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BCCI से पाकिस्तान के साथ सीरीज खेलने पर अब ICC बात करेगा, PCB नहीं बोलेगा- एहसान मनी

एहसान मनी ने कहा आईसीसी का संविधान कहता है कि सरकार का कोई दखल नहीं होना चाहिए इसलिए मुजे लगता है कि आईसीसी को ही बीसीसीआई से इस बारे में बात करना चाहिए।

By Viplove KumarEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 12:36 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 12:36 AM (IST)
BCCI से पाकिस्तान के साथ सीरीज खेलने पर अब ICC बात करेगा, PCB नहीं बोलेगा- एहसान मनी
BCCI से पाकिस्तान के साथ सीरीज खेलने पर अब ICC बात करेगा, PCB नहीं बोलेगा- एहसान मनी

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षिय सीरीज कराने के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की तरफ से कई बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भारत सरकार की अनुमति के बिना कोई फैसला नहीं करना चाहता। दोनों देशों के बीच राजनीतिक रिश्तों की वजह से सरकार ने कभी भी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट के रिश्ते को हरी झंडी नहीं दी और बीसीसीआई ने भी इसपर अमल किया है।

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लगातार कोशिशों के बाद भी भारत के साथ पाकिस्तान की द्विपक्षिय सीरीज खेलने की इच्छा पूरी नहीं हो पाई है। इसी बारे में एक बार फिर से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन एहसान मनी ने बात की है। उनका कहना है अब आईसीसी को इस बारे में बात करनी होगी क्योंकि पीसीबी नहीं बात करेगा।

एहसान मनी ने IANS से कहा, "दोनों देशों के बीच सीरीज कराने को लेकर पिछले कुछ सालों में बीसीसीआई के साथ कई बार चर्चा हो चुकी है। चाहे टी20 क्रिकेट हो या फिर द्विपक्षिय सीरीज, सभी चीजों बीसीसीआई के हाथों में थी। इस वक्त मेरा भारत के साथ कोई टी20 लीग खेलने का इरादा नहीं है। सबसे पहले तो उनको हमारे द्विपक्षिय राजनीतिक रिश्तों को सुलझाना होगा उसके बाद ही हम बात कर पाएंगे।" 

ICC को BCCI से बात करनी चाहिए

"मैं बीसीसीआई से अब किसी भी तरह के द्विपक्षिय सीरीज के बारे में बात नहीं करने वाला। यह उनको ही कहना होगा अगर उनके पास इससे जुड़ा कुछ कहने को है। आईसीसी का संविधान कहता है कि सरकार का कोई दखल नहीं होना चाहिए इसलिए मुजे लगता है कि आईसीसी को ही बीसीसीआई से इस बारे में बात करना चाहिए।" 

मेरी मिस्टर डालमिया से काफी बातें हुई, सिर्फ उनसे ही नहीं बल्कि शरद पवार और माधवराव सिंधिया से साथ भी चर्चा हुई थी। हमारे बहुत ही ज्यादा अच्छे और खुले रिश्ते थे बीसीसीआई के साथ। पिछले 12 सालों में मैंने पाया है कि यह वैसे नहीं जैसे के पहले हुआ करते थे। अब कोई भरोसा ही नहीं और खुलापन बस एक तरफ से है। ईमानदारी एक दूसरे के साथ बात करने के प्रति।


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