सौरव गांगुली का खुलासा, बताया पाकिस्तान के खिलाफ MS Dhoni को नंबर 3 पर क्यों भेजा था
पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा है कि तेंदुलकर अगर नंबर 6 पर खेलते रहते तो तेंदुलकर नहीं बन पाते। ऐसा ही धौनी के साथ था। इसलिए उन्होंने धौनी को ऊपर भेजा था।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआइ अध्यक्ष ने सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए कहा है कि अगर वे बतौर कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को भारत के लिए खेलते हुए शुरुआत में टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करने नहीं भेजते तो वे सफल नहीं होते। सौरव गांगुली ने ये बात उस समय कही है जब एमएस धौनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। दादा ने बताया है कि धौनी को वे टॉप ऑर्डर का बल्लेबाज ही समझते थे।
गांगुली भारतीय टीम के कप्तान थे जब एमएस धौनी ने पदार्पण किया था। पहले कुछ एकदिवसीय मैचों में खराब प्रदर्शन के बाद सौरव गांगुली ने 2005 में विशाखापत्तनम वनडे मैच में पाकिस्तान के खिलाफ धौनी को नं 3 पर प्रमोट करने का फैसला किया। धौनी ने 148 रन की दमदार पारी खेली और टीम को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका अदा की। गांगुली का उनको टॉप ऑर्डर में भेजने का फैसला सही साबित हुआ और फिर धौनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
गांगुली ने सचिन का उदाहरण दिया और कहा कि अगर वह वनडे में नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते रहते तो वह इतने महान खिलाड़ी नहीं होते। सौरव गांगुली ने कहा है, "उन्हें (धौनी) वाइजैग में नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला, शानदार शतक बनाया और जब भी उन्हें अधिक ओवर खेलने का मौका मिला, उन्होंने बड़ा स्कोर बनाया। अगर तेंदुलकर नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते रहते तो तेंदुलकर नहीं बनते, क्योंकि आपको खेलने के लिए मुट्ठी भर गेंदें मिलती हैं।"
बीसीसीआइ अध्यक्ष ने कहा कि वह धौनी की क्षमताओं के बारे में जानते थे, क्योंकि पूर्व भारतीय विकेटकीपर ने चैलेंजर्स ट्रॉफी में गांगुली की टीम में खेलते हुए शतक बनाया था। गांगुली ने एक यूट्यूब से बात करते हुए कहा है, "चैलेंजर ट्रॉफी थी, उन्होंने बल्लेबाजी में पारी की शुरुआत करते हुए मेरी टीम के लिए शतक बनाया था, इसलिए मुझे पता था कि वे टॉप ऑर्डर में अच्छा कर सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "एक खिलाड़ी तब बनता है जब आप उसे ऊपर भेजते हैं, तो आप उसे नीचे क्रम में खिलाकर खिलाड़ी नहीं बना सकते। मेरा हमेशा मानना है कि ड्रेसिंग रूम के अंदर बैठकर आप बड़े क्रिकेटर नहीं बन सकते। क्षमताओं की तरह, विशेष रूप से छक्के मारने की कला उनमें दुर्लभ थी। उन्होंने अपने करियर के अंत की दिशा में बदलाव किया, लेकिन जब एमएस धौनी परिपक्व नहीं थे तो उन्हें आजाद करना बहुत जरूरी था। जब मैंने संन्यास ले लिया था, तो मैंने कई बार अपने विचारों को प्रसारित किया कि धोनी को ऊपर बल्लेबाजी करनी चाहिए।"