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गांगुली ने बताया कैसे इंटरनेशनल क्रिकेट के आखिरी दिन उन्हें Dhoni ने दिया था अनोखा सरप्राइज

सौरव गांगुली ने बताया कि उनके करियर के आखिरी टेस्ट मैच में Dhoni ने उन्हें सरप्राइज कर दिया था।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 05:52 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 05:52 PM (IST)
गांगुली ने बताया कैसे इंटरनेशनल क्रिकेट के आखिरी दिन उन्हें Dhoni ने दिया था अनोखा सरप्राइज
गांगुली ने बताया कैसे इंटरनेशनल क्रिकेट के आखिरी दिन उन्हें Dhoni ने दिया था अनोखा सरप्राइज

नई दिल्ली, जेएनएन। सौरव गांगुली ने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर के आखिरी दिन को याद किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से 2008 में जब वो अपने करियर का फाइनल टेस्ट खेल रहे थे और रिटायर होने वाले थे तब उस वक्त टीम के इंडिया के कप्तान MS Dhoni ने उन्हें सरप्राइज दिया था। नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गांगुली ने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था और इस मैच के फाइनल सेशन में धौनी ने उन्हें टीम इंडिया का कप्तान बना दिया था। फिर गांगुली ने 3-4 ओवर तक टीम की कप्तानी की और भारत को उस मैच में 172 रन से जीत मिली थी। 

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2000 से लेकर 2005 तक 49 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी करने वाले गांगुली ने कहा कि वो धौनी के इस कदम से सरप्राइज हो गए थे और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके इंटरनेशनल करियर के आखिरी दिन उन्हें इस तरह से सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि नागपुर में मेरा आखिरी टेस्ट मैच था। वो मैच का आखिरी दिन और आखिरी सेशन था। मैंने विदर्भ स्टेडियम में कदम रखा और इसके बाद मेरे सभी साथी खिलाड़ी मुझे सम्मानित करने के लिए खड़े हो गए और गार्ड ऑफ ऑनर दिया। गांगुली ने ये बातेें मयंक अग्रवाल को एक चैट के दौरान बताई। 

गांगुली ने कहा कि इसके बाद मुझे कप्तानी सौंपी गई और मैं हैरान था। मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था, लेकिन धौनी तो धौनी हैं। हमने वो टेस्ट मैच जीता, लेकिन मेरे दिमाग में रिटायरमेंट की बातें चल रही थी। मुझे नहीं पता कि आखिरी के तीन-चार ओवर में मैंने क्या किया। 113 टेस्ट मैचों में 7212 रन बनाने वाले गांगुली ने 2008 में नागपुर टेस्ट के बाद रिटायरमेंट ले ली थी। उन्होंने अपने आखिरी टेस्ट मैच की पहली पारी में 85 रन बनाए थे भारत ने पहली पारी में 441 का स्कोर खड़ा किया था। 

हालांकि जब ये मैच खत्म होने जा रहा था तब धौनी ने उन्हें लीड करने के लिए कहा था, लेकिन मैंने पहले मना कर दिया, लेकिन दूसरी बार मैं मना नहीं कर पाया। दरअसल उस मैच वाले दिन के ठीक आठ साल पहले मैं टीम इंडिया का कप्तान बना था। कप्तान बनने के बाद मैंने गेंदबाजी में बदलाव किए और फील्ड भी सेट किया जब कंगारू टीम का एक विकेट गिरना बाकी था, लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि उस स्टेज पर मैं फोकस नहीं कर पा रहा था। तीन-चार ओवर के बाद मैंने धौनी को कप्तानी दे दी और उनसे कहा कि ये तुम्हारा काम है और फिर हम दोनों हंसने लगे। 


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