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राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः बुनियाद होगी मजबूत तो रायपुर शहर बनेगा स्मार्ट

आर्किटेक्ट सुमित दास ने कहा कि दीर्घकालीन योजनाओं के तहत बड़े-बड़े निर्माण कार्य चल रहे हैं, लेकिन आम जनता की सुविधा के लिए छोटी-छोटी जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 04:13 PM (IST)

स्मार्ट सिटी बनाने का तानाबाना बुनने में पूरा सरकारी तंत्र लगा हुआ है। इसके लिए नित नई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की कवायद हो रही है। चाहे नया रायपुर बसाने या नई रिहायशी इलाकों की बसाहट की बात हो। हम भविष्य को बेहतर बनाने के लिए उत्कृष्ट रणनीति करने में कहीं से भी कमतर नहीं हैं।

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ऐसा हो भी क्यों न हमारे यहां अफसर स्मार्ट सिटी का एक बेहतर मॉडल तैयार करने के लिए देश-विदेश की यात्राएं भी कर आएं हैं। जिन्हें अपनी प्लानिंग में शामिल करने में भी नहीं चूके। सवाल उठता है कि वहां की भौगोलिक और जनसांख्यिकी परिवेश हमारे यहां जैसा है या नहीं। जबकि हमारे यहां विदेशों के मुकाबले उलट हालात है। ऐसे में हम नई बसावट में ही पूरी ताकत और ध्यान लगाए हुए हैं।

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देखा जाए तो भविष्य को सुधारने पर ध्यान तो दे रहे हैं लेकिन वर्तमान में मूलभूत सुविधाओं की बिगड़ी सूरत को चाक चौबंद करने में पीछे रह गए हैं। बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, ट्रैफिक ये ऐसी जनसुविधाएं हैं, जिन्हें दुरूस्त किए बिना हम भविष्य की कहानी कतई नहीं गढ़ सकते। जाहिर है कि वर्तमान की नींव पर ही भविष्य गढ़ा जा सकता है। हां, विकास इस तरह हो, जिससे हमारा पर्यावरण, शहर की मौलिकता, संस्कृति, परम्पराओं को भी सहेजने की कवायद दिखे। ताकि आने वाली पीढ़ी अपने शहर को लेकर गौरवान्वित महसूस करें। कुछ इसी तरह की बातें नईदुनिया की राउंडटेबल कांफ्रेंस में कही गईं।

समस्या की जड़ तक पहुंचने और समाधान ही उद्देश्य
नईदुनिया दैनिक जागरण समूह ने 2 जुलाई से मॉय सिटी मॉय प्राइड अभियान शुरू किया है। शहर में चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े निर्माण कार्यों की सात दिनों तक शहर के विभिन्न हिस्सों में पड़ताल की। वर्तमान मूलभूत सुविधाओं के संसाधनों को स्कैन किया। इसके साथ ही विषय विशेषज्ञ के हवाले से वर्तमान समस्याओं और समाधान पर बात भी की। एक ऐसे व्यक्ति की कहानी भी बताई, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और बुद्धि विवेक के बदौलत एक नई तकनीक और संसाधन मुहैया कराया, जिसे रायपुर ही बल्कि पूरे देशवासियों के लिए लाभकारी होगा।

अंत में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े और विषय विशेषज्ञों आमंत्रित किया, राउंड टेबल के लिए। जहां उनसे वर्तमान की समस्याएं जानीं और सुझाव भी हासिल किए। ताकि सरकार और प्रशासन को बता सकें, जटिल हो चुकीं समस्याओं को किस तरह आसानी से दूर किया जा सके।

कांफ्रेंस के संचालन का जिम्मा लिया जागरुक पार्षद अजीत कुकरेजा ने। उन्होंने अभियान और इसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इसके बाद सबसे पहले एनआरडीए के प्रमुख अभियंता सलील श्रीवास्तव ने जागरण और नईदुनिया द्वारा लाए गए इस अभियान के बिंदुओं पर फोकस किया। उन्होंने अधोसंरचना की बेहतरी के लिए सुझाव दिए, साथ ही विदेश में चल रहे कामों की भी जानकारी दी।

