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गांगुली ने चैपल को फिर लगाई फटकार, 'मेरे कोच अकरम और शोएब अख्तर की गेंद का सामना नहीं करते थे'

दादा ने कहा 2005 में जिंबाब्वे दौरे से लौटने के बाद टीम इंडिया से बाहर होने पर मेरा आत्मविश्वास घटा नहीं था बल्कि और बढ़ गया था।

By Viplove KumarEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 03:53 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 03:53 PM (IST)
गांगुली ने चैपल को फिर लगाई फटकार, 'मेरे कोच अकरम और शोएब अख्तर की गेंद का सामना नहीं करते थे'
गांगुली ने चैपल को फिर लगाई फटकार, 'मेरे कोच अकरम और शोएब अख्तर की गेंद का सामना नहीं करते थे'

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को विश्व क्रिकेट के सबसे आक्रामक कप्तान और जुझारू खिलाड़ी के तौर पर जाना जाता है। टीम इंडिया में उनके सीनियर हो, साथी या फिर जूनियर सभी दादा कह कर पुकारा करते थे। यहां तक कि विदेशी खिलाड़ी भी उनको आज तक दादा के नाम से ही संबोधित करते हैं।

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विवादों से गांगुली का गहरा नाता रहा और इसमें पूर्व कोच ग्रेग चैपल का साथ हुआ विवाद सबसे पहले याद आता है। बताया जाता है कि इसी वजह से उनको टीम से बाहर तक होना पड़ा था लेकिन क्रिकेट को अपना जुनून मानने वाला गांगुली ने ना सिर्फ टीम में वापसी की बल्कि शान के साथ विवाई मैच भी खेला। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान ने कहा कि 2005 में राष्ट्रीय टीम से बाहर होने पर उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया था।

एक साक्षात्कार में दादा ने कहा, "2005 में जिंबाब्वे दौरे से लौटने के बाद टीम इंडिया से बाहर होने पर मेरा आत्मविश्वास घटा नहीं था बल्कि और बढ़ गया था। मुझे पता था कि अगर मुझे दोबारा खेलने का मौका मिलेगा तो मैं फिर से रन बनाऊंगा। मेरे कोच मैदान के बीच में वसीम अकरम, ग्लेन मैकग्रा और शोएब अख्तर को खेलने नहीं जाते थे। मैं जाता था और उनके खिलाफ रन बनाने में भी सफल रहा। अगर मैं 10 साल तक ऐसा कर सकता हूं तो दोबारा मौका मिलने पर फिर से कर सकता हूं।"

सौरव ने आगे कहा, "यह सच है कि टीम से बाहर होने के बाद मैं बहुत निराश हो गया था, लेकिन मैंने कभी आत्मविश्वास नहीं खोया, एक सेकेंड के लिए भी नहीं। मैं इसके लिए अकेले ग्रेग चैपल पर दोषारोपण नहीं करना चाहूंगा, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि उन्होंने ही इसकी शुरुआत की थी।"

"उन्होंने अचानक मेरे खिलाफ बोर्ड को एक ईमेल किया था, जो लीक भी हो गया था। ऐसा क्या होता है? क्रिकेट टीम परिवार की तरह है। परिवार में वैचारिक मतभेद और गलतफहमियां हो सकती हैं लेकिन उन्हें बातचीत से दूर किया जाना चाहिए। चैपल कोच थे। अगर उन्हें लगता था कि मुझे एक निश्चित तरीके से खेलना चाहिए तो मेरे पास आकर कहना चाहिए था। जब मैंने खिलाड़ी के तौर पर टीम में वापसी की, तब उन्होंने वह बात कही,जो पहले कहनी चाहिए थी।" 


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