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द्रविड़, तेंदुलकर और धौनी किसके पास है सबसे तेज क्रिकेटिंग दिमाग, पूर्व कोच ने बताया नाम

आस्ट्रेलिया के इस पूर्व दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि धौनी की फैसला लेने की खास काबिलियत ही उन्हें अपने दौर के बाकी क्रिकेटरों से अलग करती है। चैपल ने पूर्व भारतीय कप्तान को सबसे तेज क्रिकेटिया दिमाग वाली बताया।

By Viplove KumarEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 09:03 PM (IST)
द्रविड़, तेंदुलकर और धौनी किसके पास है सबसे तेज क्रिकेटिंग दिमाग, पूर्व कोच ने बताया नाम
पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के साथ विराट कोहली (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत के पूर्व कोच रहे ग्रेग चैपल ने महेंद्र सिंह धौनी को क्रिकेट में सबसे तेज दिमागों में से एक करार दिया। आस्ट्रेलिया के इस पूर्व दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि धौनी की फैसला लेने की खास काबिलियत ही उन्हें अपने दौर के बाकी क्रिकेटरों से अलग करती है। चैपल 2005 से 2007 तक भारतीय टीम के कोच रहे, लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। उन्होंने भारत को टी-20 और वनडे विश्व कप दिलाने वाले धौनी की जमकर प्रशंसा की।

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चैपल ने कहा, 'जो देश क्रिकेट में विकसित बन गए हैं उन्होंने इस खेल का नैसर्गिक वातावरण गंवा दिया जो युगों में उनके विकास ढांचे का एक बड़ा हिस्सा था। भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसे कई शहर हैं जहां कोचिंग की सुविधाएं न के बराबर हैं और युवा गलियों या खुले मैदानों में बिना किसी औपचारिक कोचिंग के खेलते हैं। इन्हीं स्थानों पर उसके कई वर्तमान स्टार खिलाड़ियों ने क्रिकेट का ककहरा सीखा।'

इनमें से एक धौनी भी थे जो झारखंड के शहर रांची के रहने वाले हैं। चैपल ने आगे कहा, 'धौनी, जिनके साथ मैंने भारत में काम किया, ऐसे बल्लेबाज का अच्छा उदाहरण हैं जिन्होंने इसी तरह से खेलकर अपनी प्रतिभा विकसित की और खेलना सीखा।'

उन्होंने कहा, 'विभिन्न तरह की पिचों पर अधिक अनुभवी खिलाड़ियों के खिलाफ खेलते हुए धौनी ने अपनी निर्णय क्षमता और रणनीतिक कौशल को विकसित किया जिसमें वह अपने कई समकालीन (क्रिकेटरों) से अलग हैं। मैं जितने भी क्रिकेटरों से मिला उनमें उनका क्रिकेटिया दिमाग सबसे तेज है।'

चैपल ने हाल में एशेज में करारी हार झेलने वाले इंग्लैंड का उदाहरण दिया जहां युवाओं को खुद को व्यक्त करने के लिए नैसर्गिक माहौल नहीं मिलता। उन्होंने कहा, 'दूसरी तरफ इंग्लैंड में ऐसे नैसर्गिक माहौल से आने वाले खिलाडि़यों की संख्या बहुत कम है तथा उसके खिलाड़ियों को पब्लिक स्कूलों के संकीर्ण दायरे में तैयार किया जाता है। यही कारण उनकी बल्लेबाजी में विशिष्टता और लचीलापन नहीं दिखता है।'


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