विकास के लिए इंटीग्रेटेड प्लानिंग
विकास के लिए इंट्रीग्रेटेड प्लान की महती जरूरत है। इसके बिना हम शहर में जनसंख्या और भौगोलिक स्थितियों के बीच सामंजस्य नहीं बना सकते हैं। फंड के सीमित साधन के बावजूद विकास किया जा सकता है। बस जरूरत है, प्रभावी ढंग से प्लान बनाकर शहर की व्यवस्था को सुधारा जाए। ताकि पब्ल्कि कनेक्टिविटी हो। साथ ही और भी कई चीजें हैं, जिसमें जनभागीदारी की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखकर एक योजना बनाई गई है। यानी जिन सरकारी स्कूलों में टीचरों की कमी है, वहां लोग एक घंटा पढ़ाने जाएंगे तो ऐसे हालात से लड़ा जा सकता है। कम से कम आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को बेहतर शिक्षा तो मिलेगी। शहर की साफ-सफाई सहित लोग खुद ब खुद अपने एक अच्छे नागरिक होने का परिचय देंगे तो विकास की दौड़ में अव्वल होंगे।

आबादी के हिसाब से तैयार हो इन्फ्रास्ट्रक्चर
देखा जाए तो बीते दस सालों में शहर के अधोसंरचना के निर्माण कार्य हुए हैं, वे लघुकालिक समय के हिसाब से योजनाओं के तहत हुए हैं, जबकि किसी भी शहर का विकास महानगर के हिसाब से हो, योजनाओं पर काम अगले 25 से 50 सालों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। समय के साथ शहर की आबादी भी बढ़ती जाती है। ऐसे में 20 साल के बाद उस दौर के विकास कार्य बेमतलब के लगने लगते हैं। इसलिए शहर के इलाकों में भविष्य में बढ़ने वाली आबादी को ध्यान में रखकर ही उनकी जरूरतों और सुविधाओं का ध्यान देना चाहिए।

इसमें सबसे प्रमुख हैं बाजार वाले हिस्सों में मल्टी पार्किंग, ओवरब्रिज, बस स्टैंड के पास स्टॉपेज और टॉयलेट सहित कई सुविधाओं को अभी और विस्तार देने की जरूरत है। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर देना होगा, इसके लिए स्वच्छता के सरकारी और समाजसेवी संगठनों के जरिए होने वाले पौधारोपण की सुरक्षा के इंतजाम। क्योंकि अक्सर ट्री गार्ड नहीं होने पौधे मर जाते हैं, जिनका फिर कोई मतलब नहीं रहा जाता। इसके लिए प्रशासन के साथ ही जनता को कृत संकल्पित होना पड़ेगा।

सॉलिड वेस्ट सिस्टम विकास का अहम हिस्सा
एनआरडीए के प्रमुख अभियंता सलील श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी शहर के लिए वहां सॉलिड वेस्ट सिस्टम विकास के मायने गढ़ता है। रायपुर में बहुत सारी चीजें खटकती है, जिसमें कचरा प्रबंधन भी शामिल है। शहर ऐसा बन चुका है, जहां बारिश अपने मुताबिक नहीं होती। अक्सर कचरे नाले में जाम रह जाते हैं। थोड़ी-बहुत भी बारिश हुई तो यह मुसीबत बढ़ाते हैं। सॉलिड वेस्ट सिस्टम बनाया जाना चाहिए। प्लास्टिक के इस्तेमाल को भी लेकर पाबंदी कसी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आम लोगों के साथ समाज सेवी संस्थाओं को अभियान का हिस्सा बनाया जा सकता है। इसके परिणाम भी बेहतर आएंगे। भीड़ वाले हिस्सों में निर्माण ऐसा हो कि गाड़ियां स्मूथ तरीके से चल सके। खासकर से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों को कोई रूकावट न हो सके। ओपन ड्रेनेज सिस्टम के लिए तगड़ी प्लानिंग की जाए। इसके लिए पहले सर्वे हो। बसों का फ्री मूवमेंट ट्रैफिक को राहत देगा। स्टॉपेज जोन के पास से पाथ-वे जरूर होने चाहिए।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए विश्वास की जरूरत
एएसपी ट्रैफिक बलराम हिरवानी ने कहा कि ट्रैफिक इंजीनियरिंग, एजुकेशन और इन्फोर्समेंट किसी भी शहर को स्मार्ट प्रोजेक्ट से जोड़ने के लिए अहम हैं। शहर में चल रहे निर्माण कार्यों के बीच रोड पैटर्न का कांसेप्ट सुगम यातायात के लिए कारगर होता है। जनसंख्या के हिसाब से ही विकास कार्यों की नींव रखी जानी चाहिए।

