2 जनवरी को जन्म लेने वाले इस भारतीय क्रिकेटर की हुई थी दर्दनाक मौत, हुआ था कुछ ऐसा
महज 38 वर्ष की उम्र में इस क्रिकेटर की मृत्यु मैदान पर गेंद लगने से हुई थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। क्रिकेट इतिहास में बहुत की कम ऐसे क्रिकेटर हुए हैं जिनकी दर्दनाक मौत क्रिकेट के मैदान पर चोट लगने की वजह से हुई हो। रमन लांबा उन कुछ क्रिकेटरों में शुमार हैं। रमन लांबा का जन्म दो जनवरी 1960 में उत्तर प्रदेश में हुआ था। भारत में जन्मे लांबा का देहांत 23 फरवरी 1998 को ढ़ाका में मैदान पर गेंद से चोट लगने की वजह से हुआ था। सिर्फ 38 वर्ष की उम्र में इस खिलाड़ी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
रमन लांबा का क्रिकेट करियर
रमन लांबा का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर काफी छोटा रहा। उन्होंने भारत के लिए सिर्फ चार टेस्ट मैच और 32 वनडे मैच खेले थे। चार टेस्ट मैचों में उन्होंने 20.40 की औसत से 102 रन बनाए थे। टेस्ट में उन्होंने अपनी बेस्ट पारी 53 रन की खेली थी। उन्होंने 1986 में कानपुर में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था और आखिरी टेस्ट मैच 1987 में दिल्ली में कैरेबियाई टीम के खिलाफ खेला था। वनडे की बात करें तो उन्होंने 32 मैचों में 27 की औसत से 783 रन बनाए थे। वनडे में उन्होंने एक शतक और छह अर्धशतक लगाए थे। वनडे में उनकी बेस्ट पारी 102 रनों की थी। लांबा का फर्स्ट क्लास करियर बेहद शानदार था और उन्होंने 121 मैचों में 53.84 की औसत से 8776 रन बनाए थे। फर्स्ट क्लास मैचों में उनकी बेस्ट पारी 320 रनों की थी और उन्होंने 31 शतक और 27 अर्धशतक लगाए थे। लिस्ट ए मैचों में उन्होंने 36.85 की औसत से 2543 रन बनाए थे।
रमन लांबा बांग्लादेश के ढ़ाका प्रीमियर लीग के काफी पॉपुलर खिलाड़ी थे और वो आयरलैंड का प्रतिनिधित्व अनाधिकारिक वनडे मैच में करते थे। उनकी मृत्यु भी बांग्लादेश के लीग क्रिकेट के दौरान ही हुई थी। वो दाएं हाथ के बल्लेबाज थे साथ ही दाएं हाथ से ही मध्यमगति की तेज गेंदबाजी भी करते थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सात अक्टूबर 1986 के दिन वनडे की अपनी बेस्ट 102 रन की पारी खेली थी।
ऐसे हुई थी रमन लांबा की मौत
रमन लांबा की मौत मैदान पर फील्डिंग करते वक्त हुई थी। उनकी मृत्यु तब हुई जब वे बंगबंधु स्टेडियम में ढाका क्लब क्रिकेट मैच में शॉर्ट लेग पर बिना हेलमेट के फील्डिंग कर रहे थे। बल्लेबाज मेहराब हुसैन ने गेंद को जोर से मारा और वह लांबा के सिर पर लगी और वापस विकेटकीपर मसूद खालिद के पास पहुंच गई। बांग्लादेश के पूर्व कप्तान मोहम्मद अमिनुल इस्लाम याद करते हुए कहते हैं कि मैं नया आदमी था और मैंने रमन से पूछा कि क्या वह ठीक है। उन्होंने कहा कि बुल्ली (इस्लाम का उपनाम बुलबुल है) मैं तो मर गया। बाद में उन्हें आंतरिक रक्तस्त्राव का सामना करना पड़ा और दिल्ली से एक न्यूरोसर्जन को बुलाये जाने के बावजूद शीघ्र ही उनकी मृत्यु हो गई।