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जब सचिन के युग में युवाओं ने जीते दिल, आज भी याद है वो सबसे बेमिसाल जीत

आज का दिन भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए बेहद खास रहा है। बेशक आज 15 साल बीत गए लेकिन वो जीत शायद ही कोई भूल पाए।

By Shivam AwasthiEdited By: Published: Wed, 12 Jul 2017 08:20 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jul 2017 02:38 PM (IST)
जब सचिन के युग में युवाओं ने जीते दिल, आज भी याद है वो सबसे बेमिसाल जीत
जब सचिन के युग में युवाओं ने जीते दिल, आज भी याद है वो सबसे बेमिसाल जीत

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। वो सचिन तेंदुलकर का युग था। वो युग था 'क्रिकेट के भगवान' का साथ देते द्रविड़ और गांगुली जैसे दिग्गज बल्लेबाजों का। एक ऐसा दौर जब मैच खत्म होने पर पहले सवाल होते थे कि सचिन, गांगुली और द्रविड़ ने कितने बनाए? भारतीय क्रिकेट में युवा खिलाड़ियों की नई फौज धीरे-धीरे आगे बढ़ती नजर आ रही थी और उसी बीच आया वो दिन जब इंग्लैंड की जमीन पर दो खिलाड़ियों के जरिए भारत ने अपनी युवा ताकत दिखाई। वो थी भारतीय वनडे इतिहास की सबसे यादगार जीत।

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- 13 जुलाई 2002

आज बेशक 15 साल बीत गए लेकिन जिसने भी उस मैच को देखा वो शायद ही उस यादगार दिन को भूल पाएगा। उस दौरान भारत, श्रीलंका और मेजबान इंग्लैंड की टीमें वनडे ट्राइ सीरीज खेलने मैदान पर उतरी थीं। भारत और इंग्लैंड ने उस सीरीज के फाइनल में जगह बनाई थी और 13 जुलाई को क्रिकेट का मक्का माने जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर दोनों टीमें खिताबी भिड़ंत के लिए उतरीं। मैच में मेजबान इंग्लिश टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। मार्कस ट्रेस्कॉथिक (109) और कप्तान नासिर हुसैन (115) के शतकों के दम पर इंग्लैंड ने 50 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 325 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। आज बेशक वनडे क्रिकेट में ये स्कोर ज्यादा विशाल न लगता हो लेकिन उस समय 326 रनों का लक्ष्य एक कठिन लक्ष्य ही माना जाता था।

- लाजवाब शुरुआत के बाद अचानक बिखर गए दिग्गज

टीम इंडिया जवाब देने उतरी और सहवाग-गांगुली की जोड़ी ने लाजवाब शुरुआत की। दोनों बल्लेबाज पहले विकेट के लिए 106 रनों की साझेदारी कर चुके थे लेकिन तभी अचानक 15वें ओवर में दादा (60) बोल्ड हो गए। इसके बाद भी धुरंधरों की लंबी कतार थी लेकिन न जाने क्या हुआ और देखते-देखते वीरेंद्र सहवाग, दिनेश मोंगिया, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर अगले 40 रनों के अंदर पवेलियन लौट गए। भारत का स्कोर 5 विकेट पर 146 रन हो गया था और भारतीय पवेलियन में सबके चेहरे मायूसी से लटक गए थे। जीत अचानक दूर लगने लगी थी।

- फिर दिखा युवाओं का दम

इसके बाद पिच पर थे युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ। युवराज को वनडे टीम में आए दो साल हुए थे जिस दौरान उन्हें 39 वनडे मैचों का अनुभव हासिल हुआ था, वहीं मोहम्मद कैफ ने उसी साल अपने वनडे करियर का आगाज किया था और उनके पास कुल 17 वनडे मैचों का अनुभव था। अच्छी बात ये थी कि दो साल पहले ही कैफ की कप्तानी में भारत ने अंडर-19 विश्व कप जीता था और युवराज भी उस टीम का हिस्सा थे। यानी दोनों के बीच तालमेल शानदार था। दोनों बल्लेबाजों ने छठे विकेट के लिए 121 रनों की उस साझेदारी को अंजाम दिया जिसने मैच का रुख एक बार फिर पलट दिया। भारतीय फैंस और खिलाड़ियों के चेहरे पर उत्सुकता और मुस्कान लौट आई। युवराज सिंह 63 गेंदों पर 69 रनों की पारी खेलकर आउट हुए लेकिन वो अपना काम कर गए थे।

