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रायपुर: दिव्यांगों को भी मिल जाए शहर में रहने का ठिकाना

रायपुर में 35 भवन हैं। सभी कमरों में जाने के लिए दिव्यांगों के लिए रैम्प नहीं है। मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग में दिव्यांगों के लिए लिफ्ट होनी चाहिए।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 06:00 AM (IST)
रायपुर: दिव्यांगों को भी मिल जाए शहर में रहने का ठिकाना

रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रायपुर में हर तरह के स्कूल व सरकारी हॉस्टल बन रहे हैं, मगर दिव्यांगों की खातिर कोई बड़ा निर्माण नहीं हो सका है। प्रदेशभर के दिव्यांग भी शिक्षा और रोजगार की तलाश में राजधानी आते हैं, तब उनके सामने रहने की दिक्कत खड़ी हो जाती है। निजी हॉस्टलों के भरोसे उन्हें रहना पड़ता है। यदि सरकारी हॉस्टल बन जाए तो वहां सारी सुविधाओं के साथ रियायती दर पर रहने का ठिकाना मिल सकता है। रायपुर में 35 भवन हैं। सभी कमरों में जाने के लिए दिव्यांगों के लिए रैम्प नहीं है। मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग में दिव्यांगों के लिए लिफ्ट होनी चाहिए।

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खासकर रायपुर के जिला पंचायत कार्यालय में आए दिन दिव्यांगों को जूझना पड़ता है। कलेक्टर दफ्तर में आए दिन लिफ्ट खराब रहती है। यहां भी दिव्यांगों के लिए बेहतर सुविधा नहीं है। नईदुनिया जागरण समूह की आयोजित माय सिटी माय प्राइड की राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में ये मांगे उठी हैं। रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड में भी दिव्यांगों के लिए आने-जाने की पर्याप्त सुविधाओं की दरकार है।

हॉस्टल, स्कूल में होनी चाहिए सुविधाएं
शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत सभी दिव्यांगों के लिए अलग से शौचालय होना चाहिए। इसमें रैम्प लगा रहता है। इन मापदंडों पर काम नहीं हो पाया है। मानसिक दिव्यांगों के लिए स्पेशल एजुकेटर होना चाहिए। गंभीर रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए साइकिल से पहुंचकर स्कूलों तक पहुंचने के लिए सुविधा होनी चाहिए। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। नेत्र दिव्यांगों के लिए ब्रेललिपि में पढ़ाने के लिए शिक्षक की सुविधा होनी चाहिए। उनके लिए ब्रेल में परीक्षाएं नहीं हो पा रही है। इसके लिए भी सुविधा होनी चाहिए।

बने दिव्यांगों का मॉडल स्कूल 
दिव्यांगों के लिए जिले के सभी विकासखंडों में एक-एक मॉडल स्कूल का निर्माण कराने की मांग उठी है। हालांकि, समाज कल्याण और खेल एवं युवा कल्याण विभाग की दिव्यांगों के लिए संचालित योजनाओं के अंतर्गत इन्हें सुविधाएं दी जानी है। लेकिन ये सुविधाएं नहीं मिल रही है।

ये सुविधाएं मिलनी चाहिए दिव्यांगों को

  • हॉस्टल व स्कूल में दिव्यांग बच्चों को उनकी नि:शक्तता के अनुसार अध्यापन की सुविधा दी जाए।
  • दिव्यांगों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक के साथ उनके अनुरूप अध्यापन सामग्रियां उपलब्ध हों।
  • दिव्यांगों के लिए संचालित सभी शासकीय संस्थाओं में चिकित्सक द्वारा साप्ताहिक स्वास्थ्य परीक्षण सुनिश्चित हो।
  • स्कूल व आंगनबाड़ी भवन, बस स्टैंड व सभी खेल अधोसंरचनाएं दिव्यांगजनों के लिए बैरियर-फ्री रहे ताकि उन्हें आने-जाने में दिक्कत न हो।

रोजगार के लिए भी हो बेहतर प्रबंध
शहर के बड़े शॉपिंग मॉल या व्यवसायिक कॉम्पलेक्स, जहां लिफ्ट लगीं हैं, वहां दिव्यांगों को रोजगार प्रदान कराने के लिए आवश्यक पहल करने की जरूरत है। खासकर शहर के पुराने भवनों में दिव्यांगों के लिए बेहतर सुविधा नहीं है। इस पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए।

बनाएंगे नये सिरे से प्लान
दिव्यांगों के लिए शहर के हर भवन में मापदंड के अनुरूप सुविधाएं दिलाने के लिए नये सिरे से विचार किया जाएगा। इसमें समाज कल्याण विभाग और लोक निर्माण विभाग की मदद से कार्ययोजना बनेगी। दिव्यांगों को सुविधाएं अधिक मिले इसके लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। - बसव राजू एस, कलेक्टर, रायपुर।

हमारी सुविधा बढ़ाए सरकार
यदि रायपुर के जिला पंचायत में जाते हैं तो दिव्यांगों के लिए रैम्प की सुविधा नहीं है। शौचालय की सुविधा नहीं है। दिव्यांगों के लिए स्वरोजगार आदि के लिए सुविधा नहीं है। रेलवे स्टेशन बिलासपुर में बैटरीचलित वाहन अभी दिव्यांगों को नहीं मिला है। हालांकि रायपुर व दुर्ग में बैटरीचलित वाहन है। इसी तरह अन्य स्टेशनों में सुविधा दी जाए। हॉस्टल व स्कूलों में रैम्प की सुविधा नहीं है।
- विजय कुमार पाण्डेय, सचिव, छत्तीसगढ़ दिव्यांग अधिकार एवं खेल क्रिकेट महासंघ।


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