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रायपुरः गायों को मिले राहत, जनता से दूर हो आफत

इस समस्या को देखते हुए महापौर प्रमोद दुबे ने कई बार सरकार को पत्र लिखा, मांग की कि निगम को शहर के बाहर कहीं पर जगह मुहैया करवाई जाए ताकि व्यवस्थित गौ-धाम का निर्माण करवाया जा सके।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 06:00 AM (IST)
रायपुरः गायों को मिले राहत, जनता से दूर हो आफत

रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रायपुर और आसपास के शहर एक बार फिर आवारा मवेशियों से परेशान हैं। सड़क पर बैठे मवेशियों के कारण हादसे हो रहे हैं और इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि गौ-धन को नुकसान हो रहा है। चारा के अभाव में गाय कमजोर हो रही है और पॉलीथिन समेत दूषित चीजें खा जाने के कारण असमय काल के गाल में समा रहे हैं। नगर निगम के पास इतनी ज्यादा सुविधा नहीं है कि वह 700 से ज्यादा मवेशियों का पालन पोषण कर सके। अच्छा यही होगा कि आसपास मवेशियों को रखने का बेहतर ठिकाना बना दिया जाए।

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शहर में नगर निगम द्वारा संचालित गौधाम (कांजी हाउस) पूरी तरह से भर चुके हैं। यहां और मवेशियों को रखने की जगह नहीं बची है। ऐसे स्थिति में निगम की 'काउ केयर' भी क्या करे, मवेशियों को सड़क से खदेड़ना ही इनके पास एक अंतिम विकल्प बचता है। इनकी लाचारी साफ दिखाई देती है।

इस समस्या को देखते हुए महापौर प्रमोद दुबे ने कई बार सरकार को पत्र लिखा, मांग की कि निगम को शहर के बाहर कहीं पर जगह मुहैया करवाई जाए ताकि व्यवस्थित गौ-धाम का निर्माण करवाया जा सके। फिलहाल सरकार की तरफ से अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। स्थिति यह है कि आवारा पशुओं के चलते हादसे बढ़ते जा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पशु चिकित्सा विभाग आरंग के भोठली गांव में गौधाम बनाने की योजना बना रहा है।

सबसे ज्यादा परेशानी- सड्डू, कुशालपुर, मोवा, महोबा बाजार, पुरानी बस्ती से लाखेनगर मार्ग, सुंदर नगर, महादेव घाट रोड, गौरवपथ, रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय मार्ग, दलदल सिवनी, काठाडीह, भाठागांव से लेकर संतोषी नगर, टिकरापारा, संजय नगर प्रमुख मार्गों, क्षेत्रों में परेशानियां हैं।

हादसों को देखते हुए बाहर की डेयरी

नगर निगम द्वारा आवारा मवेशियों के शहर में होने की सबसे बड़ी वजह शहर के अंदर संचालित डेयरियां हैं। साल 2012-13 में योजना बनाई गई और डेयरी संचालकों को कम दरों पर जमीन मुहैया करवाई गई, जिसके तहत गोकुल नगर बसाया गया।

अधिकांश डेयरियां शिफ्ट भी हो गईं, लेकिन जो रह गई उन पर निगम ने ध्यान नहीं दिया। कुछ ने धीरे-धीरे कर इन डेयरियों को और बड़ा किया। वर्तमान में 50 से अधिक डेयरियां शहर के अंदर अलग-अलग क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं। बीते दिनों निगम ने कुशालपुर, पुरानी बस्ती, लाखेनगर क्षेत्र में डेयरी मालिकों पर जुर्माना लगाया और शिफ्टिंग के निर्देश दिए थे।

अभी मौजूदा स्थिति-
लाखेनगर- 200, भाठागांव, 220, अटारी- 300
सड़क हादसे बढ़े- बरसात में मवेशी सूखी जगहों की तलाश में होते हैं। जैसे ही बारिश थमती है, वे सड़कों पर अपना डेरा जमा लेते हैं। रात हो या फिर दिन, ये सड़क से तब तक नहीं हटते, जब तक उन्हें हटाया न जाए। दिन में जैसे-तैसे वाहन चालक, बच-बचाकर निकल जाते हैं, लेकिन रात में ये बहुत बड़ा खतरा बन रहे हैं। हादसों की वजह बन रहे हैं। बीते दिनों मवेशियों से टकराकर दो जाने जा चुकी हैं। कई घायल भी हुए।

गौधाम में जगह नहीं है
गौधामों में क्षमता से अधिक मवेशियों को नहीं रखा जा सकता है, फिर भी कोशिश करते हैं कि सड़क पर आवारा मवेशी न बैठे। लगातार गौ मालिकों पर कार्रवाई भी की जा रही हैं, जो डेयरियां शहर के अंदर हैं, उन्हें बाहर किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जोन स्तर पर इसकी निगरानी रखी जा रही है।
- डॉ. बीके मिश्रा, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम


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