Move to Jagran APP

रायपुर : 17 सालों में पुलिस की क्षमता हुई पांच गुनी फिर भी अपराध कम करना चुनौती

डायल 100 को भी हाइटेक करने की कवायद शुरू कर दी है। कंट्रोल रूम में 100 नंबर डायल सेवा को हाइटेक उपकरणों से लैस कर अब डायल 112 की शुरूआत इसी हफ्ते करने जा रही है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 10:59 AM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 10:59 AM (IST)
रायपुर : 17 सालों में पुलिस की क्षमता हुई पांच गुनी फिर भी अपराध कम करना चुनौती

रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि 

loksabha election banner

राजधानी रायपुर में बढ़ते अपराध और अपराधियों के नए तौर-तरीके देखते हुए रायपुर पुलिस ने आधुनिक तकनीक अपना ली है। उसका इस्तेमाल कर पुलिस ने अपराधियों को मात देना शुरू कर दिया है। राज्य निर्माण से पहले बल की कमी, संसाधनों के अभाव की वजह से आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में पुलिस को नाकामी हाथ लगती थी, लेकिन बीते 17 सालों में पुलिस बल में पांच गुना इजाफा हुआ है। संसाधन बढ़े हैं।

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी

 

अपराध पर काबू पाने के लिए पुलिस विभाग हाइटेक सिस्टम अपनाने लगा है। मुंबई क्राइम ब्रांच की तर्ज पर रायपुर क्राइम ब्रांच को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है। यहां अपराधियों का बायोमेट्रिक डेटाबेस तैयार किया गया है। यही नहीं, अपराध अनुसंधान में नवीनतम वैज्ञानिक संसाधनों एवं पद्धतियों का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बाद भी अपराधियों से नित नई चुनौती मिल रही है और इससे पुलिस को जूझना पड़ रहा है। पुलिस दो कदम आगे जाती है, तब तक अपराधी चार कदम आगे चले जाते हैं। 

शहर की यातायात व्यवस्था को स्मूथ रखने के लिए यातायात पुलिस को पहले से कहीं ज्यादा हाइटेक सुविधाओं से लैस किया गया है। आने वाले दिनों में यातायात पुलिस को और भी हाइटेक उपकरण मिलने वाले हैं। धूल और प्रदूषण से पुलिसकर्मियों को सेफ रखने के लिए उन्हें मास्क भी उपलब्ध कराया जाएगा। वाहनों की गति पर रोकथाम के लिए स्पीड राडार युक्त वाहन दिए जाएंगे। शहरों के व्यस्ततम चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे से पुलिस ओवर स्पीड, सिग्नल जंप जैसे अपराध रोकने का काम करेगी।
शहरभर में बिछा कैमरे का जाल, आउटर इलाका खाली
राजधानी में मिशन सिक्योर सिटी के तहत 16 सौ से अधिक सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछाया गया है। ये कैमरे अपराधियों को पकड़ने में मददगार साबित हो रहे हैं। पिछले डेढ़ साल में ऐसे कई बड़े मामलों में पुलिस को सीसीटीवी कैमरे से ही अपराधियों का क्लू मिला और उन्हंे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल की सलाखों तक पहुंचाया, लेकिन आउटर का पूरा इलाका खाली है। यहां एक भी कैमरा नहीं लग पाया है।

