BCCI कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी इस बात को लेकर शाहिद अफरीदी पर भड़के
2010 में हुए स्पॉट फिक्सिंग के बारे में अफरीदी का पता था लेकिन उन्होंने इसकी सूचना आइसीसी को नहीं दी थी।
नई दिल्ली, आइएएनएस। बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने 2010 में हुए स्पॉट फिक्सिंग के बारे में पता होने के बावजूद आइसीसी की भ्रष्टाचार रोधी इकाई (एसीयू) को इसकी सूचना नहीं देने को लेकर पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी को आड़े हाथों लिया है।
चौधरी ने ट्विटर पर लिखा, 'वास्तव में, जब उन्हें इस बारे में एक बार पता चल गया तो उन्हें तुरंत आइसीसी की भ्रष्टचार रोधी ईकाई को इसकी सूचना देनी चाहिए थी। एसीयू कैसे उनकी इस सूचना से निपटते, यह देखना बड़ा दिलचस्प होता।'
आइसीसी के नियम के अनुसार, 'प्रतिभागियों को बिना किसी देरी के सभी संपर्को, भ्रष्टाचार से संबंधित सूचनाएं, भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए निमंत्रण देने जैसी सभी तरह की गतिविधियों की जानकारी एसीयू को देना चाहिए।' अफरीदी ने अपनी आत्मकथा 'गेम चेंजर' में कहा है कि साल 2010 में हुए स्पॉट फिक्सिंग कांड से पहले उन्होंने अपने टीम साथी सलमान बट्ट, मुहम्मद आमिर और मुहम्मद आसिफ के गलत कामों से टीम प्रबंधन को अवगत कराया था। उन्होंने कहा कि जब इस मामले को टीम प्रबंधन के साथ उठाया तो फिर इसका हर्जाना उन्हें टेस्ट कप्तानी छोड़कर उठाना पड़ा। वह एजेंट मजहर माजीद और खिलाडि़यों के बीच हुई संदिग्ध बातचीत से अवगत थे। यह बातचीत 2010 के श्रीलंका दौरे पर एशिया कप के दौरान हुई थी।
अफरीदी ने लिखा, 'मैंने रैकेट में शामिल मूल सबूतों को पकड़ लिया था, जो फोन संदेश के रूप में स्पॉट फिक्सिंग विवाद में शामिल खिलाडि़यों खिलाफ थे। जब मैं उस सबूत को टीम प्रबंधन के पास ले गया और फिर इसके बाद आगे जो कुछ हुआ उसे देखकर पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को चलाने वालों पर ज्यादा विश्वास नहीं होता। श्रीलंका दौरे से पहले, माजिद और उनका परिवार चैंपियनशिप के दौरान टीम में शामिल हुए थे। माजिद के बेटे ने अपने पिता के मोबाइल फोन को पानी में गिरा दिया और फिर फोन ने काम करना बंद करना दिया था।'
पूर्व कप्तान ने आगे कहा कि उन्होंने पाकिस्तान टीम के अधिकारियों को इस बारे में सतर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा, 'जब मुझे वे संदेश श्रीलंका में मिले तो फिर मैंने उस संदेश को टीम के कोच वकार यूनुस को दिखाया। दुर्भाग्य से, उन्होंने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया। वकार और मैंने सोचा कि यह कुछ ऐसा है जिससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। यह कुछ ऐसा था कि जितना बुरा दिख रहा था, उतना था नहीं। यह सिर्फ खिलाडि़यों और माजिद के बीच की एक घिनौनी बातचीत थी। ये मेसेज ज्यादा हानिकारक नहीं थे, लेकिन यह कुछ ऐसा था जिसे कि दुनिया बाद में पता लगा ही लेती।'
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