अर्थतंत्र हुआ मजबूत, अब तेजी से नया मुकाम बना रहा है रायपुर
साल 2000 में जब से रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी बना तब से लेकर आज 18 वर्षों में शहर का चौतरफा विकास हुआ।
'किसी भी शहर की प्रगति का अंदाजा वहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ ही वहां के व्यापार-उद्योग की प्रगति को माना जाता है और व्यापार-उद्योग की प्रगति में रायपुर काफी आगे निकलता जा रहा है। साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जैसे ही रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी बना। तब से लेकर आज 18 वर्षों में राजधानी रायपुर का चौतरफा विकास हुआ है। विशेषकर व्यापार-उद्योग के क्षेत्र में तो राजधानी रायपुर अपना अलग ही मुकाम बनाता जा रहा है।
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छत्तीसगढ़ के साथ बने दूसरे राज्य और राजधानी की तुलना में रायपुर काफी आगे निकल गया है। किसी भी शहर के विकास मापदंड भी मूल रूप से इन्हीं बातों पर निर्भर करता है कि वहां दूसरे विकास कार्यों के साथ व्यापार-उद्योग की क्या स्थिति है। स्टील इंडस्ट्री की भी बात की जाए तो रायपुर का अलग स्थान है। अगर व्यापार-उद्योग की बात की जाए तो रायपुर काफी आगे निकल चुका है।
अर्थशास्त्री डॉ. अशोक पारख का कहना है कि व्यापार-उद्योग की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए इन दिनों हर कंपनी राजधानी में अपने कारोबार शुरू कर ग्रोथ को ही देख रही है। किसी भी शहर के लिए यह बहुत बड़ी बात है कि इतने कम समय में ही शहर ने अपना अलग मुकाम बनाया है। व्यापार-उद्योग की प्रगति के साथ ही किसी भी शहर की प्रगति का आंकलन उसकी बड़े शहरों से कनेक्टिविटी को देखा जाता है। राजधानी रायपुर की तो हवाई कनेक्टिविटी सभी बड़े शहरों से है और आने वाले दिनों में हवाई कनेक्टिविटी और बढ़ने ही वाली है।
सुविधाएं बढ़ानी होंगी
डॉ. पारख का कहना है कि इतने विकास के बावजूद अगर व्यापार-उद्योग को और बढ़ावा देना है तो शासन को टैक्स नियमों सरलीकरण के साथ ही सुविधाएं बढ़ानी होगी। योजनाएं बनाने के साथ ही उनका तुरंत क्रियान्वयन भी सही ढंग से करवाना होगा। योजनाएं बनाकर उनके सही क्रियान्वयन करने से ही व्यापार-उद्योग के साथ ही आम लोगों को भी फायदा मिलेगा।
अर्थशास्त्री डॉ. पारख का कहना है कि व्यापार-उद्योग के साथ ही पर्यटन और कनेक्टिविटी बड़ा महत्व रखती है। इन दोनों क्षेत्रों में और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में अभी रायपुर को दूसरे बड़े शहरों से कमतर माना जा सकता है, इसलिए इन क्षेत्रों की ओर ध्यान दिया जाना अच्छी बात रहेगी।
डॉ. अशोक पारख, अर्थशास्त्री
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