अपराधी भी अब आउटर इलाके को टारगेट कर अपराध को अंजाम दे रहे हैं और उसी रास्ते से आसानी से फरार हो जाते हंै। औद्योगिक क्षेत्र उरला में पांच महीने के भीतर लूट की दो बड़ी वारदातें हो चुकी हंै और आरोपी गिरफ्त से बाहर हैं। लुटेरों के फुटेज तक नहीं मिले, जबकि यहां पर पुलिस ने कैमरा लगाने की योजना बनाई थी। पुलिस अफसर खुद मानते हैं कि आउटर इलाके में कैमरा लगाना जरूरी है, क्योंकि यहां रोज दूसरे राज्यों से ट्रक और माल वाहक आते हैं। बाहर के मजदूर भी यहां काम करते हैं। ऐसे हालात में आउटर इलाकों को फोकस कर सीसीटीवी कैमरा लगाना जरूरी है।
गूगल मैप से जुड़ेंगे कैमरे, एक क्लिक से पकड़े जाएंगे अपराधी
शहर में 25 हजार सीसीटीवी कैमरों की लेयरिंग करने की तैयारी की है। विभिन्ना चौराहों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों को गूगल मैप से लेयरिंग की नई तकनीक से जुड़ने के बाद पुलिस को सभी कैमरों की जानकारी एक क्लिक में मिल जाएगी। इसके जरिए मिशन सिक्योर सिटी और भी बेहतर तरीके से मजबूत पुलिसिंग में जुड़ जाएगी।
इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का मिलेगा फायदा
शहर को सीसीटीवी हाइटेक घेरे में करने के लिए 157 करोड़ खर्च कर इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम शुरू करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। दिल्ली की कंपनी एलएनटी को इस काम का ठेका दिया गया है, जिसने अब तक सौ से अधिक कैमरे लगा दिए हैं। अक्टूबर तक काम पूरा करना है, लिहाजा तेजी से काम चल रहा है। हर चौराहे के चारों ओर दो महीने से खुदाई कर अंडर ग्राउंड वायरिंग की जा रही है। इधर डेढ़ साल पहले स्थानीय पुलिस द्वारा अभियान चलाकर कारोबारियों के सहयोग से लगवाएं गए कैमरे में से अधिकांश खराब हो चुके हैं। इसे सुधारने की जरूरत है।
अपराधियों का डाटाबेस तैयार
अपराधियों और वारदात के ब्योरे का आधुनिक सॉफ्टवेयर के माध्यम से डिजिटल डाटा तैयार किया जा रहा है। इसके जरिए अन्य जिलों में होने वाले अपराध का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। हाल ही में विभाग ने स्पंदन कंसलटेंसी कंपनी से 50 हजार रुपए में आधुनिक स्केन एंड बायोमैट्रिक क्रिमिनल्स डाटाबेस साफ्टवेयर खरीदा है। इस साफ्टवेयर की मदद से क्राइम ब्रांच ने हाइटेक तरीके से काम करना शुरू कर दिया है। डाटाबेस में हर अपराधी के जन्म से लेकर मौत तक की जानकारी उपलब्ध है।नए हाईटेक संसाधनों से पुलिंसिग में बदलाव होगा।
एक नंबर से तीन इमरजेंसी सेवा
राजधानी पुलिस ने डायल 100 को भी हाइटेक करने की कवायद शुरू कर दी है। कंट्रोल रूम में 100 नंबर डायल सेवा को हाइटेक उपकरणों से लैस कर अब डायल 112 की शुरूआत इसी हफ्ते करने जा रही है। इस नंबर से एक साथ पुलिस सुरक्षा, फायर और हेल्थ के इंतजाम होगे। दरअसल कई बार ऐसा होता है, जब अलग-अलग नंबरों पर संपर्क नहीं हो पाता और जरूरतमंदों तक मदद पहुंचने में देर हो जाती थी। अब एक ही नंबर में तीन इमरजेंसी सेवा उपलब्ध होगी।
हाइटेक कंट्रोल रूम
पुलिस बल को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने करोड़ों के उपकरणों की खरीदी की जा रही है। कंट्रोल रूम को जीआइएस, जीपीएस आधारित आटोमैटिक व्हीकल ट्रैकिंग पद्धति से जोड़ा जा चुका है। इसके जरिए मानीटर के सामने बैठकर शहर की भौगोलिक स्थिति देखी जा सकेगी। यही नहीं, पीसीआर वैन, पेट्रोलिंग पार्टियां समेत पुलिस की गाड़ियों का लोकेशन ट्रेस कर तत्काल पाइंट देकर घटनास्थल पर भेजा जाएगा। डायल 100 नंबर की तीस लाइन रखने की तैयारी है, ताकि कॉल करने वाले को लाइन खाली मिल सकेगी।
साइबर अपराध जांचने के लिए साइबर थाना
साइबर अपराधों की जांच के लिए एक सहयोगी लैब रायपुर में है। अब स्टेट लेबल पर साइबर थाना का सिस्टम बनाया गया है। नया रायपुर में यह थाना बनेगा। इसके लिए 187 पदों का सृजन किया गया है। नए प्रावधान में होने के बाद अन्य जिले में भी साइबर थाना खोला जाएगा। बजट में इसका प्रावधान कर दिया गया है। यही नहीं, नया रायपुर स्थित पुलिस मुख्यालय में टेलीकम्युनिकेशन स्कूल का प्रस्ताव है। आतंकवाद निरोधी दस्ता के साथ साइबर जांच के लिए प्रदेश स्तरीय सिस्टम तैयार होगा। यही नहीं, रायपुर समेत 9 जिलों के लिए आइटी कैडर में 63 पदों का सृजन किया गया है। पुलिस की एक्सपर्ट टीम साइबर अपराध पर लगाम कसने का काम करेगी।
किराए के मकान में देवेंद्रनगर थाना
प्रदेशभर में पुलिस थाना के नए भवनों का निर्माण जरूर किया गया, लेकिन आज भी रायपुर का इकलौता देवेंद्रनगर पुलिस थाना किराए के भवन में संचालित हो रहा है। जमीन का पेंच फंसने से थाने का नया भवन सालों से अधर में लटका हुआ है। हालांकि जल्द ही इस भवन से थाना स्टाफ को मुक्ति मिल जाएगी।
हाइवे पेट्रोलिंग ने बचाई सैकड़ों जान
108 संजीवनी एंबुलेंस की तर्ज पर आपात स्थिति से निपटने के लिए महासमुंद से राजनांदगांव तक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 24 हाइवे पेट्रोलिंग वाहन चलाई जा रही है। इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। सड़क हादसे में घायल सैकड़ों लोगों को समय रहते अस्पताल पहुंचाकर उनकी जाने बचाई गई है।
फॉरेंसिक लैब सुविधाओं से लैस
एक समय था, जब रायपुर पुलिस को सागर फॉरंेसिक लैब के भरोसे रहना पड़ता था। बिसरा जांच की रिपोर्ट के लिए कई महीने तक चक्कर काटना पड़ता था। अब राजधानी के फॉरंेसिक लैब में भी वे सारी सुविधाएं व उपकरण मौजूद हैं, जो हैदराबाद, सागर आदि लैब में हंै। डीएनए टेस्ट, बिसरा जांच आदि यहां हो रहे हैं। आसपास के दूसरे राज्यों की पुलिस भी यहां बिसरा जांच कराने पहुंच रही है। क्राइम ऑफ सीन के लिए डॉग स्क्वाड, बीडीएस दस्ते की भी मदद ली जा रही है।
पुलिस के लिए 10 हजार आवास
मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना के तहत रायपुर समेत प्रदेशभर में 10 हजार आवासीय भवनों का निमार्ण किया गया है। इन भवनों का निर्माण बेहतर गुणवत्ता से पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन ने करवाया है। मकानों में पुलिस अधिकारियों से लेकर जवानों तक के रहने की सुविधा है। हालांकि राजधानी रायपुर में प्रस्तावित पुलिस अस्पताल, पुलिस स्कूल नहीं खुल पाने का मलाल भी है।

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.