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गेम चेंजर साबित होगी ये क्रिकेट बॉल, बिना थूक और लार लगाए गेंदबाज बरपा सकते हैं कहर

जालंधर में बनीं क्रिकेट बॉल अब गेंदबाजों के लिए अच्छी साबित हो सकती हैं क्योंकि इसको चमकाने के लिए लार या थूक लगाने की जरूरत नहीं होगी।

By Vikash GaurEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:57 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 08:57 AM (IST)
गेम चेंजर साबित होगी ये क्रिकेट बॉल, बिना थूक और लार लगाए गेंदबाज बरपा सकते हैं कहर
गेम चेंजर साबित होगी ये क्रिकेट बॉल, बिना थूक और लार लगाए गेंदबाज बरपा सकते हैं कहर

जालंधर, मनोज त्रिपाठी। जालंधर के निर्माता ने ऐसी क्रिकेट बॉल तैयार की है, जिसे चमकाने के लिए थूक लगाने की जरूरत नहीं है। फिलहाल टी20 मैचों के लिए इस बॉल को तैयार किया गया है। वनडे और टेस्ट मैच के लिए प्रयास जारी है। कोरोना को देखते हुए अब क्रिकेट के मैदानों पर यह बॉल गेम चेंजर साबित हो सकती है। जालंधर की मिस्त्री छज्जू राम एंड संस कंपनी ने इस बॉल को तैयार किया है।

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बॉल बनाने वाली जालंधर की सबसे पुरानी कंपनी के मालिक देश दीपक बताते हैं कि 1902 से उनका परिवार इस काम को कर रहा है। अंग्रेजों ने बॉल बनाना सिखाया था। पहले लेदर पर जानवरों की चर्बी व फिश ऑयल लगाकर बॉल तैयार की जाती थी। उसके बाद मोमबत्ती व तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाने लगा, अब वैक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कोरोना के कारण बॉल पर बॉलर्स द्वारा थूक लगाए जाने पर आइसीसी के प्रतिबंध के मद्देनजर यह बॉल तैयार की गई है। इसमें ज्यादा वैक्स का इस्तेमाल करके समस्या का समाधान निकाल लिया गया है। सामान्य बॉल 16-17 दिनों के प्रोसेस के बाद तैयार होती है जबकि अतिरिक्त वैक्स वाली बॉल को तैयार करने में दो दिन ज्यादा लगते हैं। बॉल के लिए लेदर को प्रोसेस करने के बाद उसके अंदर की तरफ हल्का ऑयल व ज्यादा वैक्स लगाकर उसे सुखाते हैं। फिर कॉर्कवुड अंदर डालकर हाथ या मशीन से स्टिच (सिलाई) करते हैं।

ज्यादा वैक्स लगाने से खेलते समय बॉल के ऊपर वैक्स आता रहता है और 20 से 25 ओवरों तक उसकी चमक (शाइनिंग) खराब नहीं होती है। अगर इस बॉल का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैचों में होता है तो बॉलर्स को थूक लगाने की जरूरत नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय मैचों में इसके इस्तेमाल का अंतिम फैसला आइसीसी और आइपीएल के लिए बीसीसीआइ की कमेटी करेगी। अगर इसे अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए क्लीन चिट नहीं भी दी जाती है तो भी कोरोना के चलते सूने पड़े दुनिया भर के घरेलू क्रिकेट के मैदानों को जरूर गुलजार करने में यह मददगार साबित होगी।

एक और खूबी यह है कि बॉलर्स इस बॉल से टैंपरिंग करके रिवर्स स्विंग नहीं करवा पाएंगे। वे ही रिवर्स स्विंग करवा सकेंगे जिन्हें उसमें दक्षता हासिल होगी। मैचों में ज्यादातर बॉलर्स या खिलाड़ी रिवर्स स्विंग करवाने के लिए ही एक साइड से बाल को रगड़ कर या नाखूनों से घिसकर उसकी शाइनिंग खराब करते हैं। फिर उसी भाग पर थूक लगाकर बॉल को गीला करके रिवर्स स्विंग के लिए तैयार करते हैं। इस बॉल के इस्तेमाल से टैंपरिंग के मामले भी कम हो जाएंगे।

तेंदुलकर के बयान पर किया गौर और बनाई बॉल: राजकुमार

मिस्त्री छज्जू राम एंड संस के डायरेक्टर राजकुमार बताते हैं कि उनकी कंपनी अनेक देशों में क्रिकेट की बॉलों की सप्लाई करती है। तीसरी पीढ़ी इस काम को आगे बढ़ा रही है। जिस समय बॉल पर थूक न लगाने को लेकर बहस चल रही थी उसी समय सचिन तेंदुलकर ने बयान दिया था कि थूक की बजाय बाल पर ज्यादा वैक्स लगाकर इसका समाधान किया जा सकता है। उसी के बाद आइडिया आया और हमने रिसर्च शुरू कर दी। छह सप्ताह की रिसर्च के बाद हमने बॉल तैयार कर ली है। हमारा दावा है कि ट्वंटी-ट्वंटी ओवर्स के मैच में इस बॉल पर थूक या पसीना लगाने की जरूरत नहीं है।

अच्छा प्रयास है इससे कोरोना काल में क्रिकेट को बढ़ावा मिलेगा: अबरोल

क्रिकेट विश्व कप में आधिकारिक स्पांसर कंपनी व एक्सपोर्टर वल्र्ड वाइड क्रिकेट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अरविंद अबरोल कहते हैं कि यह अच्छा प्रयोग है। इससे क्रिकेट पर मंडरा रहे कोरोना संक्रमण से बचाव होगा।

अच्छी खबर है: भज्जी

भारतीय टीम के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह (भज्जी) ने कहा कि यह अच्छी खबर है। तमाम खेलों की तरह क्रिकेट पर भी कोरोना का साया पड़ा है। यह गेंद उसे हटाने में मददगार साबित होगी।


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