सुप्रीम कोर्ट का BCCI को एक दिन का वक्त, अनुराग ठाकुर की होगी छुट्टी?
लोढ़ा कमिटी और बीसीसीआइ के बीच विवाद की सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को काफी खरी-खोटी सुनने को मिली है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। लोढ़ा कमिटी और बीसीसीआइ के बीच जारी टकराव में सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ के कामकाज को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। गुरुवार को इस मामले में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को कोर्ट और कोर्ट के सलाहकार गोपाल सुब्रमण्यम की ओर से काफी खरी-खोटी सुनने को मिली। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के क्रिकेटर होने के दावे पर भी मजाक किया।
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ से सीधे सवाल पूछा कि आप लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें लागू करेंगे या नहीं? कोर्ट ने बीसीसीआइ से अंडरटेकिंग देने को कहा कि वह बिना किसी शर्त के लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करेगा वरना कोर्ट आदेश देगी। अगर बीसीसीआइ अंडरटेकिंग नहीं देता है तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। बीसीसीआइ के वकील कपिल सिब्बल ने अंडरटेकिंग देने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश इस बात से भी नाराज दिखे कि राज्य असोसिएशनों ने लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को वोटिंग के जरिए मानने से इनकार कर दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लेकर बीसीसीआइ को बिल्कुल भी रियायत देने के मूड में नहीं दिखा। इसका मतलब है कि बीसीसीआइ के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर समेत शीर्ष पदाधिकारियों की छुट्टी हो सकती है। कोर्ट ने सुब्रमण्यम और लोढ़ा कमिटी से यह भी सुझाव देने कहा है कि बीसीसीआइ के शीर्ष पदाधिकारी कौन हो सकते हैं उनकी क्या खासियत होनी चाहिए।
सभी राज्य असोसिएशनों को फंड की निकासी पर रोक
कोर्ट ने अपने अहम फैसले में सभी राज्य असोसिएशनों को फंड की निकासी रोकने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा, 'इनको पैसे मत दो, ये ठीक से काम नहीं कर रहे हैं और सुधारों को लागू नहीं कर रहे हैं। इनके पास पैसे मांगने का कोई हक नहीं है।' कोर्ट ने बीसीसीआइ से कहा कि 400 करोड़ का फंड निकालना रूटीन मामला नहीं है। फंड निकासी की पॉलिसी बनने तक कोई फंड जारी न किया जाए। फंड जारी करने से पहले लोढ़ा कमिटी से पूछ लिया जाए।
शीर्ष पदाधिकारियों में कितने क्रिकेटर
कोर्ट ने गोपाल सुब्रमण्यम से पूछा कि बीसीसीआइ के शीर्ष पांच पदाधिकारियों में से कितने क्रिकेटर हैं! इससे पहले, सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा, 'ऐसा लगता है, हम ऐसे मोड़ पर आ गए हैं कि बीसीसीआइ अधिकारी चाहते हैं कि हम उन्हें सस्पेंड करें।' बीसीसीआइ के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि अनुराग ठाकुर क्रिकेटर हैं और वह रणजी टीम के कप्तान भी रहे हैं। इस पर टीएस ठाकुर ने कहा, 'यहां सभी क्रिकेटर हैं। मैं भी सुप्रीम कोर्ट के जजों की क्रिकेट टीम का कप्तान हूं। क्या बीसीसीआइ के अधिकारियों की इसके अलावा कोई और खासियत है? अनुराग ठाकुर ने बीसीसीआइ अध्यक्ष बनने से पहले केवल एक रणजी मैच खेला है।'
बीसीसीआइ लोढ़ा कमिटी को हल्के में न ले
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ से कहा, 'लोढ़ा कमिटी आम कमिटी नहीं है। इसके अक्ष्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। अगर बीसीसीआइ को कोई परेशानी है तो लोढ़ा कमिटी के पास शिकायत दर्ज कराए।' कोर्ट ने कहा कि या तो बीसीसीआइ अपने नए अधिकारियों को चुने या फिर लोढ़ा कमिटी बीसीसीआइ को सही से काम करने के लिए कुछ और समय दे। सुब्रमण्यम ने बीसीसीआइ द्वारा कमिटी के आदेशों का पालन न करने पर कहा कि यह न्यायपालिका पर हमला है और इस तरह से हारने वाला कोई भी पक्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं मानेगा। उन्होंने आगे कहा कि बीसीसीआइ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उलट राज्य असोसिएशनों को बिना कोई नीति बनाए फंड जारी किया।
काटजू को लेकर बीसीसीआइ को सुननी पड़ी खरी-खोटी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ से कहा कि वह लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों के अनुसार काम करने में नाकाम रही है। कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआइ ने काटजू को मध्यस्थता करने के लिए रखा था, पर काटजू ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि वह लोढ़ा कमिटी के सामने पेश नहीं होंगे। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि बीसीसीआइ हमारा सम्मान केवल बातों में ही नहीं असल में भी करे। इस केस में सलाहकार गोपाल सुब्रमण्यम ने भी काटजू को निशाने पर लिया और कहा कि उन्होंने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट का ऐसा जज नहीं देखा है, जो प्रेस कॉन्फ्रेंस करे और मौजूदा जजों पर टिप्पणी करे। सुब्रमण्यम ने बीसीसीआइ के शीर्ष पदाधिकारियों को बदलने की मांग उठाई। लोढ़ा कमिटी ने भी काटजू की शिकायत की कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को न मानने की बात कही।
बीसीसीआइ के कामकाज और अधिकारियों पर सवाल
कोर्ट ने बीसीसीआइ से यह भी पूछा कि अजय शिर्के क्या करते हैं। इसक अलावा कोर्ट ने रत्नाकर शेट्टी से पूछा कि अनुराग ठाकुर और शशांक मनोहर के बीच क्या बातचीत हुई थी और इस मामले में मनोहर पर किस आधार पर आरोप लगाए जा रहे हैं। सुनवाई के दौरान बीसीसीआइ के आचरण को लेकर कोर्ट ने काफी सख्ती दिखाई। लोढ़ा कमिटी ने आइसीसी का मामला उठाया और कहा कि बीसीसीआइ ने आइसीसी को लेटर जारी करने को कहा था और उन्हें यह नहीं मिला तो बीसीसीआइ ने शशांक मनोहर पर आरोप लगाने शुरू कर दिए।
इससे पहले, बीसीसीआइ ने लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों न मानने और खेल में सुधारों पर रोक लगाने के आरोप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। बीसीसीआइ ने अपने जवाब में कहा कि लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को न मानने वाले आरोप गलत हैं।