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रायपुर बनेगा प्रदेश का पहला 'जीरो पॉलिथीन सिटी', ये कोशिश हो रहीं हैं

रायपुर में प्लास्टिक पर रोक के लिए कई कोशिश की जा रही हैं। फिर भी शहर डिस्पोजल प्लास्टिक, कैरी बैग की समस्या से जूझ रहा है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 06:00 AM (IST)
रायपुर बनेगा प्रदेश का पहला 'जीरो पॉलिथीन सिटी', ये कोशिश हो रहीं हैं

रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि: प्लास्टिक पर रोक के लिए कई कोशिश की जा रही हैं। फिर भी शहर डिस्पोजल प्लास्टिक, कैरी बैग की समस्या से जूझ रहा है। इस कारण सीवरेज लाइन चोक हो रही है, बारिश होते ही शहरवासियों को जल-भराव का सामना करना पड़ता है। प्रतिबंधित प्लास्टिक का इस्तेमाल न हो, इस पर सख्ती के साथ आने वाले प्लास्टिक का निपटान भी अब महत्वपूर्ण हो चला है। 

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रायपुर शहर प्रदेश का पहला 'जीरो पॉलिथीन सिटी' बनने जा रहा है। यहां सभी प्रकार के पॉलिथीन बैग प्रतिबंधित होंगे। हालांकि,अभी खाद्य पदार्थ और दूध पैकेट में इस्तेमाल होने वाले पॉलीथिन बैग फिलहाल इस दायरे में नहीं हैं । राज्य सरकार के प्रावधान को नगरीय निकाय क्षेत्र में लागू करने के लिए निगम ने बायलॉज बनाया है, जिसे शासन को भेजा गया। महापौर परिषद में भी रखा गया, जिस पर परिषद ने अपनी मुहर लगा दी। इसमें जुर्माने का तो प्रावधान किया गया है, निगम के पास कई और शक्तियां होंगी। निगम पांच हजार रुपये तक जुर्माना वसूल सकता है।

'माय सिटी माय प्राइड' में यह मुद्दा उठा था। तब महापौर ने विश्वास दिलाया था कि निगम के अपने कार्रवाई संबंधी नियम होंगे। सोमवार 17 सितंबर महापौर परिषद की बैठक में इस पर मुहर भी लग गई।
अब जोन स्तर पर कमेटियां गठित कर कार्रवाई शुरू होनी है। सवाल प्लास्टिक के स्त्रोतों को खत्म करना है, क्योंकि स्त्रोत खत्म होंगे तो बाजार से प्लास्टिक खत्म हो जाएगी।

कुल कचरे का सात फीसद होती है पॉलीथिन

रायपुर के 70 वार्डों से अभी रोजाना 450 टन कचरा उठाया जाता है। यह कचरा घरों, दुकानों, मॉल, रेस्त्रां,होटलों से लेकर नाले-नालियों से निकलता है, जो सरोना ट्रेंचिंग ग्राउंड में डम्‍प किया जाता है। अनुमान के तहत करीब सात फीसद पॉलीथिन होती है। बीते वर्षों में पर्यावरण संरक्षण मंडल के साथ मिलकर निगम ने जब्ती की कार्रवाई की। प्लास्टिक जब्त होकर निगम मुख्यालय में डंप हो गई। बाद में इसे मुफ्त में सीमेंट कंपनी को देना पड़ा। अब योजना है कि सीमेंट फैक्‍ट्री पॉलीथिन खरीदेंगी। निगम को पूरा मैटेरियल पहुंचाकर देना होगा।

राज्य में नियम
राज्य सरकार ने 20 माइक्रान तक की पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन खुलेआम बिक रही है। सब्जी बाजार से लेकर किराना दुकान, कपड़ा मार्केट तक में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। पॉलिथिन के साथ-साथ डिस्पोजेबल आइटम पर भी प्रतिबंध जरूरी है।

ये हैं पॉलिथीन के दुष्परिणाम 
1- पॉलिथीन बैग सड़ने-गलने वाली चीज नहीं है। अगर इसे जमीन में गाड़ते हैं तो यह नष्ट नहीं होगा, जलाने पर धुआं वातावरण को प्रदूषित करेगा।
2- इनकी वजह से नालियां जाम हो जाती हैं, नाली का पानी सड़क पर बहता है।
3- पॉलिथीन पानी को भूमिगत होने से रोकती है। 

4- मवेशी खाते हैं, जिसकी वजह से इनकी जान पर बन आती है। कई बार सर्जरी करके गाय के पेट से बड़ी मात्रा में पॉलीथिन निकाली गई है।

जुर्माना जल्द वसूला जाएगा

  • सामग्री बेचने के लिए प्लास्टिक कैरी बैग देना- 100 रुपये
  • दोबारा पकड़ने जाने पर 1000 रुपये।
  • सड़क, नाली में प्लास्टिक फेंकना- 100 रुपये दोबारा पकड़े जाने पर 1000 रुपये


निगम ही वसूलेगा जुर्माना
पॉलिथीन का एजेंडा एमआइसी में था, तय किया गया कि निगम ही जुर्माना वसूलेगा। सभी अफसरों को इससे संबंधित निर्देश जारी कर दिए हैं। पॉलीथिन रिसाइकिंग के लिए भी एक प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है, जो इस समस्या से मुक्ति दिलाएगा।
प्रमोद दुबे, महापौर


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