- खिताब को भारत के हाथों तक ऐसे ले गए कैफ

युवराज का विकेट 267 रन पर गिरा था और अब बाकी बचे पुछल्ले भारतीय बल्लेबाजों को सिर्फ एक आदेश मिला था- कि वो कैफ को ज्यादा से ज्यादा खेलने का मौका दें। इस बीच 314 के स्कोर तक हरभजन ने पूरी जिम्मेदारी के साथ यही किया और कैफ धीरे-धीरे स्कोर को आगे बढ़ाते रहे लेकिन 314 पर 48वें ओवर में भज्जी और कुंबले दोनों आउट हो गए। भारत के 8 विकेट गिर चुके थे। पिच पर कैफ के साथ थे जहीर खान। अंतिम दो ओवरों में 11 रनों की जरूरत थी और ये दो ओवर करने वाले थे इंग्लैंड के अनुभवी पेसर डेरेन गफ और एंड्रयू फ्लिंटॉफ। पहले गफ का ओवर आया और इस ओवर की पांचवीं गेंद तक कैफ-जहीर ने पांच रन बटोर लिए जबकि अंतिम गेंद पर कैफ ने चौका जड़ दिया। यानी अब अंतिम ओवर में सिर्फ दो रनों की जरूरत थी। फ्लिंटॉफ के इस अंतिम ओवर की पहली दो गेंदों तो खाली गईं लेकिन तीसरी गेंद पर जहीर ने दो रन लिए और भारत ने 2 विकेट से एतिहासिक जीत दर्ज की। कैफ ने 75 गेंदों पर नाबाद 87 रनों की यादगार पारी खेली।

- गांगुली ने शर्ट घुमाकर लिया मुंबई का बदला

एक तरफ कैमरा मैदान पर कैफ और जहीर के जश्न को दिखा रहा था वहीं दूसरी तरफ एक नजारा लॉर्ड्स की एतिहासिक बालकनी पर भी दिख रहा था। वही बालकनी जहां 1983 में कपिल देव ने भारत की पहली विश्व कप जीत का जश्न मनाया था। इस बार नजारा थोड़ा अलग व अनोखा था, कप्तान गांगुली अपनी शर्ट निकालकर उसे पूरे जोश के साथ चिल्लाते हुए हवा में घुमा रहे थे। उनको कोई फिक्र नहीं थी कि इस हरकत के लिए उन पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद गांगुली नीचे मैदान पर आए और कूद लगाकर सीधे कैफ से लिपट गए, कैफ जमीन पर थे और गांगुली का ये जश्न पूरी दुनिया देख रही थी।

दरअसल, इस पूरे जश्न की एक खास वजह थी। उसी साल जनवरी-फरवरी में इंग्लैंड ने भारत का दौरा किया था। उस दौरे पर छह वनडे मैच खेले गए थे जिसमें नतीजा 3-3 से ड्रॉ रहा था लेकिन चर्चा का विषय बना था सीरीज का अंतिम व छठा वनडे जहां इंग्लैंड ने 5 रन से जीत दर्ज करते हुए भारत का खिताब का सपना तोड़ दिया था और साथ ही ऑलराउंडर फ्लिंटॉफ ने जीत के बाद मैदान में दौड़ते हुए अपनी शर्ट घुमाकर भारतीय टीम व फैंस को चिढ़ाया था। दादा ने उसी का बदला लॉर्ड्स के मैदान पर लिया था।

(फोटो सौ. मिड-डे)


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