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सहवाग ने मैच में गाली देने वाले अंग्रेज विकेटकीपर की लगाई क्लास, कहा- जिम्मेदार बनो

सहवाग ने कहा कि अपशब्द युवाओं के लिए कष्टप्रद हैं जो आपको टीम पर देख रहे हैं और अपने नायकों का अनुशरण करते हैं।

By Viplove KumarEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 08:30 AM (IST)
सहवाग ने मैच में गाली देने वाले अंग्रेज विकेटकीपर की लगाई क्लास, कहा- जिम्मेदार बनो

नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने मैदान पर अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाले खिलाड़ियों को संयम रखने की सलाह दी है। सहवाग ने कहा कि अपशब्द युवाओं के लिए कष्टप्रद हैं जो आपको टीम पर देख रहे हैं और अपने नायकों का अनुशरण करते हैं। हाल ही में केपटाउन टेस्ट में इंग्लैंड के विकेटकीपर जोस बटलर ने साउथ अफ्रीका के गेंदबाज वर्नोन फिलैंडर को विकेट के पीछे से अपशब्द कहे थे।

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सहवाग ने इंग्लिश विकेटकीपर का नाम लिए बिना ही उनको फटकार लगाई। बटलर एक बड़े खिलाड़ी हैं और उनको अनुशासन में रहना चाहिए। उन्होंने टेस्ट मैच के दौरान फिलैंडर को अपशब्द कहे थे जो माइक में सुना जा सकता था। आईसीसी ने इस हरकत के लिए उनपर 15 फीसदी मैच फीस का जुर्माना लगाया था।

उन्होंने कहा, 'आजकल के बच्चे पढ़ सकते हैं कि एक खिलाड़ी क्या कहता है। स्टंप माइक को स्विच करना समाधान नहीं है। शायद कुछ सीमाओं को परिभाषित करना और उसका पालन करना एक समाधान है। अपशब्दों का इस्तेमाल किए बिना ही स्वस्थ्य माहौल टेस्ट क्रिकेट को दिलचस्प बनाता है।

'मैंने सिर्फ पटौदी साहब की सलाह मानी :

इस मौके पर सहवाग ने पटौदी साहब के साथ अपनी यादों और मुलाकातों को साझा किया। उन्होंने कहा, 'मेरा उनसे करीबी रिश्ता है। मैं उनसे पहली बार 2005-06 में मिला था, मैंने उनसे पूछा कि आपने मुझे खेलते हुए देखा है, मैं अपने खेल में कैसे सुधार कर सकता हूं। उन्होंने मुझे सिर्फ एक बात कही कि जब आप बल्लेबाजी कर रहे होते हैं, तो आप गेंद से दूर होते हैं। यदि आप पास रहेंगे, तो आप आउट नहीं होंगे।'

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 16,000 से ज्यादा रन बनाने वाले इस आक्रामक बल्लेबाज ने कहा, 'मैंने कभी किसी की सलाह नहीं मानी है, लेकिन मैंने उनकी सलाह मानी, जिसका असर यह हुआ कि मैंने टेस्ट क्रिकेट में काफी रन बनाए। इसका श्रेय उन्हें जाता है। यदि मुझे उनकी किसी से तुलना करनी है तो मैं उनकी तुलना महाभारत के कृष्ण से करूंगा। यदि वह (कृष्ण) वहां नहीं होते तो पांडव जीत नहीं पाते।

उन्होंने इसे बदला कि हमने कैसा टेस्ट क्रिकेट खेला। वह विदेश में जीतने वाले पहले कप्तान थे। हो सकता है कि यदि वह नहीं होते तो भारत को विदेश में जीतने में और अधिक समय लगता।'


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