जानिए कौन है टीम इंडिया की 'लेडी विराट', किस्मत ने कैसे लिखी सफलता की कहानी
आइसीसी वर्ल्ड कप-2017 में स्मृति फिर मैदान पर उतरीं और ऐसी बल्लेबाजी की कि सब देखते रह गए। 90 रनों की उनकी धुआंधार पारी से इंग्लैंड को हार देखनी पड़ी।
नई दिल्ली, वरुण आनंद। उनकी शानदार बल्लेबाजी को देखते हुए लोग उन्हें महिला क्रिकेट टीम का विराट कोहली कहते हैं। विराट की तरह आज वह भी क्रिकेट की दुनिया में शीर्ष पर चमक रही हैं। हाल ही में भारतीय महिला टीम की इस रन मशीन की तारीफ करते हुए उनके एक प्रशंसक ने ट्वीट किया था, ‘शी इज द फीमेल वर्जन ऑफ वीरेंद्र सहवाग’, इस पर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सहवाग ने रीट्वीट किया-‘शी इज फर्स्ट वर्जन ऑफ स्मृति मंधाना एंड शी इज वैरी स्पेशल।’
मंधाना को ऐसे ही नहीं कहते 'लेडी विराट'
हालिया न्यूजीलैंड दौरे पर अपने वनडे कॅरियर का चौथा शतक जड़ने वालीं स्मृति का बल्ला पिछले एक साल से विरोधी टीमों के खिलाफ खूब आग बरसा रहा है। 2018 से अब तक खेले गए 15 मैचों में वह दो शतक और आठ अर्धशतक बना चुकी हैं।
महिला क्रिकेट टीम की इस ओपनर बल्लेबाज का जन्म 18 जुलाई, 1996 को मुंबई में हुआ था। जब वह दो साल की थीं तो उनका परिवार सांगली शिफ्ट हो गया। अगर कहा जाए कि उनके परिवार को यह वरदान मिला कि हर सदस्य अच्छा क्रिकेट खेलेगा तो अतिशयोक्ति न होगी, क्योंकि उनके पिता श्रीनिवास और भाई श्रवण दोनों डिस्टिक लेवल तक इस खेल में अपने जौहर दिखा चुके हैं। स्मृति की प्रेरणा भी उनके भाई श्रवण ही बने, जिन्होंने अपने क्रिकेट से ज्यादा फोकस बहन के करियर पर किया। श्रवण ने भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी राहुल द्रविड़ बल्ले पर ऑटोग्राफ लिया था। यह स्मृति की प्रेरणा बना। वह कभी उस बल्ले से खेलीं नहीं, लेकिन लंबे समय तक वह बल्ला उनके किट बैग का हिस्सा बना रहा।
न्यूज पेपर्स में नाम देखना था सपना
स्मृति हमेशा से कहती थीं, उन्हें अपना नाम एक दिन न्यूज पेपर्स में देखना है। इसके लिए उन्होंने और उनके भाई दोनों ने कड़ी मेहनत की। यह मेहनत रंग लाई। केवल नौ साल की उम्र में ही स्मृति को महाराष्ट्र की अडंर-15 की टीम में जगह मिल गई। इसके बाद 11 साल की उम्र में अंडर-19 की टीम में जगह बनाने में कामयाब रहीं। यहां तक के सफर में स्मृति हमेशा अपनी उम्र से आगे चल रही थीं। अब तक वह एक दाएं हाथ की बल्लेबाज थीं, लेकिन भाई को अपना आदर्श मानते हुए उन्होंने बाएं हाथ से बल्लेबाजी सीखने का फैसला किया। इसके बाद श्रीलंका के बल्लेबाज कुमार संगाकारा को फॉलो करना शुरू किया। उनका परिवार हर कदम पर उनके साथ था और उनके मन में था एक दिन अपना नाम रोशन करने का जुनून। कम उम्र में ही स्मृति का खेल देखकर लोग कहते भी थे कि अगर बेटी ऐसे ही खेलती रही तो एक दिन जरूर टीम इंडिया में जगह बनाएगी। आज लोगों की यह बातें और स्मृति का सपना न सिर्फ सच हो चुका है, बल्कि वह कॅरियर के उस मुकाम पर पहुंच चुकी हैं, जहां पहुंचने का सपना हर खिलाड़ी देखता है।
छोड़ी 12वीं की परीक्षा
स्मृति सबसे पहले सुर्खियों में 2013 में तब आईं जब वेस्ट जोन अंडर-19 टीम में खेलते हुए गुजरात के खिलाफ वन-डे मैच में महज 150 गेंदों में शानदार 224 रन बनाए। उनके कोच अनंत तांबेवेकर ने भी उन्हें तराशने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह शिवाजी स्टेडियम में प्रोफेशनल गेंदबाजों को हायर करके स्मृति को अभ्यास करवाते थे। स्मृति ने अपनी 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी छोड़नी पड़ीं। इसकी वजह थी क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और उसी साल वर्ल्ड टी-20। 2016 में शानदार खेल दिखाते हुए वह इस टूर्नामेंट में टॉप स्कोरर रहीं। इसके बाद उन्हें वूमंस बिग बैश लीग (डब्ल्यूबीबीएल) में भी जगह मिली, हरमनप्रीत कौर के साथ। यह दोनों ही भारत की पहली दो महिला क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिन्हें डब्ल्यूबीबीएल के लिए साइन किया गया। हालांकि, घुटने में चोट के कारण उन्हें यह लीग बीच में छोड़नी पड़ी।
विश्व कप में भी दिखाया दम
इंजरी के बाद आइसीसी वर्ल्ड कप-2017 में वह फिर मैदान पर उतरीं और ऐसी बल्लेबाजी की कि सब देखते रह गए। 90 रनों की उनकी धुआंधार पारी से इंग्लैंड को हार देखनी पड़ी। इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 106 रनों की उनकी पारी ने बता दिया कि चोट से उबरने के बाद लौटीं स्मृति अब विरोधियों के लिए और भी खतरनाक हो चुकी हैं। वह एक बार फिर रन मशीन बन गईं।