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गेंद को चमकाने के लिए करना होगा आसान सा उपाय, लार की पाबंदी से नहीं पड़ेगा फर्क

इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में टेस्ट में इस्तेमाल होने वाली डयूक गेंद के निर्माता दिलीप जजोडिया का मानना है कि यह नया नियम इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट में बहुत कम प्रभाव डाल पाएगा।

By Viplove KumarEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 09:08 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 09:08 PM (IST)
गेंद को चमकाने के लिए करना होगा आसान सा उपाय, लार की पाबंदी से नहीं पड़ेगा फर्क
गेंद को चमकाने के लिए करना होगा आसान सा उपाय, लार की पाबंदी से नहीं पड़ेगा फर्क

नई दिल्ली, ब्यूरो। आठ जुलाई से मैनचेस्टर में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच पहले टेस्ट के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषषद (आइसीसी) का गेंद पर लार नहीं लगाने का नियम लागू होगा। कोरोना वायरस के कारण यह चार महीनों में पहला क्रिकेट मैच होगा। लार नहीं लगाने के नियम के कारण गेंदबाजों को स्विंग नहीं करा पाने का डर है और इसी के कारण गेंद निर्माता इस कोशिश में जुटे हैं कि लार नहीं लगाने के बावजूद गेंद से गेंदबाजों को मदद मिल सके।

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पहले यह सुझाव दिया गया था कि गेंदबाजों को लार की जगह किसी कृत्रिम पदार्थ से गेंद को एक तरफ चमकाने की इजाजत दी जाए जिससे गेंद पुरानी होने के बाद भी स्विंग करे लेकिन आइसीसी की तकनीकि समिति इसके लिए तैयार नहीं हुई। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में टेस्ट में इस्तेमाल होने वाली डयूक गेंद के निर्माता दिलीप जजोडिया का मानना है कि यह नया नियम इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट में बहुत कम प्रभाव डाल पाएगा।

इंग्लैंड में इस्तेमाल होने वाली डयूक गेंद को चमकाने के लिए लार की जरूरत नहीं प़़डती है। पहले दो टेस्ट में जो गेंद का इस्तेमाल हो रहा है, वह पुरानी गेंद से अलग नहीं है। गेंद को बनाने में कुछ भी नया तरीका नहीं आजमाया गया है। लार के इस्तेमाल को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया किया गया। यह सब गेंद की बनावट और डिजाइन पर निर्भर करता है। डयूक गेंद अपनी चमक वापस पा सकती है अगर इस पर सूती तौलिया रगड़ा जाए।

डयूक गेंद में हाथ से सिलाई होती है। ऐसे में गेंद की सीम लंबा चलती है, जबकि मशीन से सिली गई गेंद की सीम पुरानी होने पर फ्लैट हो जाती है। एसजी गेंद भी हाथ से सिली होती हैं, लेकिन डयूक गेंद के चम़़डे पर ग्रीस होती है, जो मदद करती है। ऐसे में जब गेंद पुरानी हो तो उस पर पसीना लगाना ही काफी होगा। गेंद सख्त होने से ज्यादा उछाल लेती है, जिससे स्पिनरों को भी फायदा होता है।

वहीं भारत में इस्तेमाल होने वाली एसजी गेंद के मार्केटिंग डायरेक्टर पारस आनंद ने कहा कि हमें बीसीसीआइ और आइसीसी से किसी तरह का फीडबैक नहीं मिला है, लेकिन हमने गेंद बनाने के अपने तरीके को थो़़डा बदला है, जिससे गेंदबाज को मदद मिल सके। एसजी की गेंद खासकर पुरानी होने पर मुलायम हो जाती थी, लेकिन अब यह ज्यादा कठोर होगी। हमने कोशिश की है कि गेंद की सीम लंबे समय तक उभरी रहे। ऐसे में खिलाड़ी अगर गीले तौलिए को ही गेंद पर रगड़ेगा तो यह गेंद चमक जाएगी। 


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