Chasttisgarh News: तीन साल की मासूम के साथ दुष्कर्म का दोषी जिंदगी भर रहेगा जेल में, अदालत ने कहा- यह प्रवृति तो जानवरों में भी नहीं होती
तीन साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी को विशेष अदालत ने सुनाया मृत्युपर्यंत आजीवन कारावास की सजा कोर्ट ने कहा कि यह प्रवृति तो जानवरों तक में नहीं पाई जाती। इस तरह के अपराधों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए निश्चित ही कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए।
बिलासपुर, ऑनलाइन डेस्क। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने जैसा कृत्य किया है यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है। तीन साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को विशेष अदालत ने मृत्युपर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में तल्ख टिप्पणी भी की है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रवृति तो जानवरों तक में नहीं पाई जाती। इस तरह के अपराधों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए निश्चित ही कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए। विशेष अदालत ने दुष्कर्म के आरोपी को जीवन भर जेल में सजा भुगतने का फैसला सुनाया है।
मालूम हो कि यह मामला बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र का है। एक साल पहले आरोपी शिव प्रसाद मार्को पीड़िता के घर आया और तीन साल की बच्ची को टीवी में कार्टून दिखाने के बहाने अपने घर ले गया। शाम तक जब बच्ची घर नहीं आई तब उसकी दादी को चिंता हुई। खोजते हुए वह शिव प्रसाद के घर गई। घर का दरवाजा भीतर से बंद था। उसने आवाज लगाई। जब काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला तो उसने भीतर झांककर देखा। भीतर जो देखा उससे वह दंग रह गई और जोर-जोर से चिल्लाने लगी। आवाज सुनकर आरोपी शिव प्रसाद ने दरवाजा खोला। मासूम बच्ची बिस्तर पर बेसुध पड़ी हुई थी। उसे बच्ची के साथ गलत होने की आशंका हुई। बच्ची को उठाकर घर ले गई और स्वजनों के साथ सरपंच के पास पहुंचकर घटना की जानकारी दी। इसके बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
मालूम हो कि पुलिस ने विशेष अदालत में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई पाक्सो कोर्ट में हुई। पुलिस ने शिव प्रसाद के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जेल भेज दिया। कोर्ट ने आरोपी को भादवि की धारा 363 में पांच साल कैद और 250 रुपये जुर्माना, भादवि की धारा 366 में पांच वर्ष कैद व 250 रुपये जुर्माना ठोंका है। पाक्सो एक्ट के तहत मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा के साथ ही 500 रुपये जुर्माना किया है। जुर्माने की राशि जमा ना करने पर अलग से सजा का प्रविधान किया है। सभी सजाएं एक साथ चलाने का निर्देश दिया है।
गोपनीयता और पवित्रता के अधिकार का उल्लंघन है
विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि यौन हिंसा अमानवीय कार्य होने के अतिरिक्त महिला की गोपनीयता और पवित्रता के अधिकार का ऐसा उल्लंघन है जो उसके संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है। यह ना सिर्फ उसके सर्वोधा सम्मान पर गंभीर प्रहार है बल्कि उसके आत्मविश्वास तथा उसकी प्रतिष्ठा के प्रति अपराध होकर उसे कम कर उसे अपमानित करता है। इस प्रकरण में अभियुक्त स्वयं विवाहित व बधाों के पिता होते हुए भी स्वयं की पोती की उम्र की जान पहचान की किसी अवयस्क बालिका के साथ शारीरिक शोषण किया है जो किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में इस प्रकृति के अपराधों की संख्या में हो रही अत्यधिक वृद्धि से इन अपराधों पर नरम दृष्टिकोण अपनाया जाना उचित नहीं है।
ऐसे अपराध अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण
विशेष अदालत ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़िता मात्र तीन वर्षीय बालिका है जिसे किसी भी चीज की समझ नहीं है और वह यह भी नहीं जानती है कि क्या सही है और क्या गलत। इसके बावजूद इतनी छोटी बच्ची के साथ इस तरह का अपराध अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। और यह सोचने पर विवश करती है कि क्या कोई व्यक्ति इस हद तक कामांध हो सकता है कि वह इतनी छोटी बच्ची के साथ भी इस तरह की घटना करे।
जानकारी हो की तीन साल की मासूम को टीवी में कार्टून दिखाने के बहाने घर ले जाकर दुष्कर्म करने के आरोपी को विशेष अदालत ने मृत्युपर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आरोपी जीवनभर जेल की सजा काटेगा। इसके अलावा जुर्माना भी ठोंका है। मासूम पीड़िता को मुजावजा देने निर्देश दिया है।