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'विराट कोहली कप्तान के तौर पर सौरव गांगुली की राह पर चल रहे हैं, पर दोनों के बीच है बड़ा फर्क'

वेंकटेश प्रसाद ने कहा कि गांगुली और विराट दोनों को ही काफी कठिन परिस्थिति में टीम की कप्तानी सौंपी गई।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jun 2020 11:56 PM (IST)
'विराट कोहली कप्तान के तौर पर सौरव गांगुली की राह पर चल रहे हैं, पर दोनों के बीच है बड़ा फर्क'
'विराट कोहली कप्तान के तौर पर सौरव गांगुली की राह पर चल रहे हैं, पर दोनों के बीच है बड़ा फर्क'

नई दिल्ली, जेएनएन। टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद का मानना है कि विराट कोहली ठीक उसी तरह के कप्तान हैं जैसे कि सौरव गांगुली थे। उन्होंने कहा कि विराट कोहली को भी कठिन परिस्थिति के दौरान ही टीम इंडिया की कप्तानी मिली थी और उन्होंने गांगुली की तरह से ही अपनी प्रेरणादायी लीडरशिप के दम पर टीम के कल्चर को पूरी तरह से बदल दिया। 

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सौरव गांगुली को मैच फिक्सिंग के ठीक बाद टीम इंडिया की कप्तानी दी गई थी जबकि विराट को साल 2014 में जब टेस्ट टीम की कप्तानी मिली तब ये टीम आइसीसी टेस्ट रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए संघर्ष कर रही थी। भारत के लिए 33 टेस्ट और 151 वनडे मैच खेलने वाले वेंकटेश प्रसाद ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि विराट कोहली कप्तानी के मामले में सौरव गांगुली की लाइन पर ही हैं क्योंकि गांगुली को कप्तानी तब मिली थी जब टीम इंडिया काफी बुरे दौर से गुजर रही थी। वहीं इसके बाद गांगुली ने टीम को पूरी तरह से बदल दिया। मुझे लगता है कि इसके लिए जबरदस्त लीडरशिप क्वालिटी की जरूरत थी जो गांगुली में था। 

प्रसाद ने कहा कि विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में भारत को टॉप पर पहुंचाने के लिए काफी मेहनत की है। उन्होंने अपनी टीम के लिए खूब रन बनाए और टीम को टेस्ट रैकिंग में टॉप पर पहुंचाया। टीम इंडिया टेस्ट रैंकिंग में टॉप पर इस साल की शुरुआत तक रहा। विराट की कप्तानी में टीम इंडिया की पेस गेंदबाजी आक्रमण में गजब का सुधार देखने को मिला और अब ये टीम विदेशों में भी मैच जीत रही है। 

उन्होंने कहा कि सौरव गांगुली ने कभी भी मैदान पर अपनी भावनाओं को नहीं दिखाया। हमने उन्हें मैदान पर एक या दो बार ऐसा करते देखा है। वहीं विराट एक भावुक व्यक्ति के तौर पर नियंत्रित आक्रामकता के साथ सामने आते हैं। लोगों को ऐसा लगता है कि वो ओवर बोर्ड हो जाते हैं, लेकिन ये उनकी आक्रामकता है। विराट अपनी इन्हीं आक्रामकता की वजह से गेम में बने रहते हैं, इसकी वजह से ही वो खेल के बारे में सोचते हैं। विराट के बारे में ये साफ दिखता है, लेकिन वहीं गांगुली की आक्रामकता एक-दो मौको को छोड़कर कभी नहीं दिखी। 


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