जरूरी यह भी है कि लोगों के बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सिस्टम बन सके। इसके लिए परिवहन सुविधाओं में विश्वास जीतना जरूरी है। ऐसा ही मुख्य बाजारों के लिए है, जहां आम पब्लिक दूर से ही भरोसेमंद सामान खरीदने किसी बड़े बाजार की ही ओर रूख करती है। सीमित जगह पर फैले बाजार में भीड़ की संख्या बढ़ने से दिक्कत होती है। अगर शहर के बाकी हिस्सों में भरोसेमंद सामान मिलने का विश्वास बने, इसी विश्वास से ट्रैफिक रेगुलेट का सिस्टम काफी हद तक बेहतर हो सकेगा।

सुधार के लिए मार्केट में सुविधाओं का हो विस्तार
रायपुर नगर निगम के पार्षद अजीत कुकरेजा ने कहा कि रायपुर विकास प्राधिकरण की ओर से बनाए गए कपड़ा मार्केट में आज भी पार्किंग की बड़ी समस्या है। पुराने समय में बनाए गए शहर के सबसे बड़े बाजार के लिए पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होने से आज के समय में परेशानी बढ़ रही है। मामला कोर्ट तक जा पहुंचा है। शहर के विकास और सुधार के लिए कपड़ा मार्केट में पक्की पार्किंग की व्यवस्था जरूरी है। तेलीबांधा क्षेत्र में तैयार नई सड़कों में आए दिन जोखिम के हालात बने रहते हैं।

कुकरेजा ने कहा कि पिछले एक साल में सड़क दुर्घटना के दौरान तीन लोगों की मौत हो चुकी है। फुट ओवरब्रिज जैसी व्यवस्था पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ट्रैफिक के साथ एक बड़ी समस्या ड्रेनेज की भी है। खुले हुए बड़े नाले हर समय जाम रह जाते हैं, इस वजह से नाली निकासी की समस्या परेशान करती है। अरमान नाला जैसे बड़े निर्माण किए जाने के बाद भी लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।

छोटी-छोटी जरूरतों की सुविधाओं से मिलेगी राहत
आर्किटेक्ट सुमित दास ने कहा कि दीर्घकालीन योजनाओं के तहत बड़े-बड़े निर्माण कार्य चल रहे हैं, लेकिन आम जनता की सुविधा के लिए छोटी-छोटी जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा। इसकी वजह से शहर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बता दें बिजली के खंभे आज भी संतोषी नगर के हिस्से में मुसीबत बढ़ाते हैं। ट्रैफिक संभालते पुलिसकर्मी भी परेशान होते हैं।

उन्होंने कहा कि केवल आम जनता ही नहीं बल्कि शासकीय सेवा से जुड़े लोग भी ऐसी समस्याओं को सामने रख सकते हैं। इससे सुधार कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। टेंपररी काम करने का सिलसिला खत्म करना होगा। काम चलाऊ इंतजाम लंबे समय के लिए समस्या पैदा करते हैं। सड़कों पर ट्रैफिक रेगुलेट करने के लिए अपनाई जा रही व्यवस्था ताजा उदाहरण है। कई जगहों में आज भी डिवाइडेशन नहीं है, इस कारण से जोखिम भरा सफर रहता है।

इंटीग्रेटेड प्लानिंग से स्मार्ट होगा शहर, शुरुआत स्कूलों से
स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीओओ गौरव मिश्रा ने कहा कि जनभागीदारी के लिए शहर में इंटीग्रेटेड प्लान बनाने होंगे। निर्माण कार्यों और दूसरे जागरूकता अभियान के लिए ऐसी प्रभावी योजनाएं हो जिससे लोग खुद से जुड़कर अपनी सेवाएं दे सकें। सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का नया कांसेप्ट बेहतर है। ट्रैफिक एन्वायरमेंट, मैनेजमेंट के लिए ऐसी सुविधाएं दी जाए, जिससे लोग शहर को अपना समझें। पार्टिसिपेट बजट के कांसेप्ट से हम स्थिति और बेहतर कर सकते हैं। स्मार्ट एलीमेंट सिस्टम के हिसाब से बदलाव करना होगा।

