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INTERVIEW: विश्व कप जीतने के आधार पर कप्तान और कोच का आकलन मत करें : रवि शास्त्री

रवि शास्त्री ने दैनिक जागरण से कहा कि कोच का काम ही ढाल बनना होता है। टीम अच्छा नहीं खेले तो डंडा उठाओ। कोच बड़ा भाई होता है। विराट ने पांच साल कप्तानी की। टेस्ट टीम नंबर वन रही। सबसे सफल कप्तान अगर कप्तानी छोड़ता है तो दुख होता है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:45 AM (IST)
INTERVIEW: विश्व कप जीतने के आधार पर कप्तान और कोच का आकलन मत करें : रवि शास्त्री
पूर्व भारती कोच व कप्तान रवि शास्त्री और विराट कोहली (एपी फोटो)

पहले भारतीय खिलाड़ी, फिर कप्तान और उसके बाद मुख्य कोच बनने वाले रवि शास्त्री अब लीजेंड्स लीग क्रिकेट (एलएलसी) के कमिश्नर हैं। टी-20 विश्व कप के बाद शास्त्री का टीम इंडिया के साथ मुख्य कोच का करार खत्म हो गया था। उनके रहते हुए टीम ने तीनों फार्मेट में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कोई आइसीसी ट्राफी नहीं जीत पाई। शास्त्री का कहना है कि विश्व कप ट्राफी के आधार कप्तान और कोच का आकलन नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विराट अभी दो साल तक भारत के टेस्ट कप्तान रह सकते थे। ओमान में अभिषेक त्रिपाठी ने रवि शास्त्री से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-

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-लीजेंड्स लीग के कानसेप्ट के बारे में क्या कहेंगे और आप इसके कमिशनर के तौर पर क्यों जुड़े?

-- बहुत जबरदस्त कानसेप्ट है। जब यह शुरू हुआ तो मुझे देखना था कि खिलाडि़यों की प्रतिबद्धता और फिटनेस कैसी है। दो-तीन मैच देखने के बाद मुझे ऐसा लग रहा है कि इसका भविष्य जबरदस्त है। खिलाडि़यों को भी आइडिया लग गया है कि यह साल में एक-दो बार हो सकता है। अगर वे फिट और प्रतिबद्ध रहें तो उनके लिए अवसर है। एलएलसी को विकसित करना भी एक अवसर है। सिर्फ ओमान में ही नहीं, इसके बाद यह और भी जगह आयोजित किया जाएगा। जिन देशों में क्रिकेट उभर रहा है वहां इसका आयोजन होगा, इसलिए इसका भविष्य भी अच्छा है।

-आप भारतीय टीम के पूर्व कोच रहे हैं, हाल में टीम इंडिया और बीसीसीआइ के साथ जो घटनाक्रम हुए उसके बारे में क्या कहेंगे?

-- आप पूछ सकते हैं, लेकिन मैं तीन महीने के लिए भारतीय क्रिकेट के साथ तलाक पर हूं क्योंकि मैंने बीसीसीआइ के साथ सात साल काम किया है। मुझे तीन महीने के लिए ब्रेक चाहिए। इसके बाद जो पूछना हो पूछो। हाल में जो घटनाक्रम हुए उसके बारे में मुझे मत पूछिए क्योंकि मैं कुछ नहीं कहूंगा। सात साल मैंने टीम के साथ काम किया है और मैं टीम का सम्मान करता हूं। इसके बाद मैंने ज्यादा क्रिकेट देखा नहीं है क्योंकि मेरा ध्यान कहीं और केंद्रित है। तीन महीने के बाद क्रिकेट की दुनिया में वापस फिर जाऊंगा। कमेंट्री करने या किसी और रूप में। इसके बाद फिर जो पूछना हो मैं बोलूंगा।

-लेकिन बीसीसीआइ-विराट का जो हालिया विवाद हुआ उसे बेहतर तरीके से हैंडल किया जा सकता था? आप होते तो उसे कैसे संभालते?

--सार्वजनिक या निजी जीवन में कोई भी विवाद होता है तो हमेशा उसे बेहतर तरीके से संभालने का अवसर होता है। मुझे पता नहीं हालात कैसे थे क्योंकि मैंने तीन महीने में कुछ नहीं देखा है। कौन बंदा किसके बारे में क्या बोला है, मुझे कोई आइडिया नहीं है। अगर मैं दोनों पार्टियों से एक बार बात करूं और आइडिया आ जाए तो फिर मैं अपने विचार रखूंगा।

-आप और सुनील गावस्कर पहले भी जब कभी बीसीसीआइ कठिन परिस्थितियों में फंसा तो आपने उसमें बीच का रास्ता निकाला तो क्या भविष्य में आप ऐसा कुछ करेंगे?

