BIRTHDAY SPECIAL: वो पांच मौके जब देश को हुआ कपिल देव पर नाज
देश को पहला विश्वकप का खिताब दिलाने का श्रेय भी कपिल देव के नाम ही जाता है जिन्होंने साल 1983 में लार्ड्स के मैदान पर यह करिश्मा कर दिखाया
नई दिल्ली, रवीन्द्र प्रताप सिंह। 6 जनवरी को भारत के महान ऑलराउंडर कपिल देव का 60वां जन्मदिन है। क्रिकेट की दुनिया में कपिल देव एक ऐसा नाम है जिसके अंदर हर मोर्चे को संभालने की काबिलियत है। उन्होंने अपने हरफनमौला खेल से दुनिया भर के प्रसंशकों का दिल जीता है।
देश को पहला विश्वकप का खिताब दिलाने का श्रेय भी कपिल देव के नाम ही जाता है जिन्होंने साल 1983 में लार्ड्स के मैदान पर यह करिश्मा कर दिखाया था। इस महान ऑलराउंडर के किस्से तो बहुत से हैं लेकिन हम उनके जन्मदिन के मौके पर आपको उनके कुछ ऐसे किस्सों से अवगत करवाएंगे जिसके चलते देश हमेशा उन पर गर्वान्वित रहेगा।
पाक बल्लेबाजों को दिखाया तेज गेंदबाजी का खौफ
कपिल देव ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पदार्पण 1978 में किया जब भारतीय टीम पाकिस्तान दौरे पर गई थी। फैसलाबाद में अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में अपना पहला टेस्ट खेला था। कपिल देव इस समय महज 19 साल के थे लेकिन उनकी गेंदे लगभग 145 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से निकलती थीं। इस दौरे पर जब वो गेंदबाजी के लिए आए तो उनकी पहली ही गेंद सलामी बल्लेबाज माजिद खान के हेलमेट से टकराई जिसके बाद वो सतर्क हो गए इसी मैच में उनके साथी बल्लेबाज सादिक मोहम्मद के सिर के बगल से जब कपिल की एक गेंद निकली तो उन्होंने ड्रेसिंग रूम से हेलमेट मंगवाया। आपको बता दें ये भारतीय क्रिकेट का वो समय था जब विपक्षी टीमें भारतीय तेज गेंदबाजों के सामने बिना हेलमेट के खेलते थे।
जिम्बॉब्वे के खिलाफ खेली गई 175 रनों की तूफानी पारी
साल 1983 के विश्वकप में 20वें मैच में भारत का मुकाबला जिम्बॉब्वे से था भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। इस मुकाबले में भारत का निर्णय तब गलत साबित हो गया जब भारतीय टीम ने गावस्कर, श्रीकांत, अमरनाथ और यशपाल शर्मा जैसे दिग्गजों समेत 5 विकेट महज 17 रनों पर ही गवां दिए थे ऐसे में कप्तान कपिल देव ने मोर्चा संभाला और 138 गेंदों पर 175 रनों की धुआंधार पारी खेलकर नाबाद लौटे उनके इस शतक की बदौलत भारत ने इस विश्वकप में सेमीफाइनल का टिकट तय किया।
1983 का विश्वकप जीतकर रचा इतिहास
कपिल देव ने अपनी कप्तानी में ही भारत को पहली बार विश्वविजेता बनाया वो भी वेस्टइंडीज जैसी धाकड़ टीम के खिलाफ जिसने इसके पहले के दो विश्वकप लगातार जीते थे। फाइनल मुकाबले में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। भारतीय टीम मजबूत कैरेबियाई पेस अटैक के सामने महज 183 रनों पर ढेर हो गई इस स्कोर को देखकर कोई भी ये नहीं कह सकता कि वेस्टइंडीज को यह मुकाबला जीतने में थोड़ी भी कठिनाई आएगी लेकिन कपिल के कुशल नेतृत्व ने कैरेबियाई उम्मीदों पर पानी फेर दिया भारत ने यह मुकाबला 43 रनों से जीतकर विश्वकप अपने नाम कर लिया था। जिसके साथ ही कपिल देव भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पहला विश्वकप जीतने कप्तान बने।
1987 ‘शारजाह में ड्रेसिंग रूम कांड’
साल 2013 में दिलीप वेंगसरकर ने पहली बार 1987 में हुए ‘शारजाह में ड्रेसिंग रूम कांड’ के बारे में बताया था। साल 1987 में शारजाह में होने वाले भारत-पाक मुकाबले से ठीक एक दिन पहले प्रैक्टिस के बाद जब भारतीय टीम ड्रेसिंग रूम में अपनी रणनीति तैयार कर रही थी। इसी दौरान बॉलीवुड एक्टर महमूद दाऊद इब्राहीम के साथ ड्रेसिंग रूम में आए और खिलाड़ियों से उनका परिचय करवाते हुए कहा कि यह हमारे मित्र हैं और यहीं पर बिजनेस करते हैं। दरअसल तब दाऊद की पहचान इतनी ज्यादा नहीं हुई थी कि हर कोई उन्हें जानता रहा हो उस समय वो एक नामी स्मग्लर के रूप में जाना जाता था। महमूद ने दाऊद का परिचय साथी खिलाड़ियों से करवाया और कहा कि ये हमारे खिलाड़ियों को एक ऑफर देना चाहते हैं। इसके बाद दाऊद ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘अगर कल होने वाले मुकाबले में भारतीय टीम पाकिस्तान को हरा देती है तो मैं सभी खिलाड़ियों को एक-एक टोयोटा कोरोला कार गिफ्ट करूंगा।’ तभी कपिल देव वहां आए और महमूद से बाहर निकलने को कहा और दाऊद की ओर इशारा करते हुए कहा ये कौन है, चल बाहर निकल, जिसके बाद दाऊद चुपचाप बाहर चला गया। कपिल देव और दाऊद के बीच इस वाकये को ‘शारजाह में ड्रेसिंग रूम कांड’ के नाम से जाना जाता है।
फॉलोऑन बचाने के लिए लगातार 4 छक्के लगाए
भारतीय टीम साल 1990 में इंग्लैंड दौरे पर थी सीरीज का पहला टेस्ट लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में खेला जा रहा था मेजबान टीम ने 653 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया जवाब में भारतीय टीम के 9 विकेट महज 430 रनों पर ही गिर गए। जब कपिल देव का साथ देने आए संजीव शर्मा बिना खाता खोले ही आउट हो गए तो भारतीय उम्मीदें भी धराशायी हो गईं। इसके बाद बल्लेबाजी करने आए नरेंद्र हिरवानी जिनसे किसी को कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन स्ट्राइक कपिल देव के हाथों में थी और सामने थे इंग्लिश गेंदबाज एडी हेमिंग्स इस समय टीम इंडिया को फॉलोऑन बचाने के लिए 24 रनों की जरूरत थी और कपिल ने इस ओवर में लगातार 4 छक्के लगाकर अपनी टीम को फॉलोऑन के संकट से बचा लिया था।
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