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रायपुरः गरीब बच्चों को अपने गॉर्डन में बुलाकर फ्री में पढ़ातीं हैं सरिता

उन्होंने समाज सेवा के लिए काम करना शुरू किया। सबसे पहले उच्च शिक्षा में देखा कि युवाओं को करियर गाइडेंस की कमी है और वे नशे का शिकार हो रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कॉलेजों में नशे के खिलाफ अभियान चलाया।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Tue, 24 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 06:00 AM (IST)
रायपुरः गरीब बच्चों को अपने गॉर्डन में बुलाकर फ्री में पढ़ातीं हैं सरिता

धन दौलत और शोहरत कमाया तो क्या कमाया जो यह जीवन किसी के काम न आया? कुछ इसी थीम पर जीवन जीती हैं राजधानी के समता कॉलोनी की रहने वाली समाजसेवी व शिक्षाविद् सरिता अग्रवाल। कहने को तो वह खुद बंगले में रहती हैं। घर में नौकर-चाकर हैं। जरा सा काम करने की जरूरत नहीं है, लेकिन समाज को कुछ देने के लिए सरिता की जिद ने उन्हें लोगों के लिए मिसाल बना दिया है।

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सरिता अपने घर के आसपास मोहल्ले, बस्तियों में गरीब वर्ग के बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा देती हैं। अपने बंगले से लगे गॉर्डन में ऐसे बच्चों को उनके घर जाकर बुलाती हैं, जो कि पढ़ने में बहुत कमजोर हैं। अब तक 15 ऐसे बच्चों को जोड़कर पढ़ा रही हैं जो कि सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं।

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आखिर कौन हैं सरिता अग्रवाल?
सरिता अग्रवाल मूलत: ओड़िशा संवलपुर की हैं। स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के बाद उनकी शादी 1994 में समता कॉलोनी के बिजनेसमैन आत्मबोध अग्रवाल के साथ हुई। उनके बेटा का नाम लिखिल है, जिसने ग्रेजुएशन दिल्ली से किया है और बेटी निष्ठा एमबीए की तैयारी कर रही हैं। रायपुर आने के बाद वह सोचती रहीं कि उन्होंने जो शिक्षा अर्जित की है, उसका इस्तेमाल कैसे करें।  

इसके बाद उन्होंने समाज सेवा के लिए काम करना शुरू किया। सबसे पहले उच्च शिक्षा में देखा कि युवाओं को करियर गाइडेंस की कमी है और वे नशे का शिकार हो रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कॉलेजों में नशे के खिलाफ अभियान चलाया।

जिन्हें अक्षर पढ़ना नहीं आता था उन्हें सुधारा
सरिता ने बताया कि उन्होंने मोहल्ले में उन बच्चों को चुना जो बच्चे दिन भर घूमते रहते थे। स्थिति यह थी कि सातवीं-आठवीं में बच्चों को अक्षर पढ़ना नहीं आता था। उन्होंने बताया कि शाम के समय बच्चों को एक साथ बुलाकर पढ़ाना शुरू कर दिया है। अब उनमें सुधार भी आ रहा है। उन्होंने कहा कि बहुत दुख की बात है कि अब बच्चे नशे की गिरफ्त में आने लगे हैं।

उन्होंने बताया कि बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने के क्रम में अपने यहां काम करने वाली महिला के बच्चे को पढ़ाया। उसमें सुधार हुआ तो उन्होंने मोहल्ले के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। अब यहां स्कूली बालिकाओं को वोकेशनल का नि:शुल्क कोर्स कराने के लिए भी योजना बना रही हैं। बालिकाओं को सिलाई, ब्यूटी पॉर्लर भी सिखा सकते हैं।

रजिस्टर मेंटेन करती हैं सरिता
सरिता अग्रवाल जिन बच्चों को पढ़ाती हैं, उनका नाम बाकायदा रजिस्टर में लिखती हैं। जो बच्चा नहीं आता है, उसकी अनुपस्थिति दर्ज कर दूसरे दिन उसकी जानकारी लेती हैं कि आखिर वह अब कहां है। सरिता बच्चों को मैथ्स और इंग्लिश पढ़ाती हैं। उनका कहना है कि बच्चों का गणित और इंग्लिश बहुत कमजोर है। बोलचाल की भाषा में आसपास के लोग सरिता को पढ़ाने वाली भाभी कहकर बुलाते हैं।

पढ़ाई के साथ योग भी कराती हैं सरिता
बच्चों का ध्यान पढ़ाई में बेहतर तरीके लगे इसके लिए सरिता बच्चों को योग भी कराती हैं। इसके अलावा वह योग ट्रेनर भी हैं। कई जगहों पर वह योग करा चुकी हैं।

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