-- भविष्य एक रहस्य है और जो पीछे गया वो इतिहास है। हम रहना चाहते हैं वर्तमान में। ऊपर वाले के आशीर्वाद से यह वर्तमान में है। जैसे लीजेंड्स टूर्नामेंट है, यह चल रहा है तो इसके बारे में पूछो। बाहर क्या चल रहा है इससे क्या मतलब है।

-आप जब कोच थे तो विराट के लिए ढाल का काम करते थे?

--कोच का काम ही ढाल बनना होता है। टीम अच्छा नहीं खेले तो डंडा उठाओ। कोच बड़ा भाई होता है। विराट ने पांच साल कप्तानी की। टेस्ट टीम नंबर वन रही। सबसे सफल कप्तान अगर कप्तानी छोड़ता है तो दुख होता है। खिलाड़ी को पता होता है कि वह मजा नहीं ले पा रहा है। वह अपने ऊपर से दबाव कम करना चाहता है। उसे पता है कि फोकस मैच में करना है। सचिन, धौनी और गावस्कर ने भी बीच में कप्तानी छोड़ी। उन्हें भी उस समय कप्तानी में मजा नहीं आ रहा होगा। भारत में खेलना है तो आपको लगातार जीतते रहना होगा। विराट के नेतृत्व में हम सबसे ज्यादा 40 टेस्ट जीते। अगर वह दो साल और कप्तान रहता तो ये आंकड़ा 50-60 हो जाता। अभी कई लोगों को 40 बर्दाश्त नहीं हो रहा तो फिर 50-60 कैसे होता। हम आस्ट्रेलिया में जीते, इंग्लैंड में जीते। यहां 40 टेस्ट जीतने वाली टीम पर बहस हो रही है। अगले दो साल भारत में ही टीम को खेलना है और वह भी निचली रैंकिंग वाली टीम से। उसमें तो कोई भी बेहतर प्रदर्शन कर लेगा। बाहर शायद एक-दो टेस्ट हैं। मैं किसी एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि पूरी टीम की ढाल था। मेरा मानना है कोई खिलाड़ी गलत कर रहा है तो सीधे बोलो। हार से मत डरो। ये चैंपियन टीम है।

-अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा का समय क्या खत्म हो गया?

--मेरे समय रहाणे और पुजारा महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। कोच के तौर पर मेरे लिए वर्तमान फार्म महत्वपूर्ण होती है। मैं नेट पर देखता था कि किसका पैर चल रहा है, उसका दिमाग क्या सोच रहा है, वह जोन में है कि नहीं? इसके आधार पर अंतिम एकादश में टीम का चयन होता था। मैं 40-50-100 रनों के आंकड़े नहीं देखता था। 2017 चैंपियंस ट्राफी के बाद जब अनिल कुंबले ने कोच का पद छोड़ा और मैं दोबारा आया। उस समय टीम स्थायित्व पर चल रही थी कि जिसे खिलाया गया उसे आगे भी खिलाओ। श्रीलंका में शायद अभिनव मुकुंद, मुरली विजय और केएल राहुल ओपनर थे। शिखर भी बहुत सारे रन बनाकर टेस्ट टीम में आया था। अभ्यास मैच में शिखर को छठे नंबर पर उतारा। मैं विराट से बोला कि इसको ओपिनंग कराओ। विराट पुराने बनाए गए नियमों के आधार पर परिवर्तन करने में असमंजस में था, लेकिन पहले टेस्ट में ही धवन को मौका दिया गया और उन्होंने 190 रन की पारी खेली। इसके बाद तीन साल उसका बल्ला बहुत अच्छा चला।

-भारतीय टीम के भविष्य पर चर्चा चल रही है कि किसको टेस्ट कप्तान होना चाहिए?

-- पहली बात टीम का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। मैंने जो सात साल में देखा है, नई प्रतिभाएं जो आ रही हैं वे बेहतरीन हैं। जहां तक कप्तान की बात है तो दो फार्मेट में रोहित कप्तान हैं। दक्षिण अफ्रीका गई टेस्ट टीम के उप कप्तान भी वहीं बनाए गए थे, लेकिन चोट के कारण वह जा नहीं सके। इसका मतलब है कि उन्हें ही कप्तान के तौर पर सोचा जा रहा होगा।

-केएल राहुल या रिषभ पंत? उप कप्तान के तौर पर किसे आगे बढ़ाना चाहिए?

