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अश्विन-रोहित के बाहर होने के बाद भारत के सामने आई एक और बड़ी परेशानी, क्या करेंगे कोहली?

एडिलेड टेस्ट में दोनों टीमों के दो स्पिनरों ने मिलकर 14 विकेट लिए, जबकि 25 विकेट तेज गेंदबाजों को मिले। चेतेश्वर पुजारा पहली पारी में रनआउट हुए थे।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 12:15 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 01:42 PM (IST)
अश्विन-रोहित के बाहर होने के बाद भारत के सामने आई एक और बड़ी परेशानी, क्या करेंगे कोहली?
अश्विन-रोहित के बाहर होने के बाद भारत के सामने आई एक और बड़ी परेशानी, क्या करेंगे कोहली?

पर्थ, अभिषेक त्रिपाठी। पर्थ का नाम आते ही बल्लेबाजों के शरीर में अजीब सी सिरहन दौड़ जाती है। पर्थ की हवाएं और वाका स्टेडियम की पिच बल्लेबाजों और खासतौर पर मेहमान टीम के बल्लेबाजों को डराती रही हैं। इस बार पर्थ में मैच भले ही वाका की जगह ऑप्टस स्टेडियम में हो रहा है लेकिन हवाएं, गति, तेजी और उछाल वैसी ही है। इन दोनों स्टेडियमों के बीच की दूरी एक ब्रिज भर की है, ऐसे में बगल में बह रही स्वान नदी से आने वाली हवाएं भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले दूसरे टेस्ट मैच के परिणाम को तय करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। इस टेस्ट मैच के लिए ऑस्ट्रेलिया ने ग्रीन टॉप विकेट तैयार करवाया है। ऐसे में इस पिच पर भारतीय बल्लेबाज़ों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

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पर्थ में भारत को होगी परेशानी

0-1 से पीछे चल रही ऑस्ट्रेलियाई टीम यहां पर मेहमान टीम के बल्लेबाजों को तेजी और बाउंस का अहसास दिलाने की पूरी कोशिश करेगी। अगर भारतीय टीम की बात करें उसे हमेशा से पर्थ के वाका और ब्रिसबेन के गाबा स्टेडियम में खेलने में परेशानी होती रही है, क्योंकि यहां की तेजी और बाउंस उसके बल्लेबाजों को जरूरत से ज्यादा परेशान करती हैं।

पर्थ क्यों है खतरनाक

अब तक पर्थ में अंतरराष्ट्रीय मैचों का आयोजन वाका स्टेडियम में होता था, लेकिन अब उससे कुछ किलोमीटर की दूसरी पर ही वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट संघ ने ऑप्टस स्टेडियम का निर्माण किया है। शुक्रवार को इस स्टेडियम में पहला टेस्ट मैच खेला जाएगा, लेकिन यहां दो वनडे खेले जा चुके हैं। अगर पर्थ की बात की जाए तो यहां की हवा और मिट्टी तेज गेंदबाजों के मुफीद है। 44 टेस्ट मैचों की मेजबानी करने वाले वाका स्टेडियम में विकेट लेने वाले शीर्ष 10 गेंदबाज ऑस्ट्रेलियन हैं, जिसमें नौ तेज गेंदबाज हैं। स्वान नदी के पास बने 60000 दर्शक क्षमता वाले ऑप्टस स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए पिछले वनडे व वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच हुए शेफील्ड शील्ड के मैच में इस पिच की तेजी दिखाई दी थी। यहां की तीसरे नंबर की पिच पर टेस्ट मैच खेला जा सकता है।

तेजी और उछाल के लिए रहें तैयार

गेंदबाजी के लिहाज से यहां पर समीकरण बदले हुए नजर आ सकते हैं। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट संघ ने 10 साल तक न्यूजीलैंड के वेलिंगटन बेसिन रिजर्व और वेस्टपेक स्टेडियम में जीवंत पिच बनाने वाले ब्रेट सिप्थोर्प को खास तौर पर ऑप्टस स्टेडियम की पिच बनाने का जिम्मा दिया है।

यहां के मुख्य क्यूरेटर ब्रेट ने कहा कि हमें किसी ने नहीं कहा है कि मैच पांच दिन चलना चाहिए। जहां तक हमारी बात है तो हमें पता है कि इस सीरीज में गाबा में मैच नहीं हो रहा है और ऐसे में सिर्फ ऑप्टस ही है जहां पर तेज व बाउंसी विकेट हो सकता है। हम इसे ऐसा ही बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यहां टीम पहले गेंदबाजी करना चाहेगी। मैच के दौरान तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड से कम रहने की संभावना है। पिच दूसरे दिन सूखने के बाद और तेज हो सकती है। समुद्र की हवाओं और स्वान नदी के पास होने के कारण विकेट में स्विंग मिल सकता है। शेफील्ड शील्ड के मैच के दौरान दो दिन गेंद काफी घूमी थी। ऐसा लगता है कि आद्र्रता की वजह से इस स्टेडियम में कुछ खास है।

चार तेज गेंदबाजों के साथ उतरने का विकल्प

भारतीय टीम पिछले टेस्ट मैच में तीन तेज गेंदबाज, एक स्पिनर, एक विकेटकीपर और छह बल्लेबाजों के साथ उतरी थी। टीम इंडिया चार तेज गेंदबाजों का विकल्प आजमा सकता है। इशांत, शमी और बुमराह जैसा सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण है। इन तीनों ने पहले टेस्ट में 23.8 के औसत से 14 विकेट लिए थे। इसमें उमेश या भुवनेश्वर में से किसी को शामिल किया जाता है तो मेजबान टीम के लिए परेशानी होगी। ऑस्ट्रेलिया के लिए पहले टेस्ट में स्टार्क, हेजलवुड और कमिंस की तेज तिकड़ी ने 27.45 के औसत से सिर्फ 11 विकेट लिए थे।

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