संन्यास के बाद गंभीर ने खोला राज़, बताया विश्व कप फाइनल में इस वजह से खेली खास पारी
गंभीर 2007 टी-20 विश्व कप टीम का हिस्सा थे और चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में शीर्ष स्कोरर रहे थे।
मुंबई, पीटीआइ। हाल में क्रिकेट से संन्यास लेने वाले पूर्व भारतीय ओपनर गौतम गंभीर ने कहा कि खिलाड़ी के लिए दबाव झेलने और बुरे दौर से उबरने के लिए सबसे अहम चीज यह है कि मौके को खुद पर हावी नहीं होने दिया जाए।
गंभीर 2007 टी-20 विश्व कप टीम का हिस्सा थे और चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में शीर्ष स्कोरर रहे थे। यह पूछने पर कि वह विश्व कप फाइनल्स के लिए कैसे तैयारी करते थे तो गंभीर ने कहा कि सबसे अहम चीज है कि मौके के बारे में सोचा नहीं जाए। आप मौकों को खुद पर हावी नहीं देने दे सकते। यह तब भी गेंद और बल्ले के बीच मुकाबला रहता है, चाहे यह विश्व कप का फाइनल हो या फिर किसी अन्य मैच का मुकाबला।’
गंभीर ने 2011 विश्व कप के फाइनल में भी श्रीलंका के खिलाफ 97 रन की पारी खेली थी। भले ही इस मैच में गंभीर शतक लगाने से चूक गए थे, लेकिन उन्होंने वर्ल्ड कप भारत की झोली में डालने में अहम भूमिका निभाई थी। वानखेड़े के मैदान पर श्रीलंका ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 274 रन बनाए। 275 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने सिर्फ 31 रन पर सहवाग और सचिन के विकेट खो दिए थे। इसके बाद गंभीर ने एक छोर संभाला और कोहली के साथ भारतीय पारी को संभाला था। हालांकि कोहली (35) भी थोड़ी देर के बाद आउट हो गए थे। धौनी खुद पांचवें नंबर पर बल्लेबाज़ी के आए और फिर गंभीर ने कप्तान के साथ साझेदारी की थी।
भारत के लिए 58 टेस्ट और 147 वनडे मैच खेलने वाले इस क्रिकेटर ने कहा, ‘यह स्वीकार करना मुश्किल है कि यह क्रिकेट का कोई अन्य मुकाबला होगा, बस एक खिलाड़ी को यही सोचना चाहिए। मैंने ऐसे ही तैयारी की है। वैसे भी यह विश्व कप का फाइनल हो या फिर विश्व कप का पहला मैच, मुकाबला विश्व कप का फाइनल नहीं है बल्कि मुकाबला गेंदबाज और बल्लेबाज के बीच का है। इसलिए यह सोचना चाहिए कि मैं खेल रहा हूं तो मुझे अगली गेंद को खेलना होगा और अगली गेंद पर मैं जो कुछ कर सकता हूं, उसके लिए मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ करना होगा। मैं विश्व कप में इसी सोच से उतरा, मैंने मौके की व्यापकता या मंच के बारे में बारे में नहीं सोचा क्योंकि क्रिकेट गेंद को देखकर उसके हिसाब से खेलना होता है।’