--मैं तो इस सोच का व्यक्ति हूं कि उप कप्तान बनाना ही क्यों। जिसकी टीम में जगह बने और जो उस दिन बेहतर हो उसे उप कप्तान बनाओ। ऐसे उप कप्तान बनाने से क्या फायदा जिन्हें अंतिम-11 से ड्राप करना पड़े। जहां तक पंत की बात है तो वह अद्भुत खिलाड़ी है। वह सुनता भी है। ऐसा नहीं है कि वह सुनता नहीं है। उसमें बहुत प्रतिभा है और आगे जाएगा। वह उप कप्तानी का बेहतर विकल्प है।

-आपको लगता है कि विराट कोहली को टेस्ट की कप्तानी छोड़नी चाहिए थी?

--मुझे लगता है कि वह दो साल और टेस्ट कप्तानी कर सकते थे। जब मैं कोच था तो धौनी कप्तान थे। फिर विराट ने कप्तानी की। बीच-बीच में अजिंक्य रहाणे और रोहित शर्मा ने भी कप्तानी की। हमने काफी टूर्नामेंट और सीरीज भी जीतीं। मुझे सात साल का पूरा आइडिया है। थोड़ा मेरे को आराम और स्टडी करने दो कि मेरे जाने के बाद क्या हुआ है।

-हाल में दक्षिण अफ्रीका में प्रदर्शन तो उम्मीद अनुरूप नहीं रहा?

--कभी-कभी प्रदर्शन ऊपर-नीचे होता रहता है। मैं ज्यादा इसलिए भी नहीं बोल सकता क्योंकि मैंने इस दौरान ज्यादा क्रिकेट देखा नहीं है। यह जो सीरीज हुई है इसमें ज्यादातर मैंने कुछ नहीं देखा। मुझे कोई अधिकार नहीं है क्रिकेट के बारे में बात करने का अगर मैं उसे नहीं देख रहा हूं।

-क्या विश्व कप जीतने के आधार पर कोच और कप्तान का आकलन होना चाहिए?

--बिलकुल नहीं। हमारे कितने शीर्ष खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कभी विश्व कप को हाथ भी नहीं लगाया है। कौन कप्तान हैं जिन्होंने विश्व कप जीते हैं। भारत में सिर्फ कपिल देव और महेंद्र सिंह धौनी। क्या इस आधार पर दूसरे लोग की बात नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब हम किसी अन्य कप्तान की बात नहीं करेंगे। क्यों, विश्व कप कितने लोगों ने जीता है। हां, मैं बोल सकता हूं क्योंकि मैंने विश्व कप ट्राफी को हाथ लगाया है।

-क्या टेस्ट के प्रदर्शन के आधार पर हमें खिलाड़ी, कप्तान और कोच को वरीयता देनी चाहिए या विश्व कप नहीं जीता इस पर ध्यान देना चाहिए?

--अपने देश में अगर आपने विश्व कप जीता और टेस्ट सीरीज हारी तो भी लोग टीम पर चढ़ जाएंगे। टेस्ट सीरीज जीती और वनडे में एक-दो टूर्नामेंट हार जाएंगे तो वनडे टीम पर चढ़ेंगे। हम सब की यह आदत है। सात साल हमारी यह कोशिश थी कि जितना जीत सकते हैं जीतो। जहां जाओ क्रिकेट खेल वहां जीतने की कोशिश करो।

-रविचंद्रन अश्विन ने हाल में बयान दिया था कि एक समय ऐसा हुआ कि उन्हें पता ही नहीं था कि उनका भविष्य क्या है? अब दक्षिण अफ्रीका में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। क्या कहेंगे?

--अश्विन के बयान पर मैं पहले ही अपनी बात रख चुका हूं। दक्षिण अफ्रीका सीरीज में मैंने उसकी गेंदबाजी नहीं देखी, लेकिन वह बढि़या गेंदबाज है। जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि अगले दो साल भारत को ज्यादा क्रिकेट भारत में ही निचली रैंकिंग वाली टीमों के साथ खेलना है तो वहां तो कोई भी प्रदर्शन कर लेगा।


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