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Ind vs Eng: इंग्लैंड की इस कमजोरी पर करो कड़ा प्रहार, अंग्रेजों की टीम हो जाएगी लाचार

भारतीय टीम 30 अगस्त से शुरू होने वाले चौथे टेस्ट को जीतकर सीरीज 2-2 से बराबरी पर ला सकती है।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 11:17 AM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 10:29 AM (IST)
Ind vs Eng: इंग्लैंड की इस कमजोरी पर करो कड़ा प्रहार, अंग्रेजों की टीम हो जाएगी लाचार
Ind vs Eng: इंग्लैंड की इस कमजोरी पर करो कड़ा प्रहार, अंग्रेजों की टीम हो जाएगी लाचार

साउथैंप्टन, अभिषेक त्रिपाठी। भले ही इस सीरीज में मेजबान टीम 2-1 से आगे हो लेकिन उसकी टीम मेहमानों की अपेक्षा ज्यादा समस्याओं से जूझ रही है। अगर भारतीय टीम 30 अगस्त से शुरू होने वाले चौथे टेस्ट में इन समस्याओं पर हमला करती है तो वह इस टेस्ट को जीतकर सीरीज 2-2 से बराबरी पर ला सकती है।

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बर्मिंघम और लॉर्डस टेस्ट हारने के बाद टीम इंडिया ने पांच मैचों की सीरीज को जीवंत कर दिया है। इसी के साथ भारतीय प्रसंशकों की उम्मीदें भी जीवंत हो गईं हैं। जहां टीम इंडिया ने अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना शुरू किया है तो वहीं मेजबान टीम के कुछ खिलाड़ी और खासतौर पर ओपनर लगातार गलतियां करते जा रहे हैं। जब तक इंग्लिश टीम जीत रही थी तब तक उनकी गलतियां छुप रहीं थीं, लेकिन अब उन पर सवाल उठने लगे हैं। इससे दबाव वापस इंग्लैंड की टीम पर आ गया है।

जेनिंग्स और कुक हैं परेशान 

इंग्लैंड के दोनों ओपनर केटन जेनिंग्स और एलिस्टेयर कुक का बल्लेबाजी रिकॉर्ड बेहद खराब है और उनके टीम में बने रहने पर सवाल उठ रहे हैं। जेनिंग्स ने पिछले आठ टेस्ट में एक अर्धशतक भी नहीं जमाया है। कुक अपनी पिछली 40 पारियों में सिर्फ पांच बार 50 का आंकड़ा पार कर पाए हैं। इस सीरीज में भी उनके बल्ले से रन नहीं निकले हैं। इंग्लैंड के इस पूर्व कप्तान का क्रिकेट करियर आखिरी पड़ाव पर है। दोनों ओपनर टीम को अच्छी साझेदारी नहीं दे पा रहे हैं और अगर इंग्लिश टीम चौथे टेस्ट में फिर इन पर दांव लगाती है तो टीम इंडिया के गेंदबाजों को मेजबानों की इस कमजोर कड़ी को फिर निशाना बनाना चाहिए।

मार्क बुचर के बाद जेनिंग्स ऐसे पहले इंग्लिश ओपनर हैं जिन्होंने लगातार आठ टेस्ट में अर्धशतक नहीं लगाया है। मार्क लगातार 12 टेस्ट में ऐसा करने में असफल रहे थे। इससे पहले 1971-75 में जॉन एडिक नौ मैच, एलेक स्टीवर्ट 1994-95 में नौ मैच और माइक अथर्टन 1997-98 में आठ मैच तक इंग्लिश ओपनर के तौर पर अर्धशतक नहीं लगा पाए थे। हालांकि, इसके बाद इन दिग्गजों का करियर अच्छा गया। अब देखना है कि क्या जेनिंग्स अपने खराब दौर से इन दिग्गजों की तरह उबर पाते हैं या नहीं?

कोहली से सीखें

जहां भारतीय बल्लेबाजों ने विपरीत परिस्थितयां होने के बावजूद नॉटिंघम टेस्ट में अपनी गलतियों को सुधारते हुए बल्लेबाजी की तो इंग्लिश बल्लेबाज शॉट के चयन में काफी सुस्त नजर आए। कोहली ने 2014 के इंग्लिश दौरे के दु:स्वप्न से निकलकर यहां तीन टेस्ट में 440 रन बना लिए हैं। भारतीय कप्तान ने इंग्लैंड के खिलाफ पिछले सात टेस्ट में चार शतकों और चार अर्धशतकों की बदौलत 1006 रन बनाए हैं। वह इंग्लैंड के खिलाफ सात टेस्ट में 1000 से ज्यादा रन बनाने वाले छठे खिलाड़ी हैं। इस सीरीज में ही उन्होंने दो शतक और दो अर्धशतक लगाए हैं। कुक और जेनिंग्स को उनसे सीखना चाहिए कि कैसे अच्छी बल्लेबाजी से खराब इतिहास को बेहतर भविष्य में बदला जाता है।

बाकी बल्लेबाज भी फेल 

इंग्लैंड के ओपनर ही नहीं बाकी बल्लेबाज भी उनकी परेशानी का सबब हैं। अगर दूसरी पारी में जोस बटलर और बेन स्टोक्स की साझेदारी को छोड़ दें तो पिछले टेस्ट में उनका ऊपरी क्रम और मध्य क्रम फेल रहा। जहां भारतीय बल्लेबाज इंग्लिश गेंदबाजों की गेंदों को आसानी से छोड़ रहे थे और उन्हें पास आने पर खेल रहे तो वहीं मेजबान बल्लेबाज जल्दबाजी में थे। निश्चित तौर पर अगले मैच में भी धैर्य सफलता की कुंजी होगा और विराट एंड कंपनी को इस कुंजी के सहारे इंग्लैंड के ताले खोलने होंगे।

धवन और राहुल ने निभाई अहम भूमिका

शुरुआती दोनों टेस्ट में भारत की ओपनिंग खराब रही और भारत को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन नॉटिंघम में धवन व केएल राहुल ने दोनों पारियों में 60-60 रन की साङोदारी कर बाकी बल्लेबाजों को बेहतर मंच दिया, जिसका फायदा उठाते हुए टीम इंडिया ने दोनों पारियों में 300 का आंकड़ा पार किया। 1981 के बाद इंग्लैंड में ऐसा पहली बार हुआ जब लगातार चार टेस्ट में दोनों ही टीमों के ओपनरों ने अर्धशतक नहीं लगाया, लेकिन नाटिंघम टेस्ट में टीम इंडिया के ओपनरों ने बताया कि बिना अर्धशतक के भी टीम की मदद की जा सकती है।

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