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मुसीबतों से लड़कर झुग्गी से टीम इंडिया तक का सफर तय किया राधा यादव ने

भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाली 17 साल की राधा यादव के लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 25 Mar 2018 10:08 AM (IST)Updated: Sun, 25 Mar 2018 10:08 AM (IST)
मुसीबतों से लड़कर झुग्गी से टीम इंडिया तक का सफर तय किया राधा यादव ने
मुसीबतों से लड़कर झुग्गी से टीम इंडिया तक का सफर तय किया राधा यादव ने

हरित एन. जोशी (मिड डे), मुंबई। भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाली 17 साल की राधा यादव के लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा। मुंबई के कोलिवरी क्षेत्र की बस्ती में 220 फीट की झुग्गी से टीम इंडिया तक की छलांग में राधा के संघर्ष की कहानी छिपी है। उसी मेहनत के बलबूते राधा ने दक्षिण अफ्रीका दौरे पर पहली बार टीम इंडिया में जगह बनाई और दो टी-20 मुकाबले भी खेले। उन्हें मौजूदा त्रिकोणीय सीरीज में चोटिल राजेश्वरी गायकवाड़ की जगह टीम में शामिल किया गया है।

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मुश्किल रहा सफर : राधा का यह सफर मुश्किलों भरा रहा है। राधा के पिता ओमप्रकाश की इसी बस्ती में एक छोटी सी दुकान हैं, जहां पर रोजमर्रा की चीजें उपलब्ध रहती हैं। ओमप्रकाश को भी मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से दुकान के ढहाए जाने का डर सताए रहता है। नौ लोगों का परिवार एक झुग्गी में गुजर-बसर करता है। इसके बावजूद ओमप्रकाश ने अपनी बेटी के सपनों के आड़े इन मुसीबतों को आने नहीं दिया। राधा ने कहा कि मैं हमेशा देखती हूं कि मेरे पिता सुबह चार बजे उठकर दुकान खोलते हैं और फिर देर रात तक घर वापस आते हैं।

जब शुरू हुआ क्रिकेट : राधा के पिता ओमप्रकाश ने कहा कि मुझे बेटी को क्रिकेट खिलाने से ज्यादा उनके लिए सबसे बड़ी समस्या क्रिकेट का सामान उपलब्ध कराना और कोच की फीस देना था, जिसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे। शिव सेना ग्राउंड में राधा ने बहुत जल्दी मेहनत करनी शुरू कर दी थी। ओमप्रकाश बताते हैं कि वह उस दिन बहुत खुश हुए थे, जब राधा ने घर आकर बताया था कि मैं सबको बहुत धो रही थी। राधा ने कहा कि वहां पर कोच प्रफुल्ल नायक मेरी बल्लेबाजी से प्रभावित हुए थे। कोच मेरे पिता के पास आए और मुझे लेदर की गेंद से क्रिकेट खिलाने के लिए कहा। इसके बाद कोच ने ही राधा का सारा खर्च उठाया।

खेलना चाहती थी लड़कों की टीम में : यह जानकर हैरानी होगी कि बचपन में राधा को पता नहीं था कि लड़कियों की अलग टीम होती है। वह लड़कों की भारतीय टीम में जगह बनाने का सपना देख रही थी। राधा को पता नहीं था कि मिताली राज कौन हैं, झूलन गोस्वामी कौन हैं, लेकिन जब उन्हें पता लगा कि वह लड़कों की टीम में जगह नहीं बना सकती तो वह थोड़ा मायूस जरूर हुई थी। 

भावुक रहा पदार्पण : राधा ने बताया कि उनका सपना हमेशा से ही नीली जर्सी पहनना और उसमें राष्ट्रगान गाना था। यह मौका जब उन्हें अपने पहले टी-20 मैच में मिला, तो अपने सपने के पूरे होते देख उनकी आंखों में से आंसू आ गए थे। दोनों टी-20 मुकाबले में राधा ने कुल 21 रन दिए, लेकिन विकेट नहीं निकाल सकी। मौजूदा त्रिकोणीय सीरीज में चोटिल राजेश्वरी गायकवाड़ की जगह महिला टीम में शामिल हुईं राधा अब टीम इंडिया में नियमित जगह बनाना चाहती हैं।


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