बता दें कि आज की स्थिति में ज्यादातर लोग अर्बन एरिया में जाकर रहना पसंद करते हैं। भीड़-भाड़ वाले हिस्से में दिनचर्या व्यस्त हो रही है। साइकिल ट्रैक, पाथ-वे के नए निर्माण के बाद लोगों को इससे जोड़ना होगा। तभी बेहतर स्थिति तक पहुंच सकेंगे। स्मार्ट एलीमेंट के तहत ढेरों विषय तैयार हैं, जिसे अपनाकर बदलाव किया जा सकता है।

चारों हिस्सों में तेजी के साथ बनाने होंगे बस टर्मिनल
कपड़ा कारोबारी प्रवीण देवड़ा ने कहा कि शहर के सबसे व्यस्त मार्ग में मौजूद पुराने बस स्टैंड की सूरत बदलनी होगी। मसलन चारों हिस्से में बस टर्मिनल तेजी से तैयार करना होगा, जिस तरह से बस स्टैंड की हालत है, उससे हर कोई परेशान है। सालों पुरानी व्यवस्था कायम है। स्मार्ट सिटी की तर्ज पर निर्माण कार्यों की योजनाएं बनाई गईं। लेकिन बस स्टैंड और इसके साथ आसपास सुगम यातायात का वातावरण तैयार करने पर ध्यान नहीं दिया गया। बस स्टैंड की नई प्लानिंग प्राथमिकता के साथ होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शहर के चारों दिशाओं में अलग-अलग रूट से चलने वाली बसों के लिए टर्मिनल बनाने घोषणा की है, लेकिन अभी तक रावाभाठा में ही काम शुरू हो सका है। बस स्टैंड की वजह से मुख्य मार्ग में लगने वाले जाम से एंबुलेंस तक कतार में लगते हैं। मरीजों के लिए परेशानी बढ़ती है।

एएसपी ने पकड़ा निर्माण कार्य, तो सीई ने घुमायी ट्रैफिक की चाबी
राउंडटेबल कांफ्रेंस के दौरान रोचक वाकया भी हुआ। बतौर एक्सपर्ट बनकर पहुंचे अधिकारियों ने ही एक दूसरे से सवाल पूछ लिया। एएसपी लोक निर्माण से जुड़े सवाल पकड़े रहे। वहीं मुख्य अभियंता ट्रैफिक सिस्टम की चाबी किस तरह से मैनेज हो, तर्क देते नजर आए।

इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर जिज्ञासा ऐसी रही कि, बाकी एक्सपर्ट भी मुरीद हो गए। पुलिस और विकास प्राधिकरण के अफसर इस बार आमने- सामने थे। एएसपी ट्रैफिक बलराम हिरवानी ने पूछा, आखिर कैसा हो निर्माण..? तब सीई एनआरडीए सलील श्रीवास्तव ने कहा- शहर में बहुत सी चीजें खटकती हैं। सॉलिड मैनेजमेंट जरूरी है।

एएसपी ने अपने ही सवाल पर बताया कि पॉपुलेशन के हिसाब से विकास जरूरी है। ट्रैफिक की कमान संभालने वाले इस अफसर ने तालाबों और नदियों में शहर के लोगों को गंदा मिलने पर चिंता जतायी और एक्सपर्ट से पूछा कि बारिश का पानी बह जाता है, क्या इसे रोका नहीं जा सकता? मुख्य अभियंता सलील ने पूरी गंभीरता से सवाल सुना और फिर बताया कि अब गंदा पानी जलस्रोतों में जाने से रोकना बहुत आसान है। इसकी तकनीक आ चुकी और बारिश का पानी रोकने के लिए जगह- जगह छोटे स्टापडैम बनाने की जरूरत है।

मुहिम शानदार... अपने शहर को करें लाइक
नईदुनिया-दैनिक जागरण की मुहिम प्रशंसनीय है। आम लोगों से गुजारिश है कि माय सिटी माय प्राइड डाट कॉम या फिर फेसबुक पेज पर जाकर अपने शहर रायपुर के लिए क्लिक करें। देश के चुनिंदा दस शहरों में शुरू हुई मुहिम में अपने शहर को तवज्जो देते हुए लाइक करें। शहर पर प्राइड करें, इसके लिए काम शुरू हो चुका है।

