EXCLUSIVE: विराट को देखकर विवियन की याद आती है: चैपल
मैं जब विराट से मिला था तो उनसे पूछा था कि आप तीनों फॉर्मेट में कैसे अच्छा खेल लेते हो तो उन्होंने कहा कि मैं आड़े-टेढ़े शॉट नहीं खेलता।
भारतीय कप्तान विराट कोहली पूरी दुनिया में छाए हुए हैं और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है। उनकी बल्लेबाजी का हर कोई मुरीद है। अब ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज इयान चैपल ने विराट के खेल को लीजेंड विवियन रिचर्डस की तरह बताया है। उन्होंने कहा कि जब वह विराट को खेलते हुए देखते हैं तो विव की याद आ जाती है। 1971 से 1975 तक ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान रहे इयान चैपल से अभिषेक त्रिपाठी ने बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-
ऑस्ट्रेलियाई टीम की हालत कभी भी इतनी खराब नहीं रही। मेजबान टीम की वर्तमान हालत के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?
-मुझे लगता है कि प्रतिभा की कमी इसकी एक बड़ी वजह है। इसके अलावा कार्यक्रम निर्धारण भी अच्छी तरह से नहीं किया जा रहा है। इस समय देश में टेस्ट सीरीज चल रही है और इसी समय बिग बैश लीग हो रही है। अभी वनडे सीरीज शुरू हो जाएगी और साथ में यह टी-20 लीग भी चलती रहेगी। ऐसे में कोई खिलाड़ी कैसे खुद को एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में ढाल पाएगा।
भारतीय कप्तान विराट कोहली की बल्लेबाजी के बारे में क्या कहेंगे?
-विराट को देखकर विवियन रिचर्डस की याद आती है। दोनों सीधे बल्ले से खेलते हैं। उनकी बल्लेबाजी तकनीक इतनी अच्छी है कि उन्हें बाकी लोगों की अपेक्षा गेंद को खेलने के लिए ज्यादा समय मिलता है। मैं जब विराट से मिला था तो उनसे पूछा था कि आप तीनों फॉर्मेट में कैसे अच्छा खेल लेते हो तो उन्होंने कहा कि मैं आड़े-टेढ़े शॉट नहीं खेलता। निश्चित तौर पर यह एक बड़ी वजह है कि वह इतना उम्दा बल्लेबाज है।
जो रूट, स्टीव स्मिथ, केन विलियमसन और विराट कोहली को कैसे आंकते हैं। क्या अंतर पाते हैं इन तीनों में?
-देखिये तीनों ही काबिल बल्लेबाज हैं लेकिन मुङो विराट ज्यादा बुद्धिमान लगते हैं। विलियमसन ऑस्ट्रेलिया में भी रन बनाता है क्योंकि वह बैकफुट का खिलाड़ी है। रूट मैदान में पहुंचते ही रन बनाने के लिए सोचने लगता है जो अच्छा है। स्टीव स्मिथ के बारे में सब जानते हैं कि वह कितने अच्छे बल्लेबाज हैं। यह सभी क्वालिटी बल्लेबाज हैं।
अगले साल होने वाले विश्व कप में आपकी पसंदीदा टीम कौन होगी? कौन जीत सकता है विश्व कप?
-मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ छह टीमें इसे जीतने की दावेदार हैं। डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ की वापसी से ऑस्ट्रेलिया तो मजबूत होगी ही लेकिन अपने घर में खेलने के कारण इंग्लैंड भी खतरनाक हो जाएगी। हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि मेजबान होने के कारण इंग्लिश टीम पर दबाव भी ज्यादा होगा। मीडिया, दर्शकों और समर्थकों का अतिरिक्त दबाव इंग्लैंड पर होगा। हालांकि इससे पहले 1996 में श्रीलंका और 2011 में भारत ने अपने घर में दबाव में विश्व कप जीता था। देखना यह होगा कि वह इसे किस तरह मैनेज करते हैं। इसके अलावा भारत, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड भी दावेदार हैं। कुल मिलाकर यह क्रिकेट के लिए अच्छा है कि विश्व कप के लिए कोई एक दावेदार नहीं है और सारी टीमों को आपस में खेलना है।
आपका पसंदीदा विश्व कप कौन सा है?
-1975 का विश्व कप। इसका फाइनल विश्व की दो सर्वश्रेष्ठ टीमों के बीच में हुआ था। मेरी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया और क्लाइव लॉयड की कप्तानी में वेस्टइंडीज की टीमें आमने-सामने थीं। वेस्टइंडीज ने 17 रनों से यह मुकाबला जीतकर खिताब अपने नाम किया। वह शानदार मैच था।
आपके समय में बाउंड्री काफी बड़ी होती थी लेकिन अब सुरक्षा के नाम पर मैदान की बाउंड्री को छोटा किया जा रहा है। फील्डिंग करते समय खिलाड़ी लड़ नहीं जाए इसलिए काफी पहले ही रस्सी डालकर बाउंड्री बना दी जाती है। आपकी क्या राय है?
-क्या पिछले 100 साल में किसी को बाउंड्री से टकराने की वजह से ऐसी चोट लगी कि उसका करियर खत्म हो गया। यह सब बेकार की बाते हैं। मैं इसके पक्ष में नहीं हूं। मैं वनडे में दो गेंदों के इस्तेमाल के भी खिलाफ हूं। यहां लोग चांद पर पहुंच जाते हैं और हम ऐसी गेंद नहीं बना पा रहे हैं जो पूरे 50 ओवर चल जाए।