिरी गेंद पर छक्का उड़ाकर दक्षिण अफ्रीका को दो विकेट से जीत दिला दी। क्लुसनर ने 19 गेंदों पर नाबाद 35 रन बनाए और उन्हें मैन आफ द मैच का पुरस्कार मिला।

टेलर ने भी ऐसे दिलाई है जीत

जिम्बाब्वे के ब्रैंडन टेलर भी अपनी टीम के लिए यह कारनामा कर चुके हैं। मेजबान जिम्बाब्वे को 2006 में हरारे स्पोर्ट्स क्लब में बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी गेंद पर जीत के लिए पांच रन बनाने थे। बांग्लादेश के तेज गेंदबाज मशरफे मुर्तजा आखिरी ओवर डाल रहे थे। उन्होंने पहली पांच गेंदें सही जगह डाली जिससे मेहमान टीम जीत की बढ़ रही थी लेकिन टेलर ने आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर पूरा मैच ही पलट दिया।

मैक्लेरेन का वो अजीब शॉट

दक्षिण अफ्रीका के रेयान मैक्लेरेन ने भी 2013 में न्यूजीलैंड के गेंदबाज जेम्स फ्रेंकलिन पर छक्का लगाकर टीम को जीत दिला चुके हैं। मैच की आखिरी गेंद पर द.अफ्रीका को जीत के लिए 3 रन की दरकार थी। जेम्स फ्रेंकलिन ने गेंद फेंकी और मैक्लेरेन ने अजीबो गरीब शॉट लगाते हुए गेंद को हवाई रास्ते से बाउंड्री के पार हो गई और द. अफ्रीका ने मुकाबला जीत लिया।

चंद्रपॉल भी नहीं हैं पीछे

वेस्टइंडीज के मध्यक्रम बल्लेबाज शिवनारायण चंद्रपॉल भी अपनी टीम एक अविश्वसनीय जीत दिला चुके हैं।10 अप्रैल 2008 को त्रिनिदाद में खेले गए इस मैच में श्रीलंका ने वेस्टइंडीज के सामने जीत के लिए 236 रनों का लक्ष्य रखा था। मेजबान टीम को आखिरी छह गेंदों पर जीत के लिए 13 रन बनाने थे और उसकी आखिरी जोड़ी विकेट पर थी। श्रीलंका के लिए सबसे अनुभवी गेंदबाज चमिंडा वास गेंदबाजी कर रहे थे। वेस्टइंडीज ने पहले पांच गेंदों पर सात रन बनाए और उसे आखिरी गेंद पर छक्के की दरकार थी। वास ने गेंद फुलटॉस फेंकी जिसे चंद्रपॉल ने छक्के के लिए भेजकर टीम को रोमांचक जीत दिला दी। उन्होंने 63 गेंदों पर नाबाद 62 रन बनाए थे।

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