बता दें कि ग्रीन सिटी की तर्ज पर 19 एकड़ में तैयार ऑक्सीजोन पूरे शहर के लिए फायदेमंद होगा। पेड़-पौधे लगाकर उनकी देख-रेख का दायित्व आगे तय करना होगा। मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश पर ऑक्सीजोन और ऑक्सी रीडिंग जोन हरा-भरा माहौल देंगे।

रायपुर के कलेक्टर ओपी चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य बनाने और सेहतमंद वातावरण देने की मुहिम प्रशासन तेजी से कर रहा है। पहले तक अधोसंरचना से जुड़े निर्माण कार्यों पर फोकस रहता था, लेकिन अब ग्रीन सिटी की तर्ज पर बड़े काम हो रहे हैं। तीन हजार पेड़-पौधों के साथ अर्बन हब फायदेमंद होगा। 

यह आए सुझाव

- प्राइवेट की जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सिस्टम लागू होना चाहिए।
- फुटब्रिज की जगह रोड के नीचे से सब-वे का निर्माण ज्यादा उपयोगी
- सीएसआर फंड के इस्तेमाल के लिए कोई भी एक नोडल एजेंसी हो।
- बड़े प्लानिंग के पहले छोटी जरूरतों के लिए आम लोगों से सुझाव मांगी जाए।
- कचरा प्रबंधन हो या फिर ड्रेनेज सिस्टम, सुधार के लिए मैकेनिकल मशीनों का इस्तेमाल।
- सड़क निर्माण के लिए रोड पैटर्न की प्लानिंग पर काम हो। आबादी के हिसाब से प्लानिंग तय हो।

चुनौतियां
- मुख्य बाजारों की तरह शहर के बाकी हिस्सों में भी भरोसेमंद कारोबार का सिस्टम बनाना जरूरी।
- शहर में तेजी से बढ़ रही है गाड़ियों की संख्या। सीमित सड़कों पर वैकल्पिक व्यवस्था की बड़ी चुनौती।
- फुट ओवरब्रिज का प्रयोग दो हिस्सों में करके देख चुके, लोगों में जागरूकता नहीं, आदत बनाना है जरूर।
- रोज कचरे की वजह से नालियां जाम होती हैं। नियमित रूप से सफाई के इंतजाम कर पाना है मुश्किल।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए आज भी नंबरिंग का सिस्टम नहीं बनाया जा सका। गाड़ियों की संख्या का दबाव ज्यादा।

इस तरह हो सकता है समाधान: शासन-प्रशासन के जरिए -
- बस स्टैंड में बुनियादी सुविधाएं मिले, शहर के चारों तरफ बस टर्मिनल का हो निर्माण
- स्थानीय निकाय का कुछ बजट का खर्च वार्ड के नागरिकों पर छोड़ा जाए। उनकी सहमति से होने वाले निर्माण से जनता का होगा लगाव। रखरखाव में नहीं आएगी दिक्कत, जनता रखेगी ख्याल।
- छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े कपड़ा मार्केट पंडरी की पार्किंग समस्या से निपटने के लिए दुकानदारों का एफएआर बढ़ाया जाए।

कंपनियों के सीएसआर फंड से हो सकता है ये
- शहर के जिन इलाकों से हजारों की संख्या में श्रमिक वर्ग आना-जाना करता है, वहां बायो टॉयलेट बनाएं
- पौधरोपण के लिए दिए जाएं ट्री गार्ड। अभी गार्ड के अभाव में पौधों की नहीं हो पा रही सुरक्षा।
- सिटी बसों की तरह ऑटो स्टैंड बनाएं और वहां से व्यवस्थित तरीके से ऑटो की रवानगी हो

नागरिकों की इसमें हो सकती है भागीदारी
- व्यापारी संघ शहर के चारों तरफ विश्वसनीय बाजार स्थापित करें, ताकि हर कोई शहर के बीच मालवीय रोड ही न आए। इससे भीड़ पर नियंत्रण रहेगा
- निगम से आने वाले बजट की राशि मूलभूत सुविधाओं पर खर्च करने का फैसला करने के लिए हर वार्ड में बने नागरिकों की समिति
- शहर की नागरिक समितियों को जागरुक कर विकास के लिए फंड निर्माण पर जोर

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी 


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